हरियाणा के पानीपत में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) जल्द ही अपना पहला ग्रीन हाइड्रोजन जनरेशन प्लांट स्थापित करने जा रहा है। इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है और अगले 30 महीनों में बड़ी परियोजना आने वाली हैं।
IOCL ने सोमवार को अपनी भूमि पर पानीपत रिफाइनरी के पास में इकाई स्थापित करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला है। प्रतिवर्ष कुल 10 KTA की क्षमता के साथ यह भारत के सबसे बड़े ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट में से एक होगा और इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में पिछले जलवायु शिखर सम्मेलन में भी की थी।
इससे पहले 2021 में IOCL ने दो ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित करने की अपनी योजना रखी थी एक 5KTA की क्षमता के साथ मथुरा में और दूसरी 2KTA की क्षमता के साथ पानीपत में। हालांकि मथुरा की योजना को छोड़ते हुए अब इस प्लांट को 10KTA क्षमता के साथ पानीपत में स्थापित किया जा रहा है।
क्या है नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन?
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका लक्ष्य भारत को 2047 तक ऊर्जा के मामले में स्वतंत्र बनाना है और 2070 तक नेट ज़ीरो एमिशन हासिल करना है। नेट जीरो एमिशन का मतलब ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य करना नहीं होता है बल्कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को अन्य प्रयासों से संतुलित करना होता है। यानी, एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना जिसमें कार्बन उत्सर्जन करने वाली दूसरी चीजों का इस्तेमाल भी बहुत कम हो।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सभी आर्थिक क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना भारत के ऊर्जा संक्रमण के केंद्र में है। इसका उपयोग लंबे समय तक रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है केवल इतना ही नहीं बल्कि स्वच्छ परिवहन, बिजली उत्पादन और समुद्री परिवहन के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
इस मिशन को कुछ मुख्य उद्देश्यों के साथ मंजूरी दी गई है। जैसे भारत को दुनिया में ग्रीन हाइड्रोजन का सबसे बड़ा प्रोडूसर और सप्लायर बनाना, ₹8 लाख करोड़ से अधिक का निवेश, रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर पैदा करना, व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देना, अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का समर्थन करना जैसे कुछ मुख्य उद्देश्य के साथ इस मिशन को मंजूरी दी गई है।
वहीं IOCL का इसको लेकर यह इरादा रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग करके पानीपत रिफाइनरी के मौजूदा हाइड्रोजन नेटवर्क के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के एकीकरण का है। नई यूनिट में 24×7 आधार पर 1,250 किलोग्राम प्रति घंटे की क्षमता की ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन यूनिट होगी।
यानी इस तरह के मिशन से यह साफ़ होता है कि भारत आज अपनी वर्तमान स्थिति को बदलने की राह पर अग्रसर है और ग्रीन हाइड्रोजन मशीन द्वारा स्वतंत्र बनने की और कार्य कर रहा है।
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