अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में चल रही संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अन्य सदस्य देशों को भारत की आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने की जानकारी दी। विदेश मंत्री ने जनरल असेंबली के सामने भारत के बहुपक्षीय समर्थक, शान्ति समर्थक व आतंकवाद विरोधी देश के स्वरूप को सामने रखा।
विदेश मंत्री ने भारत की बहुपक्षवाद की नीति के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत ने कोविड-19 की महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को वैक्सीन की आपूर्ति में मदद की, जिससे भीषण आपदा के समय में लोगों को राहत मिली। भारत अन्य देशों के साथ मिलकर ग्रीन डेवलपमेंट, बेहतर कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य व्यवस्था की आसान उपलब्धता तथा डिजिटल डिलीवरी के जुड़े हुए क्षेत्रों में कार्य कर रहा है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने एक जिम्मेदार देश होने के नाते 50,000 मीट्रिक टन गेहूँ और दवाईयों की आपूर्ति अफगानिस्तान को की। एस जयशंकर ने श्रीलंका को 3.8 बिलियन डॉलर के कर्ज और म्यांमार को 10,000 हजार मीट्रिक टन खाद्य सहायता देकर अपने पड़ोसी देशों की मदद करने का उल्लेख किया। इसके साथ ही भारत अपने पड़ोसी देशों को मानवीय जरूरतों की अन्य चीजों पर भी कार्य कर रहा है।
रूस यूक्रेन युद्ध से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रूस के राष्ट्रपति पुतिन को दिए हुए संदेश “यह युद्ध का युग नहीं है” को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत शान्ति के पक्ष में है और मजबूती से रहेगा। भारत संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और उसके सिद्धांतों का सम्मान करता है। भारत का मानना है कि हर मसले का हल बातचीत और कूटनीति से ही निकाला जा सकता है और निकालना भी चाहिए।
विश्व पहले से ही कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई समस्याओं से घिरा हुआ है। साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद्य ईंधन और उर्वरक के दामों में जो वृद्धि आई है। वह इन समस्याओं को और जटिल बनाता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रचनात्मक रूप से कार्य करते हुए इस युद्ध का समाधान करना होगा और यही करना सबके हित में होगा।
आतंकवाद के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना दोनों देशों को आड़े हाथों लिया। विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी बातें, चाहे वह कितनी भी पवित्र क्यों न हो, खून से सने हाथों को कभी नहीं छुपा सकती। चीन का नाम न लेते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जो लोग UNSC 1267 प्रतिबंध शासन का राजनीतिकरण करते हैं, चाहे घोषित आतंकवादी के बचाव की हद तक क्यों न हो, वह न तो अपने स्वयं के हितों को आगे बढ़ाते हैं, न ही अपनी प्रतिष्ठा को।
हाल ही में चीन ने भारत-अमेरिका द्वारा लश्कर-ए-तैयबा के भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी।