जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आसिया और नीलोफर पोस्टमार्टम से जुड़े डॉ. बिलाल अहमद दलाल और डॉ. निगाहत शाहीन चिल्लू को उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
इन दोनों डॉक्टरों पर आरोप है कि इन्होंने आसिया और नीलोफर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित करने के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर सक्रिय रूप से कार्य किया ताकि कश्मीर में सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का झूठा आरोप लगाया जाए जिससे घाटी में अशांति फैलाई जा सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तत्कालीन राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों को इस बात की पूरी जानकारी थी लेकिन उन्होंने ने भी इस मामले को दबा दिया था जबकि कश्मीर उस वक्त जल रहा था।
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क्या था पूरा मामला?
शकील अहंगर की पत्नी नीलोफर और उनकी बहन आसिया 29 मई, 2009 को शोपियां जिले में रणबियारा नदी के पार अपने बगीचे में जाने के तुरन्त बाद लापता हो गई थी। अगले दिन उनके शव एक स्थानीय नाले से बरामद किए गए और रिश्तेदारों का कहना था कि उनके साथ बलात्कार और उनकी हत्या हुई है।
इस कथित दोहरे बलात्कार और हत्या का असर यह हुआ कि पूरे कश्मीर में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए और कश्मीर बंद का ऐलान हो गया।
जांच एजेन्सियों ने क्या कहा था?
प्रारंभिक जांच में भी बलात्कार और हत्या की ओर इशारा किया गया था। हालाँकि स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम की जांच में सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप और स्थानीय निवासियों से सहयोग की कमी समेत कई समस्याएं सामने आई थी जिसके बाद साल 2010 में, सीबीआई ने राज्य पुलिस से यह मामला अपने हाथ में ले लिया।
सीबीआई ने आगे की जांच की और सबूतों को दोबारा जांचा। साल 2011 में, सीबीआई ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे कि दोनों महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।
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