15 नवम्बर, 2022 को जम्मू-कश्मीर से एक बड़ी खबर सामने आई थी। खबर यह थी कि कुछ स्थानीय पत्रकारों ने अपने मीडिया संस्थान से इस्तीफा दे दिया है क्योंकि, उन्हें आतंकवादी समूहों की ओर से लगातार धमकी दी जा रही है।
इन धमकियों के भय से स्थानीय पत्रकारों ने इस्तीफे देने शुरू किए। इस्तीफे का यह सिलसिला एक हफ्ते से भी अधिक समय तक जारी रहा। कुछ मीडिया रिपोर्टस ने दावा किया कि इस धमकी से डरकर तकरीबन 20 स्थानीय पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है।
जम्मू-कश्मीर के स्थानीय पत्रकारों को मिलने वाली यह धमकियाँ टीआएएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट की ओर से दी गई।
टीआरएफ, पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक अंग है, जो पाकिस्तान से ही चलाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि यह संगठन आर्टिकल 370 को हटाने के बाद अस्तित्व में आया था।
यह वही टीआरएफ है, जिसने कुछ समय पहले कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंदरू की हत्या की जिम्मेदारी भी ली थी। बिंदरू की हत्या के बाद टीआरएफ ने धमकी देते हुए कहा था कि उनकी हत्या का शोक कोई भी कश्मीरी नहीं मनाएगा और वह आगे भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम देगा।
पत्रकारों को मिलने वाली धमकियों के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जाँच शुरू की। पुलिस ने शुरुआती जाँच में बताया कि इस पूरे प्रकरण के पीछे जो असल मास्टरमाइंड मुख्तार बाबा है।
कई मीडिया रिपोर्ट्स ने एक खुफिया डोजियर के हवाले से लिखा कि कश्मीरी मूल का मुख्तार बाबा अब तुर्की में रहता है और तुर्की से ही पाकिस्तान आता जाता रहता है।
मुख्तार बाबा पाकिस्तान से टीआरएफ के बैनर तले झूठी कहानियाँ गढ़ता है और युवाओं का ब्रेनवॉश कर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही, मुख्तार बाबा झूठी खबरें और षड्यंत्र रचकर, भारत विरोधी नैरेटिव चलाता है।
इस तरह की कई सूचनाओं और सबूतों के आधार पर भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू–कश्मीर में मुख्तार बाबा के सम्पर्क में रह रहे कई लोगों की पहचान की। इसमें कुछ पत्रकार भी शामिल हैं। जिनके घरों पर भी छापेमारी की गई थी।
आतंकवादी मुख्तार बाबा और इस पूरे प्रकरण को लेकर खबरों की धुलाई करने का दावा करने वाले वामपंथी न्यूजपोर्टल न्यूजलॉन्ड्री ने हाल ही में 2 दिसम्बर, 2022 को एक आर्टिकल छापा।
न्यूजलॉन्ड्री का आर्टिकल बताता है कि वह एक बार फिर किसी आतंकवादी या आतंकवाद को जस्टिफाई कर रहा है।
बड़ी अदब और इज्जत से न्यूजलॉन्ड्री लिखता आर्टिकल की हेडिंग देता है, “Mukhtar Baba: Meet the former Kashmiri journalist Indian security agencies – and media – call a terrorist”
इस हेडिंग का हिन्दी अनुवाद है, “मिलिए पूर्व कश्मीरी पत्रकार मुख्तार बाबा से, जिन्हें भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ और मीडिया, आतंकवादी कहता है।”
यह हेडिंग बताती है कि भारत का मीडिया और सुरक्षा एजेसियाँ भले ही मुख्तार बाबा को आतंकवादी बताती हो लेकिन न्यूजलॉन्ड्री इसे आतंकवादी नहीं मानता है।
न्यूजलॉन्ड्री अपने आर्टिकल में मुख्तार बाबा का परिचय करवाते हुए लिखता है कि “जब मुफ्ती मुहम्म्द की बेटी को बचाने के लिए पाँच आतंकवादियों को रिहा किया गया था और उसके बाद आतंकवादियों की इस जीत का जश्न मना रहे लोगों पर पुलिस ने कार्रवाई की, इस पुलिस कार्रवाई ने मुख्तार बाबा को उग्रवाद की ओर धकेला।”
न्यूजलॉन्ड्री का यह लिखना इस ओर संकेत कर रहा है कि मुख्तार बाबा को उग्रवाद की ओर धकेलने का पहला काम जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किया है।
यहाँ एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि मुख्तार बाबा 90 के दशक से ही आतंकवादियों का हितैषी था।
न्यूजलॉन्ड्री आतंकवाद के हितैषी और आतंकवादी मुख्तार बाबा के करियर के बारे में लिखता है कि “वो प्रो-एक्टिव पत्रकार नहीं था, वो कहानीकार था, जो दिलचस्प था, गपशप मारता था, अच्छे चुटकुले सुनाता था।”
एक कश्मीरी पत्रकार के हवाले से न्यूजलॉन्ड्री यह भी बताता है कि मुख्तार बाबा साल 2019 में तुर्की के लिए रवाना हुआ।
तुर्की जाने से पहले साल 2018 में मुख्तार बाबा ने श्रीनगर के शेख बाग में कुछ मीडियाकर्मियों के साथ मिलकर ‘मीडियम टू मीडिया प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक कम्पनी बनाई।
इसी कम्पनी का एक पार्ट, एक न्यूज बेवसाइट के रूप में बनाया गया। जो मुख्तार बाबा के घर के एक कमरे से ही संचालित होता है और मुख्तार इस न्यूज वेबसाइट का प्रधान संपादक था। वेबसाइट का नाम है ‘द कश्मीर प्रेस।’
न्यूजलॉन्ड्री यह भी बताता है कि “द कश्मीर प्रेस पाकिस्तान समर्थक या अलगाववादी सामग्री का कोई अड्डा नहीं हैं। बल्कि यह तो अनुभवी और पेशेवर पत्रकारों द्वारा चलाया जाता है, जो प्रतिष्ठित स्थानीय और अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से पढ़े हुए हैं, ग्राउण्ड जीरो से रिपोर्ट की जाती है, आदि-आदि।”
इसके बाद न्यूजलॉन्ड्री मुख्तार बाबा के पेशेवर करियर के बारे में बताता है कि उसने राजनीति विज्ञान मास्टर्स किया था और पत्रकारिता के अलावा, पीआर, इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी के कन्सलटिंग हेड, वगैरह-वगैरह, जानकारी न्यूजलॉन्ड्री बताता है।
न्यूजलॉन्ड्री ने मुख्तार बाबा का जितना गुणगान किया है और जितनी उपलब्धियाँ गिनाई हैं, इससे यह तो स्पष्ट हो जाता है कि मुख्तार बाबा खूब पढ़ा-लिखा और पेशेवर आतंकवादी है। ठीक उसी तरह जैसे ओसामा बिन लादेन था।
मीडिया की य बिरादरी आतंकी रियाज़ नाइकू को गणित का शिक्षक बता चुकी है।
आतंकवादी मुख्तार के कारनामे
न्यूजलॉन्ड्री मुख्तार बाबा जैसे आतंकवादी को जस्टिफाई कर रहा है। उसके कुछ कारनामों को जान लेते हैं।
आतंकवादी मुख्तार बाबा तुर्की के अंकारा में रहता है और पाकिस्तान के साथ उसके मजबूत संबंध हैं। जहाँ से वह भारत के खिलाफ साजिश रचता है।
जिस न्यूज वेबसाइट की बात न्यूजलॉन्ड्री अपनी रिपोर्ट में कर रहा है। द कश्मीर प्रेस, इसका कन्सलटिंग हेड आतंकवादी मुख्तार बाबा है।
इस न्यूज वेबसाइट का फेसबुक पेज पाकिस्तान से चलाया जा रहा है। कश्मीर प्रेस के फेसबुक पेज के कुल पाँच एडमिन हैं, जिनमें से चार भारत में हैं और एक पाकिस्तान में।
अब सवाल यह है कि आखिर कश्मीर प्रेस को पाकिस्तान से चलाने की क्या जरूरत है?
हो सकता है कि जिस अनुभव, प्रोफेशनलिज्म की बात न्यूजलॉन्ड्री अपनी रिपोर्ट में कर रहा है, उस ग्राउण्ड रिपोर्टिंग का दायरा भारत में सीमित न होकर पाकिस्तान तक जाता हो। क्या मालूम, कश्मीर प्रेस में पाकिस्तान फंडिंग कर रहा हो या फिर पाकिस्तान को भी अपना ही देश मानता हो।
बहरहाल, जिस मुख्तार बाबा को न्यूजलॉन्ड्री क्लीनचिट देने का काम कर रही है। उसे जस्टिफाई करने का काम कर रही है। वही मुख्तार बाबा आईएसआई की कठपुतली मुजम्मिल अय्यूब ठाकुर से मिलता है। नीचे जो तस्वीर है वो इसी साल जुलाई माह की है।
इसी तरह मुख्तार बाबा और ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मसरत आलम भट एक साथ दिखते हैं। बता दें कि मसरत आलम भट साल 2010 में कश्मीर में बड़े पैमाने पर पथराव करवाने का मास्टरमाइंड था, आगे चलकर यही पथराव कश्मीर की पहचान बन गया।
इतना ही नहीं, मुख्तार बाबा के कारनामे एक से बढ़कर एक हैं। एक और तस्वीर में मुख्तार बाबा का नाम देखा जा सकता है
आतंकवादी मुख्तार बाबा 5 अगस्त, 2022 को मसरत आलम भट के प्रवक्ता के रूप में पाक समर्थित संगठन लीगल फोरम फॉर कश्मीर के एक कार्यक्रम में भाग लेता है।
यह वही संगठन है, जो तुर्की समर्थित स्टोर व्हाइट एलएलसी के साथ मिलकर भारतीय सेना प्रमुख और गृहमंत्रालय के खिलाफ षड्यंत्र रचने का काम कर रहे थे।
यह मुस्लिम ब्रदरहुड वाले एर्दोआँ के प्रोपगेंडा और पाक समर्थित सुनियोजित अभियान था और न्यूजलॉन्ड्री के हीरो मुख्तार बाबा भारत विरोधी तत्वों के साथ मिलकर भारत की छवि बिगाड़ने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा था।
एक और तस्वीर जिसमें मुख्तार बाबा भारतीय उत्पादों के बॉयकॉट का पोस्टर शेयर कर रहा है। मुख्तार बाबा ने कतर, तुर्की और पाक समर्थित #BoycottIndianProducts के मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रचार का भी सक्रिय रूप से समर्थन किया है।
आतंकवादी मुख्तार बाबा, आईएसआई के पेरोल पर पलने वाली केरिन जोदा फिशर एक ओर कह रही है कि वह मुख्तार को नहीं जानती, दूसरी ओर मुख्तार और केरिन एक ही ट्टिटर पोस्ट में टैग हुए देखे जा सकते हैं।
वहीं, केरिन द कश्मीर प्रेस, जिसका फेसबुक पेज पाकिस्तान से भी चलाया जा रहा है, उसे लेकर कहती है कि वह शुरूआत से ही इस न्यूजपोर्टल को पसन्द करती आई है और उसके वापस आने से वह बेहद खुश है।
मुख्तार बाबा के इस तरह के तमाम भारत विरोधी कनेक्शन और कारनामे वेबपोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा हिरोइज़्म की तरह सामने रखे गए हैं।
जो गिरोह पत्रकारों की आजादी, बोलने की आजादी के नारे लगाते हैं, वे उस समय उन पत्रकारों की ज़िंदगी की परवाह नहीं करते, जब उन्हें धमकियाँ आतंकी संगठन से मिल रही हो सीमा पार से मिल रही हो।
न्यूजलॉन्ड्री जैसे मीडिया पोर्टल आतंकवाद को नार्मलाइज करने का प्रयास करते हैं। सोचिए यह हालात साल 2022 में हैं। 90 के दशक का वो दौर कैसा रहा होगा, जब इन जैसे मीडियो गिरोह का एकछत्र दबदबा था।
क्या इन सभी सबूतों के बावजूद भी न्यूज़लॉन्ड्री जैसों के राष्ट्रप्रेम पर सवाल नहीं उठाए जाने चाहिये?