वर्ष 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था 7% की दर से बढ़ने का अनुमान है। केंद्र सरकार ने अपने आधिकारिक अनुमान के आँकड़े में यह बताया है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 6 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी कर आने वाले समय में देश की आर्थिक तरक्की के बारे में बताया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2022 के फरवरी माह से ही यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध जारी है, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और अधिकाँश बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आने वाले दौर में मंदी की ओर बढ़ रही हैं। जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन समेत दुनिया की अधिक़तर बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ वर्ष 2023 में मंदी का सामना करने वाली हैं।
ऐसे समय में भारत की अर्थव्यवस्था के 7% की विकास दर दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है। वर्तमान में भारत के समान आबादी वाला चीन ना के बराबर रफ़्तार दर्ज कर रहा है। वहीं इन सभी देशों में महंगाई भी अपने चरम पर है जो भारत में लगातार नियंत्रण में आ रही है।
क्या कहते हैं सरकार के आँकड़े?
सांख्यिकी एवं कार्यान्वन मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी विभाग(NSO) द्वारा 6 जनवरी शाम को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अर्थव्यवस्था की विकास दर 7% रहेगी। इससे पहले देश के केन्द्रीय बैंक ने वैश्विक अस्थिरता के प्रभाव के चलते अपना अनुमान 6.8% पर कर दिया था।
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सरकार का आँकड़ा RBI के आँकड़े से अधिक है। NSO के अनुसार, वर्ष 2022-23 में अर्थव्यवस्था का आकार, ₹157.6 लाख करोड़ हो जाएगा जबकि वर्ष 2021-22 में यह 147.36 लाख करोड़ था। NSO ने अलग-अलग क्षेत्रों में विकास दर के आँकड़े भी जारी किए हैं। रक्षा, हॉस्पिटैलिटी, सेवा क्षेत्र और रक्षाक्षेत्र आदि सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र रहेंगें।
क्या है अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था के हाल?
कोरोना महामारी ने विश्व की अर्थव्यवस्था में डोमिनो इफेक्ट (चीजों का एक के बाद एक बिखरते रहना) जैसा काम किया है। कोरोना के प्रभाव से विश्व भर में आपूर्ति समस्या, सेमीकंडक्टर की आपूर्ति की समस्या और उत्पादन की समस्या आदि पैदा हुईं जिससे पूरी विश्व की अर्थव्यवस्था एक साल से नीचे की ओर गई।
इसके पश्चात इस प्रभाव से अर्थव्यवस्थाओं के उभरने के समय ही यूक्रेन-रूस युद्ध के परिणामस्वरूप ऊर्जा की कमी और बढ़ी कीमतों के कारण लगभग हर विकसित अर्थव्यवस्था में इन्फ्लेशन पिछले कई दशकों में अपने चरम पर है। इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा है। इसके पहले भारत के 8.7% की गति से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था।
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भारत के पड़ोसी चीन में आर्थिक विकास की गति वितता वर्ष 2022-23 में 3.6% के आसपास रहेगी। वहीं भारत के समान ही अर्थव्यवस्था के आकार वाले यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था के इस साल 0.3% की दर से मंदी में जाने के आसार हैं। इसके अतिरिक्त फ्रांस, जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्थाएँ भी आने वाले समय में और समस्याओं का सामना करेंगी।
इस बीच भारत के निकट पड़ोसियों के हाल काफी खराब हो चुके हैं।पड़ोसी देश पाकिस्तान आर्थिक बदहाली झेल रहा है। ऊर्जा की कमी के कारण बाजार बंद करने पड़ रहे हैं। डॉलर की कमी के कारण अधिकांश फैक्ट्रियों में उत्पादन रुक गया है। पाकिस्तान वर्तमान में IMF से मिलने वाली मदद के भरोसे चल रहा है।
वहीं दूसरे पड़ोसी देश श्रीलंका दिवालिया होकर पहले ही IMF का दरवाजा खटखटा चुका है। तेजी से बढ़ती बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था भी वर्तमान में कठिन दौर से गुजर रही है।
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