वैश्विक एजेंसियों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारतीय अर्थव्यस्था में बदलाव के साथ बढ़त लगातार जारी है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय औद्योगिक उत्पादन के नए आँकड़े न केवल उत्साहजनक हैं बल्कि एक बेहतर भारतीय अर्थव्यवस्था की ओर इशारा कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि S&P ग्लोबल हर महीने भारतीय अर्थव्यवस्था सम्बंधित औद्योगिक गतिविधियों के विषय में PMI रिपोर्ट जारी करता है और सितम्बर माह के लिए एजेंसी की ओर से जारी PMI रिपोर्ट के अनुसार पिछले क्वार्टर में लगातार बढ़ती वैश्विक महंगाई के बावजूद भारतीय उत्पादों की लागत में स्थिरता बनी हुई है। रिपोर्ट में भारत के औद्योगिक प्रदर्शन की सराहना की गई है।
क्या है PMI?
PMI यानी पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स ऐसा सूचकांक है जो विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों के पर्चेजिंग मैनेजमेन्ट से प्राप्त उत्पादों की माँग और लागत सम्बंधित आंकड़े दर्शाता है तथा इस सूचकांक से औद्योगिक उत्पादन के विषय में तेजी या मंदी का पता लगता है। इस सूचकांक के अंतर्गत मैन्युफैक्चरिंग यानी निर्माण और सर्विस यानी सेवा क्षेत्र, दोनों आते हैं।
एजेंसी इस सर्वे के द्वारा देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से सम्बंधित आँकड़े 2005 से इकठ्ठा करती आई है।
सर्वे के अंतर्गत देश की प्रमुख कंपनियों से हर महीने आंकड़े इकठ्ठा किए जाते हैं जिनमें उत्पादन और लागत में बदलाव तथा अर्थव्यवस्था में माँग और स्थिरता सम्बंधित प्रश्न होते हैं। सर्वे की कार्य प्रणाली के अनुसार यदि किसी देश का PMI सूचकांक 50 से ऊपर है तो इसका अर्थ यह है कि उस देश का औद्योगिक उत्पादन सकारात्मक दिशा में है।
50 से नीचे का सूचकांक औद्योगिक क्षेत्र में कम उत्पादन के साथ अर्थव्यवस्था में विश्वास की कमी का सूचक है। इसके अंतर्गत सेवा और विनिर्माण क्षेत्र का सर्वे अलग अलग किया जाता है और दोनों को मिलाकर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। भारत में यह डाटा 400 कम्पनियों से एकत्र किया जाता है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
03 अक्टूबर को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार देश में औद्योगिक उत्पादन और अर्थव्यवस्था को लेकर कॉर्पोरेट सेक्टर का विश्वास बढ़ा है जो अर्थव्यवस्था की प्रगति का सूचक है। रिपोर्ट के अनुसार देश में सितम्बर माह में PMI सूचकांक 55.1 रहा, जो औद्योगिक उत्पादन की दृष्टि अच्छा है।
गत माह यानि अगस्त में यह सूचकांक 56.2 रहा था। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह लगातार 15वां ऐसा महीना है जब विनिर्माण क्षेत्र में तेजी रही है और कंपनियों को मिलने वाले नए ऑर्डर में लगातार वृद्धि देखी गई। निर्यात के नए ऑर्डर में भी बढ़ोतरी पिछले महीनों की भांति सितंबर महीने में भी देखी गई।
ज्ञात रहे कि भारतीय अर्थव्यवस्था में यह मजबूती तब देखी जा रही है जब विगत कई महीनों से अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी और बढ़ती महंगाई का प्रतिकूल असर रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सितम्बर माह में भी बढ़ते उत्पादन के कारण रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। रोजगार के नए अवसरों के साथ ही फैक्टरियों में कच्चे माल की खरीददारी भी बढ़ी है।
जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में आपूर्ति की समस्या चल रही है, उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था से निकल रहे ऐसे आँकड़े उत्साहजनक हैं। जितनी भी कम्पनियों का सर्वे किया गया उनमें से 91% ने यह बताया की पिछले माह के मुकाबले उनकी लागत में कोई परिवर्तन नहीं आया है। ये आँकड़े इसबात का संकेत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले क्वार्टर में देखी गई मँहगाई पर अब धीरे-धीरे काबू पाया जा रहा है।
S&P ग्लोबल के आर्थिक मामलों की निदेशक पोलयाना डे लीमा ने भारतीय अर्थव्यवस्था सम्बंधित आँकड़ों पर बात करते हुए बताया; “भारत में PMI के ताजा आंकड़े यह दिखाते हैं कि लगातार वैश्विक अस्थिरता और मंदी के डर के बावजूद भारतीय विनिर्माण क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन किया है।”
उनके अनुसार “सितंबर महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए ऑर्डर और उत्पादन में धीमी पर पर्याप्त बढ़ोतरी देखी गई। साथ ही ऐसा प्रतीत होता है कि उत्पादन में यह बढ़ोतरी आगे भी देखने को मिलेगी। लागतों में वृद्धि की दर में कमी देखी जा रही है। उद्योग और व्यापार में वर्तमान में जो आत्मविश्वास दिखा है, वह पिछले साढ़े सात वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर पर है।”
लगातार स्थिर है भारत की PMI
S&P सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2005 से 2014 तक PMI में लगातार अस्थिरता बनी रही। वित्त वर्ष 2008 से 2009 के बीच देश की औद्योगिक गति में भारी रूकावट देखी गई। इस दौरान भारत का PMI सूचकांक 45 के स्तर पर रहा जो नकारात्मक होने का इशारा है।
यह वही समय है जब पूरे विश्व में लेहमन ब्रदर्स संकट आया था। इसके अतिरिक्त वित्त वर्ष 2011-12 और 2013-14 के बीच भारत की औद्योगिक तरक्की लगातार कम रही। वर्ष 2014 के बाद आर्थिक नीतियों में किये गए बदलाव और उद्योग तथा व्यापार को प्रोत्साहन के चलते PMI सूचकांक स्थिर रहा और कोरोना काल ही ऐसा समय रहा जब यह सूचकांक नकारात्मक रहा।
चीन में मंद पड़ रही PMI
चीन के अंदर लगातार जारी रहने वाले कोरोना रोधी नियमनों और चीनी अर्थव्यवस्था में घटते विश्वास के कारण चीन का PMI घट रहा है। चीन में PMI के आँकड़े देने वाली एजेंसी काईशिन(CAIXIN) के मुताबिक सितम्बर में चीन का PMI 48.1 पर रहा। सूचकांक की दृष्टि से देखें तो यह चीन के लिए शुभ संकेत नहीं है।
इससे पहले भी अगस्त में यह सूचकांक 49.5 पर था। लगातार बढ़ते कोरोना प्रतिबंधों और घटते अंतर्राष्ट्रीय आर्डरों के कारण चीन में यह आँकड़ा नीचे आया है।