देशव्यापी छापों में आज विवादित संगठन PFI के 100 से ज्यादा सदस्यों को आतंकी संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया है, देश के 11 राज्यों में हुई इस छापेमारी में केंद्रीय एजेंसियां NIA,ED और राज्यों की पुलिस तथा जांच एजेंसियां शामिल हैं। इन छापों में PFI के मुखिया ओएमए सलाम और PFI दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद को एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है। PFI का मुख्यालय भी सील किए जाने की सूचना है।
तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश तथा अन्य 8 राज्यों में हुई इस छापेमारी में संगठन के 106 सदस्यों को धरा गया है। लगातार साम्प्रादायिक उन्माद फैलाने के आरोपी इस मुस्लिम संगठन पर यह अब तक की गई सबसे बड़ी कारवाई है।
इस संगठन के ऊपर भारत में कई आतंकवादी घटनाओं में लिप्त रहे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन SIMI का ही नया रूप होने के आरोप है। इससे जुड़े लोगों का नाम स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से भी जुड़ा था। लगातार कई राज्यों की सुरक्षा एजेंसियां इस संगठन को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहीं हैं।
क्या है SIMI और PFI का गठजोड़?
PFI के बनने की कहानी जानने से पहले हमें SIMI के बारे में जानना होगा, SIMI को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दीकी और अन्य साथियों के द्वारा 1970 के दशक में बनाया गया था। बाद में इस संगठन के अलगाववादी विचारों, आतंकवादी संगठनों से जुड़ाव और उनकी मदद करने के कारण अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में पोटा कानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था।
SIMI के प्रतिबंधित होने के बाद कई और संगठन सामने आए, इन संगठनो को SIMI के ही सदस्यों द्वारा बनाया गया था। SIMI के स्थापना करने वाले व्यक्तियों में से एक पी कोया ने ही बाद में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (NDF) की स्थापना की, जिसका आगे चलकर विलय अपनी ही बनाए PFI में कर दिया।
इसके अतिरिक्त, SIMI के एक और प्रमुख नाम एम गुलाम अहमद ने महिला नीति पसाराई(MNP) का गठन किया और बाद में इसका PFI में विलय कर दिया। PFI के शुरुआती सदस्यों में कई नाम ऐसे हैं जिनका पहले SIMI से सम्बन्ध था। ई एम अब्दुलरहमान, ई अबूबकर और नसरुदीन आदि कुछ ऐसे ही नाम हैं। यह सभी व्यक्ति PFI में ऊंचे पदों पर हैं व पहले SIMI में भी बड़े पदों पर काम कर चुके हैं।
इन सभी संगठनों जिनमें NDF, MNP कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (KDF) जैसे संगठनों को PFI में 2006 में विलय करा दिया गया था। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सुरक्षा एजेंसियों के राडार से बचने के लिए इन छद्म संगठनों को बनाया गया और समय आने पर वापस PFI में मिला दिया गया।
खबरों के अनुसार, वर्तमान में 2 साल से सजा काट रहे देशविरोधी गतिविधियों के आरोपी उमर खालिद के पिता सैय्यद कासिम रसूल इल्यास भी पहले SIMI के सदस्य थे।
दूसरी ओर SIMI का संस्थापक अहमदुल्लाह सिद्दीकी अब अमेरिका में एक पाकिस्तानी अब्दुल मालिक मुजाहिद के साथ मिलकर भारत विरोधी एजेंडा अमेरिका में चलाने वाले इन्डियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल और जस्टिस फॉर आल जैसे संगठनों के साथ काम कर रहा है। यह संगठन वैश्विक मंच पर भारत के कट्टरपंथियों के लिए सहानुभूति जुटाने का काम करते हैं।
2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश
जुलाई 2022 में बिहार पुलिस के द्वारा चौंकाने वाले खुलासे में PFI के एक 2047 वाले दस्तावेज के बारे में बताया था। 8 पन्नों का यह दस्तावेज भारत को 2047 में भारत में इस्लामिक सरकार स्थापित करने की योजना बताता है, इसके अन्दर कहा गया है कि भारत की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी को घुटनों पर लाकर इस्लाम का गौरव पुनः प्राप्त किया जाएगा।
साथ ही इस दस्तावेज में लिखा है कि संगठन का इस समय मुख्य ध्यान नए सदस्यों की भर्ती और उन्हें हथियारों कित्रेनिंग देना होना चाहिए। दस्तावेज में उन लोगों का सफाया भी करने की बात कही गई है जो इसके मकसद के खिलाफ हैं। PFI द्वारा हिन्दुओं में जातीय आधार पर फूट डालकर उनमें अलगाव की भावना का विकास करने का विचार भी इस दस्तावेज में है।
भारत में इस्लामिक सरकार की स्थापना के लिए अनुसूचित जातियों/ जनजातियों और पिछड़े वर्ग के लोगों को उच्च जातियों के लोगों से दूर करके अपने पक्ष में किया जाएगा तथा सरकार की स्थापना होगी। संगठन सरकारी विभागों जैसे न्याय व्यवस्था, सेना और पुलिस में भी अपने हितैषियों की भर्ती की योजना बना रहा है।
भारत तोड़ने का लगातार षड्यंत्र
PFI और इससे जुड़े लोग लगातार भारत विरोधी कार्यों में संलग्न रहे हैं। महाराष्ट्र के अमरावती में एक मेडिकल के मालिक की सोशल मीडिया पर पोस्ट के कारण हुई हत्या में अमरावती के PFI के जिलाध्यक्ष सोहेल नदवी से NIA ने पूछताछ की थी, उसे NIA ने हिरासत में भी लिया था।
दूसरी तरफ PFI के समर्थक अजमेर शरीफ दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सैय्यद सरवर चिश्ती ने 2020 में एक बयान में कहा था कि अबकी से ऐसा आन्दोलन करेंगे कि पूरा हिन्दुस्तान हिल जाएगा। यहाँ तक कि केरल की सरकार ने 2012 में हाईकोर्ट को यह जानकारी दी थी कि PFI के तार SIMI से जुड़े हुए हैं।
इससे जुड़े हुए सदस्यों के अन्य संगठनों द्वारा भारत की छवि विदेशों में खराब करवाने के लिए बड़ी मात्रा में पैसे का उपयोग किया गया है। ऐसे ही एक मामले में जस्टिस फॉर आल के बर्मा वाले समूह के द्वारा अमेरिका की मानवाधिकार रिपोर्ट में भारत की छवि को खराब दिखाने के लिए 2 करोड़ रुपयों से ज्यादा की धनराशि को खर्चा गया था।
इन सब घटनाओं से साफ हो रहा है कि PFI कोई नया संगठन नहीं बल्कि पुराने आतंकी संगठन SIMI का ही बदला हुआ रूप है जो लगातार भारत में धार्मिक विद्वेष के जरिए माहौल बिगाड़ने में जुटा हुआ है।