जम्मू कश्मीर में तीन दशकों से बंद सिनेमा घर खुलने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जामिया मस्जिद के बंद होने पर सवाल खड़े किए थे। इस पर श्रीनगर पुलिस ने ट्वीट करके कहा है कि “Staying far is no excuse of ignorance”. (दूर रहना आपको जानकारी का अभाव होने के लिए कोई तर्क नहीं है)।
जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सिन्हा द्वारा शोपियां और पुलवामा जिलों में सिनेमाघरों की शुरुआत करने पर ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि शोपियों और पुलवामा में सिनेमाघर तो खोल दिए लेकिन, श्रीनगर की जामिया मस्जिद हर शुक्रवार बंद रहती है। कम से कम इसे दोपहर की नमाज के लिए तो खोल दो।
हालाँकि, ओवैसी के दावे का श्रीनगर पुलिस ने खंडन करते हुए बताया कि जामिया मस्जिद पूरी तरह से खुली हुई है। दूर रहने के कारण जानकारी ना होना, किसी सांसद के लिए कोई बहाना नहीं है।
श्रीनगर पुलिस के अनुसार, जामिया मस्जिद के अधिकारियों द्वारा स्थिति नियंत्रित ना रहने के बाद आतंकवादी हमलों और कानून व्यवस्था बिगड़ने के इनपुट के चलते मस्जिद को शुक्रवार की दोपहर की प्रार्थना के लिए कोरोना के बाद से सिर्फ 3 मौकों पर ही बंद किया गया है।
कश्मीर में अपनी तुष्टीकरण की राजनीति के लिए ओवैसी ने लगातार दावे किए कि, जामिया मस्जिद 45 शुक्रवारों से बंद है और इस संबंध में उन्होंने मनोज सिन्हा पर लगातार सवाल खड़े किए हैं।
हालाँकि, श्रीनगर पुलिस ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए एक तस्वीर जारी की, जिसमें मस्जिद के अंदर नमाजियों को देखा जा सकता है। पुलिस ने कहा कि यह तस्वीर झूठ का पर्दाफाश करने के लिए काफी है। झुठे दावों को ट्वीट करना एक बात है लेकिन, उससे चिपके रहना अलग ही स्तर दिखाता है।
दरअसल, 20 सितंबर को लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सिन्हा ने घाटी के पहले मल्टीप्लेक्स का उद्दघाटन किया था। इससे पहले उन्होंने 18 सितंबर को शोपियां और पुलवामा में भी सिनेमाघरों का शुभारंभ किया था। इसके बाद से ही ओवैसी अपने गलत तथ्यों के साथ मनोज सिन्हा को लेकर हमलावार नजर आ रहे थे। मनोज सिन्हा ने कश्मीर में एक बार फिर सिनेमाघर खुलने को कश्मीर में एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक क्रांति बताया था।
ओवैसी की गलतबयानी
AIMIM के अध्यक्ष ओवैसी अपने सामाजिक कार्यों से ज्यादा अपनी गलतबयानी के लिए जाने जाते हैं। किसान आंदोलन के दौरान भी उनका भड़काऊ बयान सामने आया था। जब उन्होंने कहा था, “किसानों के साथ ऐसे बर्ताव किया जा रहा है…जैसे कि वो चीनी सेना के सैनिक हों”
मामला सिर्फ राजनीतिक घटनाओं तक सीमित नहीं रहता, ओवैसी सामाजिक सरोकार से जुड़े मामलों पर धर्म विशेष का रंग चढ़ाने से पीछे नहीं हटते हैं। साल 2018 में भी तीन तलाक के मामले पर मोदी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर ओवैसी भड़क उठे थे और कहा था कि सरकार कानून के जरिए शरियत को निशाना बना रही है। 2018 में ही औवेसी ने कहा था, “अगर आप मेरे गले पर चाकू भी रखेंगे तो भी मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा”
मोदी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए बनाए जा रहे कानूनों पर ओवैसी को हमेशा से परेशानी रही है। 2021 में शादी की उम्र 18 से 21 किए जाने पर AIMIM नेता कहा था कि 18 की उम्र में लोग शारीरिक संबंध तो बना सकते हैं लेकिन, शादी नहीं कर सकते। साथ ही, जनसंख्या नियंत्रण कानूनों पर तो उन्होंने मोदी सरकार को चुनौती तक देते हुए कहा था कि बनाओ दो बच्चे का कानून, हम देखते हैं।
2021 में ही उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयोजित हुई चुनावी सभा में उन्होंने कहा, योगी और मोदी हमेशा नहीं रहेंगे…तब तुम्हें कौन बचाएगा।
हिजाब विवाद, तीन तलाक, चुनावी सभाओं में ओवैसी अपनी गलतबयानी के जरिए आम जनता को बहकाते नजर आते हैं और अब उन्होंने अपनी गलतबयानी के लिए गलत तथ्यों का इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है। ओवैसी की ये गलतबयानी धर्म विशेष के अधिकारों के लिए तो नहीं हो सकती है तो आखिर वोट बैंक की राजनीति के लिए कब तक ओवैसी गलत तथ्यों और बयानों का सहारा लेते रहेंगे?