वर्षों से चले आ रहे जम्मू-कश्मीर के मुद्दे ने हमेशा ही देश-विदेश के आलोचकों का ध्यान आकर्षित किया है। मानवाधिकारों के उल्लंघन का झूठ फैलाकर कश्मीर के ‘उत्थान’ पर अपने विचार रखना मीडिया बिरादरी का विशेष अधिकार रहा है, विशेषरूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के लिए।
भारत के केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में झूठे आरोप और दमन की कहानियाँ फैलाने का चलन काफी पुराना है। यहाँ सेना द्वारा मजबूत उपस्थिति और सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीरवासियों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार का नैरेटिव चलाया जाता है।
झूठे आरोपों और नैरेटिव से लोगों के मन में अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर जम्मू-कश्मीर में चल क्या रहा है और वास्तविक कश्मीर है क्या?
कश्मीर का संक्षिप्त इतिहास
3000 बीसी- कश्मीर का सर्वप्रथम उल्लेख हमें हिंदू ग्रंथ महाभारत में मिलता है।
250 बीसी- श्रीनगर की स्थापना अशोक ने की थी और इस क्षेत्र का विकास लगातार हिन्दू राज्य के तौर पर हुआ।
1100 एडी- राज्य पहली बार मुस्लिम आक्रमण का शिकार हुआ।
1846- वर्तमान जम्मू-कश्मीर क्षेत्र की रियासत की स्थापना हुई।
1947- भारत की स्वतंत्रता, जिसके बाद देश ने विभाजन की त्रासदी झेली और विश्व पटल पर दो देश उभरे- भारत एवं पाकिस्तान। इसके अलावा तत्कालीन स्वतंत्र राज्य जम्मू एवं कश्मीर को महाराजा हरिसिंह ने भारत में विलय करना स्वीकार किया था जो कि प्रथम भारत-पाक युद्ध का मुख्य कारण भी बना।
1949- भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू एवं कश्मीर विवादित क्षेत्र बना और युद्धविराम का आह्वान किया गया।
1965- दूसरा, भारत-पाक युद्ध हुआ लेकिन कश्मीर का मसला अभी भी हल नहीं हो सका।
1971- भारत और पाकिस्तान के बीच एक और युद्ध हुआ लेकिन देश की संप्रभुता बनाए रखने वाला कोई परिणाम सामने नहीं आया। इससे शिमला समझौता सामने आया था, जिसके बाद लाइन ऑफ कंट्रोल को लेकर समझौता स्थापित हुआ था।
1989- क्षेत्र में एक बार फिर विद्रोह की शुरूआत हुई।
2015- पहली बार राज्य में हुए चुनावों में हिंदू समर्थित पार्टी भाजपा विजयी हुई और सरकार बनी।
2019- विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया गया, आर्टिकल 35A और 370 का उन्मूलन हुआ। जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ।
जम्मू-कश्मीरः आर्टिकल 370, 35A के उन्मूलन के बाद
आर्टिकल 370 और 35A के उन्मूलन के बाद वर्तमान केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर की स्थापना 31 अक्टूबर, 2019 को हुई थी। ये दिन सरदार वल्लभभाई पटेल की 144वीं जयंती के रूप में भी महत्व रखता है। केन्द शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के अन्तर्गत 114 सदस्यीय विधानसभा भी बनाई गई है।
मनोज सिन्हा यहाँ के मौजूदा उप-राज्यपाल हैं, जो कृषि और मत्सय पालन, खाद्य, कानून, ग्रामीण विकास, आईटी, चुनाव, वित्त, जल, पर्यटन और परिवहन सहित 38 विभागों के मुखिया हैं। यहाँ की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर है तो शीतकालीन राजधानी जम्मू। 2 लाख किमी के क्षेत्र में फैले राज्य की साक्षरता दर 67.16% है। यहाँ कि आधिकारिक भाषाओं में कश्मीरी, डोगरी, ऊर्दू, हिंदी और अंग्रेजी शामिल है।
सामूहिक प्रवास, गुमशुदगी, अपहरण और नागरिकों की हत्याएँ जोकि यहाँ आम बात हुआ करती थी, उनको अब न्यूनतम स्तर तक लाया जा चुका है। 2019 के बाद आए बड़े बदलावों से राज्य के विकास और गौरव में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान जम्मू-कश्मीर में कोई भी भारतीय नागरिक जमीन खरीद सकता है। साथ ही, स्वयं की जमीन का विक्रय भी कर सकता है। जम्मू-कश्मीर के नागरिक विश्व में कहीं भी शादी कर सकते हैं, जिससे यहाँ महिलाओं और बच्चों की विरासत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के अनुसार, अभी तक करीब 34 लोगों ने जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदरबल जिलों में संपत्ति खरीदी है।
केन्द्र शासित प्रदेश में आमजन के फायदे के लिए करीब 85 सरकारी योजनाएँ सक्रिय है। इनमें महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा), स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण (SBMG), JKFES, एकीकृत सामाजिक सुरक्षा योजना, लाडली बेटी, राज्य योजना के अन्तर्गत निजी क्षेत्र का के ढांचे का विकास, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, युवा स्टार्टअप लोन और कई अन्य योजनाएँ शामिल है।
साथ ही इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ग्राम पंचायत, जिला पंचायत और तहसील की व्यवस्था स्थापित है। निकट भविष्य में यहाँ विधानसभा चुनावों की व्यवस्था भी की जा रही है। निर्वाचन आयोग ने यहाँ 25 नवम्बर, 2022 को संशोधित मतदाता सूची भी जारी की है। कुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या अब 90 हो गई हैं, जिनमें से 43 जम्मू में और 47 कश्मीर में विभाजित की गई है और 9 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
वित्त वर्ष 2021 में केंद्र शासित प्रदेश में ओद्योगिक क्षेत्र में 56,000 करोड़ रुपए तक के निवेश के आवेदन आए हैं। प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) के तहत रोड़, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, कृषि और कौशल विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यहाँ 11,000 करोड़ तक के 25 राष्ट्रीय राजमार्गों की नींव रखी है।
केंद्र शासित प्रदेश में चिनाब नदी ब्रिज सहित 9 ब्रिजों का निर्माण किया गया है। साथ ही, विभिन्न सुरंगों और रेल लाइनों का कार्य भी जारी है। जम्मू एवं कश्मीर में जल्द ही आईआईटी, आईआईएम और एम्स की सुविधा उपलब्ध होगी। एम्मार ग्रुप श्रीनगर में शॉपिंग मॉल बना रहा है, लुलु ग्रुप एक खाद्य प्रसंस्करण इकाई विकसित कर रहा है और डीपी वर्ल्ड यहाँ एक अंतर्देशीय बंदरगाह का निर्माण कर रहा है।
यह वो समय है जब घाटी में पर्यटन अपने चरम पर तो आतंकवाद न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हाल के दिनों में उग्रवाद से संबंधित घटनाओं में कमी आई है। पहले जहाँ सालाना 4,767 मामले सामने आते थे तो वर्ष 2021 तक उनकी सँख्या घटकर 721 मामलों पर पहुँच गई है। इस वर्ष की बात करें तो अभी तक देश ने अपने 25 सुरक्षाकर्मियों को खोया है, जिनकी सँख्या पिछले कुछ वर्षों में अपने निचले स्तर पर है।
साथ ही, घाटी से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में 40% तक की गिरावट आई है। इन घटनाओं में कमी का एक कारण सीआईडी द्वारा पथराव और उग्रवादी घटनाओं में शामिल रहे लोगों के पासपोर्ट एवं सरकारी सुविधाओं के लिए जरूरी सुरक्षा मंजूरी से इनकार करना भी है।
हालाँकि, इसी वर्ष सितम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 के उन्मूलन के विरोध में लगाई गई 5 याचिकाओं की सुनवाई को मंजूरी दी है लेकिन, आँकड़ों और स्थिति का आकलन करके पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष राज्य का दर्जा हटाने के निर्णय ने राज्य को फायदा ही पहुँचाया है। सरकार के प्रयासों से आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की एक खुशहाल, शान्तिपूर्ण और समृद्ध राज्य की छवि बनकर उभरेगी।