तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी के संस्थापक सदस्य और भारत समेत पूरी दुनिया में इस्लामिक शासन स्थापित करने के लिए काम करने वाले कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी के साथ अब Congress पार्टी ने एक तरह से गठबंधन कर लिया है।
हो सकता है कि आप हैरान हो गए हों? आप सोच रहे हो कि ऐसा कैसे हो गया? जमात-ए-इस्लामी के साथ कांग्रेस क्यों जाएगी? आतंकी संगठन SIMI के संस्थापक सदस्य और दंगों के आरोपी उमर खालिद का समर्थन कांग्रेस क्यों लेगी?
देखिए, हुआ ये है कि केरल में हो रहे विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव में वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया ने Congress का खुलकर समर्थन किया है। बड़ी बात ये है कि वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया जमात-ए-इस्लामी हिंद से संबंधित है, कह सकते हैं कि उसी का पॉलिटिकल आउटफिट है।
इस कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन का उद्देश्य दुनियाभर में इस्लामिक शासन की स्थापना करना है। इस संगठन से संबंधित वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया जिसने केरल में कांग्रेस का समर्थन किया है उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद क़ासिम रसूल इलियास हैं और ये संयोग नहीं हो सकता कि वे उमर खालिद के पिता भी हैं।
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सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उमर खालिद के पिता इलियास प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन SIMI के संस्थापक सदस्यों में से भी एक हैं।
प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का उद्देश्य पूरे देश को जिहाद के ज़रिए, हिंसा के जरिए कन्वर्ट करके भारत को इस्लामिक देश में बदलने का था। 2001 में इस आतंकी संगठन को भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। उसके बाद इलियास सिमी से दूर हो गए थे।
अब आप समझ गए होंगे कि कैसे ये सब कड़ियां अंतत: कांग्रेस से जाकर जुड़ जाती हैं। उमर खालिद दिल्ली दंगों के मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर आरोपित हैं। उनके पिता सैय्यद इलियास हैं- इलियास इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए काम करने वाले कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी से संबंधित राजनीति दल के अध्यक्ष हैं।
इलियास आतंकी संगठन सिमी के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं और इलियास ने ही कांग्रेस को समर्थन दिया है। और तो और, इलियास और SIMI का केस लड़ने वाले पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेसी सलमान खुर्शीद थे।
अब सवाल ये है कि जब जमात-ए-इस्लामी से Congress समर्थन ले रही है तो क्या ये नहीं माना जाना चाहिए कि उस संगठन के विचारों का भी कांग्रेस समर्थन करती है?
सवाल यह है कि जमात-ए-इस्लामी को सेक्युलर बताने वाले राहुल गांधी की क्या कांग्रेस पार्टी भी भारत में इस्लामिक शासन चाहती है?
ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी को लेकर लगातार यह चर्चा हो रही है वो अब मुस्लिम लीग के रास्ते पर चलती दिखाई दे रही है। क्या जमात-ए-इस्लामी से समर्थन उसी क्रम में एक और कदम है?
कांग्रेस पार्टी को ना सिर्फ जमात-ए-इस्लामी से समर्थन पर देश को जवाब देना चाहिए, बल्कि यह भी बताना चाहिए कि क्या पार्टी जेल में बंद उमर खालिद के साथ खड़ी है?
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राहुल गांधी को यह भी बताना चाहिए कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन के संस्थापक सदस्य इलियास से उनकी पार्टी क्यों समर्थन ले रही है?
यहाँ एक महत्वपूर्ण बात और समझिए, जमात-ए-इस्लामी से समर्थन लेने पर कांग्रेस के विरुद्ध सबसे ज्यादा केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन हमलावर हैं।
वे कह रहे हैं कि जमात-ए-इस्लामी लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं करता। विजयन Congress से, राहुल गांधी से और प्रियंका गांधी से जवाब मांग रहे हैं। मजे की बात ये है कि केरल में यही CPI (M) कांग्रेस का विरोध कर रही है, कांग्रेस की नीतियों का विरोध कर रही है और राष्ट्रीय स्तर पर वही CPI (M) कांग्रेस के साथ इंडी गठबंधन में है।
इससे एक बात स्पष्ट है कि चाहे वो कांग्रेस हो या फिर CPI (M) हो, ये पार्टियां आज विचारधारा के लिए राजनीति करती दिखाई नहीं दे रहीं बल्कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए छटपटाती दिखाई दे रही हैं।
यही कारण है कि कांग्रेस जमात-ए-इस्लामी से समर्थन लेती है और CPI (M) कांग्रेस की आलोचना करने के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर उसके साथ गठबंधन में रहती है।