भारत के मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर ने जून 2024 में प्रभावशाली विकास दर दिखाया है। इसका प्रभाव यह रहा कि मैन्युफ़ैक्चरिंग PMI (Purchasing Managers’ Index) मई 2024 में 57.5 से बढ़कर जून 2024 में 58.3 पर पहुंच गया। HSBC और S&P Global दोनों द्वारा रिपोर्ट की गई यह वृद्धि दर रिकॉर्ड रोजगार के आँकड़े भी साथ लेकर आई है। दरअसल रोजगार में वृद्धि मजबूत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग का परिणाम है, जिससे पूरे क्षेत्र में उत्पादन और खरीद गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
PMI, एक प्रमुख Economic Index है, जो मैन्युफ़ैक्चरिंग और सर्विसेज़ में आर्थिक रुझानों की वर्तमान दिशा को दर्शाता है। 50 से ऊपर की PMI रीडिंग इकॉनमी में विस्तार को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का PMI संकुचन को। पिछले कई क्वार्टर से भारत के मैन्युफ़ैक्चरिंग PMI ने लगातार लचीलापन और सेक्टर में विस्तार दिखाया है। इसके साथ ही नये आये आँकड़े मजबूत मांग और बढ़े हुए रोजगार सृजन द्वारा समर्थित एक महत्वपूर्ण सुधार और विस्तार को रेखांकित करता है।
जून 2024 में भारत के मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण उछाल वाला महीना रहा जब सेक्टर का पीएमआई 58.3 पर पहुंच गया, जो कई महीनों में सबसे अधिक है, जो मजबूत वृद्धि और विस्तार का संकेत देता है। मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर के विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से कंज्यूमर गुड्स में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन उल्लेखनीय रूप से मजबूत रहा। हालांकि, इस क्षेत्र को लगातार मुद्रास्फीति के दबाव का भी सामना करना पड़ा, जिसे निर्माताओं ने उपभोक्ताओं पर उच्च लागत डालकर प्रबंधित किया।
PMI में यह वृद्धि मुख्य रूप से मांग की स्थितियों में उछाल के कारण हुई, जिसने नए ऑर्डर, आउटपुट और खरीद गतिविधियों में विस्तार को बढ़ावा दिया। S&P Global के अनुसार, इस क्षेत्र ने मार्च 2005 में डेटा संग्रह शुरू होने के बाद से सबसे तेज भर्ती दर का अनुभव किया। मजबूत रोजगार वृद्धि का श्रेय मैन्युफ़ैक्चरिंग कंपनियों को दिया जाता है, जो मजबूत घरेलू मांग और बढ़े हुए एक्सपोर्ट्स ऑर्डर द्वारा संचालित उत्पादन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रयास करते हैं।
इनपुट कॉस्ट हालांकि मई 2024 से थोड़ा कम हुआ है, लेकिन पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक रहा। इनपुट कीमतों में वृद्धि जारी रही, विशेष रूप से एल्युमीनियम, प्लास्टिक और स्टील जैसी सामग्रियों के लिए। इन बढ़ी हुई लागतों से निपटने के लिए, निर्माताओं ने मई 2022 के बाद से सबसे तेज़ दर पर बिक्री मूल्य बढ़ाए, जिसका उद्देश्य लागत का कुछ बोझ उपभोक्ताओं पर डालना था। इन चुनौतियों के बावजूद, विभिन्न क्षेत्रों में इस क्षेत्र का प्रदर्शन मजबूत रहा, जिसमें उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र सबसे आगे रहा, उसके बाद मध्यवर्ती और निवेश वस्तु श्रेणियाँ रहीं।
रिपोर्ट के अनुसार मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर के लिए दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। सर्वे में भाग लेने वाले लगभग 29% फ़र्म्स ने अगले वर्ष उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद की है। यह आशावाद निरंतर मजबूत मांग, ऑर्डर बुक का विस्तार, प्रभावी विज्ञापन अभियान और बढ़ी हुई क्लाइंट पूछताछ जैसे सहायक कारकों में बढ़ोतरी से प्रेरित है। हालांकि, जून में समग्र व्यावसायिक विश्वास थोड़ा कम हुआ, जो वैश्विक बाजारों में लगातार मुद्रास्फीति के दबाव और अनिश्चितताओं पर चल रही चिंताओं के कारण तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया।
HSBC ग्लोबल की अर्थशास्त्री मैत्रेयी दास ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर ने जून तिमाही को मजबूत आधार पर समाप्त किया, जिसमें नए ऑर्डर और आउटपुट में वृद्धि ने PMI में हुई वृद्धि का समर्थन किया। महीने के दौरान इनपुट खरीद गतिविधि में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। हालाँकि मुद्रास्फीति का दबाव ऊंचा रहा, लेकिन जून में इनपुट लागत में थोड़ी कमी आई। निर्माता इन उच्च लागतों को ग्राहकों पर डालने में सक्षम थे, जिसके परिणामस्वरूप मार्जिन में सुधार हुआ।
निरंतर मजबूत माँग और ऑर्डर बुक के विस्तार की उम्मीदों के साथ, दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। हालाँकि, मुद्रास्फीति और वैश्विक बाजार अनिश्चितताओं पर चिंताएँ और शॉर्ट टर्म में समग्र व्यावसायिक विश्वास को कम कर सकती हैं। वित्त वर्ष 24 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार 8.2% अनुमानित है, जिसे मजबूत विनिर्माण और पूंजीगत व्यय वृद्धि से काफी समर्थन प्राप्त है, जो देश के आर्थिक परिदृश्य में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।