दुनिया भर की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इस समय मंदी का सामना कर रही हैं। अमेरिका, चीन, जापान समेत फ्रांस और ब्रिटेन भी मंदी की चपेट से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। इसी के साथ बढ़ी हुई ऊर्जा कीमतों के कारण इन देशों के उद्योगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह जानकारी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड्स एंड पुअर की ग्लोबल PMI शाखा ने दी है।
इन सभी अर्थव्यवस्थाओं में सेवा और निर्माण क्षेत्र में भी भारी कमी आई है। ग्लोबल पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स रिपोर्ट के मानकों पर कोई भी देश आगे नहीं बढ़ पाए हैं। पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स किसी देश की औद्योगिक गतिविधियों का सूचक होता है।
इन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत अकेली अर्थव्यवस्था बन कर उभरा है, जहाँ सेवा और निर्माण, दोनों क्षेत्रों में तेजी जारी है।
क्या है PMI?
पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) किसी भी देश का औद्योगिक गतिविधियों का सूचकांक होता है। इस सूचकांक को तैयार करने के लिए कम्पनियों के पर्चेजिंग मैनेजर्स से उद्योग सम्बन्धी डेटा लिया जाता है, जिसमें लागत, आगामी आर्डर और अन्य प्रश्न होते हैं।
इन्हीं के आधार पर यह सूचकांक तैयार किया जाता है। 50 से ऊपर का सूचकांक निर्माण या सेवा क्षेत्र की गतिविधियों के लिए तेजी दिखाने वाला माना जाता है। वहीं अगर यह सूचकांक 50 से नीचे रहे तो इसे अर्थव्यवस्था के लिए मंदी का संकेत होता है।
दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का हाल?
दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और भारत को देखें तो इनमे भारत ही अकेली ऐसी अर्थव्यवस्था है, जिसमें बढ़त जारी है।
पड़ोसी देश चीन में आंतरिक अशांति और बढ़ते कोरोना के कारण नवम्बर माह में निर्माण क्षेत्र की PMI 49.4 पर आ गई है। जबकि अक्टूबर में यह 49.2 थी।
नवम्बर माह में चीन में सेवा क्षेत्र की PMI 46.7 रही। जबकि अक्टूबर माह में यह 48.4 थी। चीन की अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर निर्माण क्षेत्र पर आधारित है। कल-कारखानों के बंद होने से इन गतिविधियों में आई कमी चीन की अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली है।
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका भी मंदी की चपेट में है। वहाँ भी उद्योग धंधों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। अमेरिका में नवम्बर माह में निर्माण क्षेत्र की PMI 47.7 रही। जबकि, अक्टूबर में यह 50.4 थी।
वहीं सेवा क्षेत्र की PMI 46.2 रही। बढ़ी महंगाई और बढती लागतें इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हैं। अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का लगभग 80% योगदान है। ऐसे में सेवा क्षेत्र का नीचे जाना अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल दौर लाने वाला साबित हो सकता है।
वहीं ब्रिटेन और फ्रांस की भी हालत कुछ अच्छी नहीं है। ब्रिटेन में नवम्बर माह में निर्माण क्षेत्र का PMI 46.2 रहा, जो कि सूचकांक की दृष्टि से काफी खराब है, इसके अतिरिक्त सेवा क्षेत्र का PMI 48.8 पर रहा। वहीं फ्रांस में यह क्रमश: 48.3 और 49.3 पर रहा।
ब्रिटेन और फ्रांस दोनों देश भारी महंगाई का सामना कर रहे हैं। ऐसे में औद्योगिक गतिविधि का कम होना उनके लिए और भी कष्टदायी होगा। भारत को छोड़कर कोई भी बड़ी अर्थव्यवस्था अपनी आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में सफल नहीं रही है। सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में औद्योगिक गतिविधियाँ लगातार घट रही हैं।
क्या है भारत की स्थिति?
PMI इंडेक्स के अनुसार, भारत ने दोनों क्षेत्रों में वैश्विक महंगाई और अस्थिरता के बीच शानदार प्रदर्शन किया है। भारत में नवम्बर माह में निर्माण क्षेत्र का PMI 55.7 सेवा क्षेत्र का PMI 56.4 पर रहा।
भारत में इस तेजी के पीछे कम लागतें, स्थिर महंगाई और लगातार बढ़ती अर्थव्यवस्था जैसे कारक थे। सेवा सेवा क्षेत्र के आर्डर लगातार 16वें महीने बढ़े। भारत की अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में विश्व बैंक में ने भी अपना GDP वृद्धि का अनुमान 6.5 से बढ़ाकर 6.9 पर कर दिया है।
जहाँ सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में काम धंधों के धीमे होने की खबर आ रही है। भारत का आगे बढ़ना एक सकारात्मक खबर की तरह है। S&P ग्लोबल में अर्थशास्त्री और डायरेक्टर पोल्याना डी गामा ने इस आँकड़े के बारे में कहा, “भारत के उत्पादन क्षेत्र ने वैश्विक मंदी के डर के बावजूद नवम्बर माह में भी लगातार बढ़िया प्रदर्शन किया।” उन्होंने सर्वे में भाग लेने वाली कम्पनियों के विषय में बताते हुए कहा कि वह भी भारत के उत्पादन क्षेत्र के प्रति आशान्वित हैं।