समरकंद में चल रही SCO देशों की बैठक दुनिया का ध्यान खींचने वाली परिघटना बन गई है। ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शामिल होने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ईरान 2023 में भारत में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में भाग लेगा।
ईरान को अमेरिकी प्रतिबंधों से मिलेगी राहत
ईरान अपने न्यूक्लियर कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों को झेलता आ रहा है जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। SCO में शामिल होने से, अब ईरान को अमेरिका द्वारा उस पर लगाए गए प्रतिबंधों से राहत मिलने की उम्मीद है। समूह में ईरान का प्रवेश भारत के लिए भी रणनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ईरान के माध्यम से यूरेशियन क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाना चाहता है।
ईरान के एक पूर्णकालिक सदस्य के रूप में SCO में शामिल होने से, यूरेशियन क्षेत्र में भारत की कनेक्टिविटी बढने में मदद मिलेगी और इससे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से भी राहत मिलेगी।
यह भारत के लिए प्रासंगिक क्यों है?
भारत लंबे समय से लैंडलॉक्ड सेंट्रल एशियन रिपब्लिक (CAR) तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है। बाकी एशिया के साथ भारत के सीधे संपर्क में पाकिस्तान एक बाधा के रूप में कार्य करता है, क्योंकि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान ने भारत को अफगानिस्तान तक पहुंच से वंचित कर दिया है। इस कारण भारत जमीनी क्षेत्र से अफगानिस्तान, ईरान, ईराक और उससे आगे यूरेशिया होते हुए यूरोप तक जमीनी पहुँच से एकदम कटा हुआ है, जो व्यापारिक और भूराजनीतिक दोनों ही दृष्टि से भारत की स्थिति को कमजोर करता है।
इसलिए, ईरान भारत के लिए पाकिस्तान को दरकिनार करके अफगानिस्तान तक पहुंचने का एक विकल्प बन जाता है। इसके लिए भारत ने ईरान में रणनीतिक चाबहार बंदरगाह और चाबहार-जाहेदान रेलवे परियोजना सहित विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को विकसित किया है, जो भारत को अफगानिस्तान और आगे मध्य एशिया तक पहुंचने में मदद करेंगे।
ईरान की कथित परमाणु प्रसार गतिविधियों को लेकर उसके ऊपर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण, भारत द्वारा ईरान में इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण कार्यों में भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ा है। अब SCO में ईरान के शामिल होने के कारण भारत का ईरान के साथ बेहतर समन्वय हो सकेगा और इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के अवरोध भी हटेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC)
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा एक मल्टी-मॉडल ट्रांजिट रूट है जो भारत, ईरान, अजरबैजान, मध्य एशिया और रूस को माल परिवहन के लिए जहाज, रेल और सड़क के माध्यम से जोड़ेगा।
- कॉरिडोर सभी मध्य एशियाई देशों के लिए चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विकल्प होगा।
- भारत के लिए, यह गलियारा बहुत आर्थिक महत्व का है क्योंकि भारत अब यूरोप और सभी मध्य एशियाई देशों से बहुत आसानी से परिवहन मार्गों से जुड़ सकेगा।
- SCO समूह में ईरान के प्रवेश से भारत को इस परिवहन गलियारे का अधिक प्रभावी तरीके से उपयोग करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
ईरान पश्चिम एशिया में भारत का रणनीतिक साझेदार है। SCO में इसका प्रवेश भारत के लिए फायदेमंद है क्योंकि इस समूह पर चीन का दबदबा है, जिसके साथ भारत के संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण चल रहे हैं। ईरान को भी इस समूह में शामिल होने से उसकी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए एक नया मंच मिलेगा, जो लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।