देश में औद्योगिक क्षेत्र में नवम्बर माह में तेजी आई है। वैश्विक एजेंसी स्टैण्डर्डस एंड पुअर की मासिक PMI रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। वहीं यह रिपोर्ट बताती है कि पड़ोसी देश चीन के हालात अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं।
भारत का PMI सूचकांक लगातार कई महीनों से बढ़ रहा है। 1 दिसम्बर को आई इस मासिक रिपोर्ट में देश की नवम्बर माह की औद्योगिक गतिविधियों की तस्वीर साफ़ होती है। नवम्बर माह में देश का PMI 55.7 रहा, जबकि इसके पिछले माह अक्टूबर में यह 55.3 पर था।
PMI यानी पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स, एक प्रकार का सूचकांक है, जो एक सर्वे के आधार पर तैयार किया जाता है। सर्वे में मैन्युफ़ैक्चरिंग सम्बन्धित कुछ प्रश्नों पर विभिन्न कम्पनियों के मैनेजर्स से जवाब लिए जाते हैं और उनके आधार पर यह आँकड़ा जारी होता है। सूचकांक में 50 से ऊपर का आँकड़ा बढ़ती औद्योगिक गतिविधि का सूचक होता है। वहीं, यह 50 से नीचे किसी भी अर्थव्यवस्था में घटती हुई औद्योगिक गतिविधि को दर्शाता है।
क्या है देश में PMI के बढ़ते रहने का कारण?
S&P ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार, नवम्बर माह में उद्योगों में उत्पादन की लागत पिछले 28 माह में सबसे कम रही है। इसके अतिरिक्त घटती मंदी, बढ़ते बाहरी ऑर्डर और नई नौकरियों का सृजन इसके पीछे सबसे बड़े कारण हैं। नवम्बर माह के आँकड़े अब तक के औसत 53.7 को भी पीछे छोड़ दिया।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच भी भारत अपनी आर्थिक तरक्की की रफ़्तार को बनाए रखने में सफल रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में कई विकसित देश वर्तमान में ऊर्जा के बढ़े हुए दामों, महंगाई की बढ़ती दर और मंदी का सामना कर रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था की रफ़्तार अभी तक इन समस्याओं से सुरक्षित रही है।
S&P ग्लोबल में अर्थशास्त्री और डायरेक्टर पोल्याना डी गामा ने इस आँकड़े के बारे में कहा, “भारत के उत्पादन क्षेत्र ने वैश्विक मंदी के डर के बावजूद नवम्बर माह में भी लगातार बढ़िया प्रदर्शन किया।” उन्होंने सर्वे में भाग लेने वाली कम्पनियों के विषय में बताते हुए कहा कि वह भी भारत के उत्पादन क्षेत्र के प्रति आशान्वित हैं।
भारत में तरक्की, चीन का हाल बेहाल
भारत के उत्पादन क्षेत्र जहाँ तरक्की हुई है। वहीं चीन का हाल, बेहाल है। चीन में नवम्बर माह में लगातार कड़े कोरोना प्रतिबन्ध, विरोध प्रदर्शन और आर्थिक गतिविधियों के धीमे होने के कारण PMI 49.4 रहा है।
यह लगातार तीसरा ऐसा महीना है, जब चीन का औद्योगिक उत्पादन गिरता गया। चीन को नए ऑर्डर भी बाहर से कम मिल रहे हैं, ऐसा रिपोर्ट में बताया गया है। इसके अतिरिक्त कच्चे माल की आपूर्ति में आ रही समस्याओं के कारण इस गिरावट में और तेजी आई है।
भारत की ओर लौट रहे निवेशक
बढती कीमतों और मंदी की मार को रोकने के लिए लगातार अमेरिकी और अन्य पश्चिमी बैंकों के ब्याज दरें बढ़ाने से जो विदेशी निवेशक भारत से बाहर चले गए थे। उनके भारत के शेयर बाजार में निवेश करने का सिलसिला फिर शुरु हो गया है।
नवम्बर माह में विदेशी निवेशकों ने देश के शेयर बाजार में 31,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में विश्वास दिखाते हुए निवेशक, जिन्होंने पहले अपना पैसा निकाल लिया था, वापस आते दिखाई दे रहे हैं।
चीन की सुस्त होती अर्थव्यवस्था और कड़े प्रतिबंधों ने निवेशकों को भारत की तरफ आने के लिए आकर्षित किया है। विदेशी निवेश के कारण देश का शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर पर भी पहुँचा है।