जम्मू कश्मीर राज्य सरकार ने 3 राजकीय कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी है। यह तीनों आतंकियों के लिए काम कर रहे थे और उनका समर्थन करते थे। इन कर्मचारियों में कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रवक्ता फहीम असलम, राजस्व विभाग के कर्मचारी मुरवत हाशिम मीर और एक पुलिसकर्मी अर्शिद अहमद ठोकर शामिल हैं।
यह तीनों कर्मचारी पाकिस्तानी आतंकी समूहों के साथ काम कर रहे थे और उनकी वित्तीय रूप से सहायता कर रहे थे। यह भारत को तोड़ने वाली आतंकी विचारधारा को बढ़ाने का कार्य कर रहे थे। जम्मू कश्मीर की सरकार ने इन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद 311(2) के अंतर्गत सेवा से निष्कासित किया है।
बीते कुछ समय से जम्मू कश्मीर सरकार ऐसे व्यक्तियों पर कार्रवाई कर रही है जो सरकारी सेवा में होते हुए आतंकियों की वित्तीय रूप से सहायता करते हैं और उन्हें शरण देते हैं। इससे पहले पिछले माह २ राजकीय चिकित्सकों की सेवाएँ समाप्त कर दी थी। इन दोनों पर वर्ष 2009 में शोपियां बलात्कार-हत्या मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप था।
बीते लगभग २ वर्ष के भीतर जम्मू कश्मीर में ऐसे 52 कर्मचारियों की सेवा समाप्त की जा चुकी है जिनके सम्बन्ध पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों से स्थापित हुए हैं। समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सेवा से हटाए गए कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रवक्ता फहीम असलम ने कश्मीर विश्वविद्यालय से ही पत्रकारिता में स्नातक और परास्नातक किया हुआ है और वर्ष २००8 से वह सेवा में था।
इसके अतिरिक्त, मुरवत हाशिम मीर वर्ष 1985 से और अरशद ठोकर वर्ष 20०६ में पुलिस में भर्ती हुआ था। बीते दिनों कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जब राजकीय कर्मचारियों ने सोशल मीडिया माध्यमों पर सरकार और राज्य विरोधी बातें लिखी हैं। इसी को रोकने लिए बीते दिनों जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया उपयोग करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।
इन नए दिशानिर्देशों के अंतर्गत यदि कोई राजकीय कर्मचारी सोशल मीडिया पर सरकार की नीतियों की आलोचना करता है तो उसकी एक माह की तनख्वाह काटने, पदावनति से लेकर उसकी सेवा समाप्ति तक जैसी कार्रवाई की जा सकती है। सरकार द्वारा कार्रवाई को लेकर सख्ती करने से पश्चात ऐसी घटनाओं में कमी आई है।
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