भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहा है, जिसके तहत देश में असेंबली संचालन में Apple के बढ़ते निवेश ने अग्रणी भूमिका निभाई है। परंपरागत रूप से, Apple अपने iPhones के उत्पादन के लिए चीन में मैनुफैक्चरिंग की सुविधाओं पर बहुत अधिक निर्भर करता था। हालाँकि, हाल के वर्षों में, कंपनी ने भारत में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े पार्टिसिपेंट के रूप में स्थापित करने के सरकार के प्रयासों का परिणाम है। इस बदलाव ने न केवल भारत के निर्यात को बढ़ावा दिया है, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं और Google जैसी अन्य टेक जायंट्स की रुचि देश में निवेश के लिए भी बढ़ाया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का परिणाम यह है कि Apple एक बड़े निवेशक के रूप में उभरा है। वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत ने $15 बिलियन मूल्य के स्मार्टफोन निर्यात किए, जिसमें iPhones ने इस आंकड़े में $10 बिलियन का योगदान दिया। iPhone निर्यात में यह उछाल वैश्विक तकनीकी कंपनियों के लिए मैनुफैक्चरिंग सेंटर के रूप में भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है।
भारत में अपने असेंबली संचालन को बढ़ाने का Apple का निर्णय इसकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और विस्ट्रॉन जैसे प्रमुख अनुबंध निर्माताओं ने भारत में परिचालन स्थापित किया है, जो सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत बिक्री और निवेश सीमा को पूरा करते हैं। इन निवेशों ने न केवल iPhone उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि देश भर में हजारों नौकरियों का सृजन भी किया है।
भारत में Apple के विस्तार का अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव दिखाई दे रहा है। रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं और सहायक उद्योगों में वृद्धि हुई है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि Apple वर्तमान में 1.5 लाख लोगों को सीधे रोजगार देता है, और आपूर्तिकर्ता श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा अगले तीन वर्षों में लगभग 5 लाख व्यक्तियों को रोजगार दिए जाने की संभावना है। इसके अलावा, विदेशी निवेश के प्रवाह ने अन्य कंपनियों की रुचि को बढ़ाया है, जिससे भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र को और बढ़ावा मिला है।
इस प्रगति के बावजूद एक मैनुफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में भारत की वृद्धि को बनाए रखने और गति देने के लिए कई चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है। स्मार्टफोन कॉम्पोनेंट्स पर ऊँचे आयात शुल्क को भारत में निवेश करने की इच्छुक विदेशी कंपनियों के लिए एक बाधा के रूप में उद्धृत किया जा रहा है। काम्प्लेक्स टैक्स स्ट्रक्चर और मुख्य भूमि चीन की कंपनियों के प्रति प्रतिकूल रुख Apple और उसके आपूर्तिकर्ताओं के लिए अतिरिक्त बाधाएँ उत्पन्न करता है।
इन चुनौतियों से पार पाने के लिए, भारत सरकार कॉम्पोनेंट्स पर टैक्स के लिए विनियमों को सुव्यवस्थित करने और टैरिफ दरों को कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। कर दरों में सामंजस्य स्थापित करने और विदेशी निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के प्रयास चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त, PLI योजना जैसी पहलों का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना और वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
iPhone निर्माण में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भारत का उभरना वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनने की दिशा में देश की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। Apple का निवेश भारत के कुशल कार्यबल और अनुकूल कारोबारी माहौल की क्षमता को रेखांकित करता है। हालाँकि, उच्च आयात शुल्क और नियामक जटिलताओं जैसी चुनौतियों का समाधान इस गति को बनाए रखने और आगे के निवेश को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा। सरकार और उद्योग हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों से, भारत के पास आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए अग्रणी गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर है।