अगस्त 2024 की शुरूआत से बांग्लादेश में चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। उनके घर जलाए जा रहे हैं, उनके पूजा स्थलों पर हमले किए जा रहे हैं, उन्हें मारा जा रहा है। पूरी दुनिया ये सब होते हुए देख रही है।
दुनिया भर में ये मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं लेकिन बांग्लादेश के वर्तमान शासक मोहम्मद यूनुस हिंदुओं के विरुद्ध लगातार हो रही इस हिंसा को प्रोपेगेंडा बता रहे हैं। यूनुस खुद को बांग्लादेश की कथित अंतरिम सरकार का चीफ़ एडवाइज़र कहते हैं, हालांकि वहाँ के संविधान में ऐसे किसी पद का कोई प्रावधान नहीं है- लेकिन यूनुस ने अपने लिए पद क्रिएट करवा लिया और सरकार के मुखिया बनकर बैठ गए।
यूनुस जिन्हें एक बड़ा सेक्शन अमेरिकी डीप स्टेट का पिट्ठू कहता हैं, वे स्वयं को बहुत सॉफिस्टिकेटेड बताते हैं। स्वयं को बड़ा उदारवादी दिखाते हैं। वास्तव में वे इतने उदारवादी हैं कि हिंसा के विरुद्ध हो रहे हिंदुओं के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए इस्कॉन के बड़े संत Chinmoy Krishna Das के ऊपर देशद्रोह का फर्जी केस लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया।
सबसे बड़ी बात ये है कि कोई आरोप नहीं मिला तो यही आरोप लगा दिया कि दास के प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेश के झंडे के ऊपर दूसरा झंडा रखा गया। अब आप समझिए, इसके आगे क्या कुछ कहा जा सकता है? इससे बड़ा दोगलापन और कुछ हो सकता? इससे बड़ी हिप्पोक्रेसी और कुछ हो सकती है?
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एक ऐसा नेता जो स्वयं को मसीहा की तरह पेश करता है। जो कहता है कि उसके मुल्क में हिंदुओं पर कोई हमले नहीं हो रहे बल्कि सबकुछ प्रोपेगेंडा है। सबकुछ बढ़ाचढ़ाकर दिखाया जा रहा है। उसकी सरकार एक हिंदू संत को इस आरोप में जेल में डाल देती है कि कोई दूसरा झंडा, मुल्क के झंडे से ऊपर रखा था।
अब आगे और ध्यान से पढ़िए, इस्कॉन के संत और बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोट के अध्यक्ष Chinmoy Krishna Das को जेल में डाला। उन्हें जमानत नहीं मिलने दी और जब हिंदुओं ने उनकी गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया तो उनके ऊपर ही लाठीचार्ज करवा दिया।
कोर्ट के बाहर हिंदुओं पर हमला किया गया और सिर्फ हिंदुओं पर ही क्यों, खबरों की मानें तो चिन्मय कृष्ण दास के वकील, जो ख़ुद मुस्लिम था, उसको भी पीट-पीटकर यूनुस के समर्थकों की भीड़ ने मार डाला। ये है कथित महान यूनुस की उदारवादी और नए बांग्लादेश की सरकार।
हिंदू संत को जेल में डाल दिया, ख़बरों के अनुसार उनके वकील की हत्या कर दी गई, लेकिन मामला यही नहीं रुका बल्कि यहाँ से शुरू हुआ और फिर वही हुआ जो अगस्त से बांग्लादेश में हो रहा है। सम्मिलित सनातनी जागरण जोट ने मीडिया को बताया है कि कोर्ट में हिंसा के बाद हिंदुओं को निशाना बनाया गया।
चिटगाँव में हिंदुओं के घरों में आग लगा दी गई। उनकी दुकानों में तोड़फोड़ की गई। कई मंदिरों पर भी हमला किया गया। हिंदुओं के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए चिटगाँव में सड़कों पर रैलियां निकाली गईं। सड़क पर अगर कोई रक्षासूत्र पहने हुए सनातनी दिखा तो उसकी पिटाई की जा रही है।
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यह सब हो रहा है। वीडियो फुटेज हैं, मीडिया रिपोर्ट्स हैं, प्रत्यक्षदर्शी हैं सबकुछ है लेकिन नॉबेल लॉरिएट मोहम्मद यूनुस इसे नकार देंगे हो सकता है कि ‘द हिंदू’ की पत्रकार सुहासिनी हैदर एक बार फिर उनका कथित इंटरव्यू करेंगी और वे पिछली बार की तरह कह देंगे कि ये सब तो प्रोपेगेंडा है। ऐसा कुछ तो हुआ ही नहीं।
मजे की बात ये है कि सुहासिनी हैदर जैसे पत्रकार उनसे पलटकर ये भी नहीं कहते है कि फिर ये वीडियो क्या हैं? जो घर जलाए गए वो क्या हैं? जो मंदिरों पर हमले किए गए वो क्या हैं? प्रत्यक्ष को कोई कैसे प्रोपेगेंडा कह सकता है? लेकिन यूनुस कह सकते हैं और पूरा इकोसिस्टम उनके ही बयान को अंतिम सत्य मानकर कहेगा कि देखो यूनुस कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों पर कोई हमले नहीं हो रहे।
एक बात और समझिए, वैश्विक वामंपथी उदारवादी इकोसिस्टम चुपी साधकर बैठा है। अगस्त से लेकर दिसंबर आने वाला है, पिछले 4 महीने से लगातार हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है लेकिन एक भी कथित निष्पक्ष इंटरनेशनल मीडिया में उन पर हो रहे अत्याचारों पर बात नहीं हो रही बल्कि अल-जजीरा जैसे प्रोपेगेंडा पॉर्टल यूनुस के इंटरव्यू को ही बार-बार चला रहे हैं और दिखा रहे हैं कि हिंदुओं के विरुद्ध कोई हिंसा नहीं हो रही बल्कि वो सब प्रोपेगेंडा है।
हमारे देश में भी कांग्रेसी-वामपंथी इकोसिस्टम यही कर रहा है। कुछ समय पहले ही द वायर के संस्थापक सिद्धार्थवर्धराजन कह रहे थे कि बांग्लादेशी हिंदुओं की चिंता करना मूर्खता है।
काश: प्रोपेगेंडा ही होता तो कम से कम बांग्लादेश के हिंदुओं को इतनी क्रूरता न सहनी पड़ती, उनके घर जल न रहे होते, उनके मंदिर जलाए न जा रहे होते, उनकी हत्या न की जा रही होती, रक्षासूत्र देखकर उन्हें मारा न जा रहा होता लेकिन दुर्भाग्य ये सब सत्य है प्रोपेगेंडा नहीं। इसलिए हमें बोलना पड़ेगा, हमें कहना पड़ेगा कि ये प्रोपेगेंडा नहीं है नॉबेल लॉरिएट मोहम्मद यूनुस। जलते हुए घर, मरते हुए लोग और जेल में बंद संत प्रोपेगेंडा नहीं हो सकते।