बीते बुधवार को भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) के आंकड़े जारी किए। रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से सामने आया है कि देश का चालू खाता घाटा लगातार घट रहा है, यह वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में जीडीपी का 0.2% हो गया है। यह वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसम्बर) में जीडीपी का 2% और एक वर्ष पूर्व 2021-22 की तीसरी तिमाही में जीडीपी का 1.6% था।
धनराशि के हिसाब से देखा जाए तो यह 2022-23 की चौथी तिमाही में 1.3 बिलियन डॉलर, तीसरी तिमाही में 16.8 बिलियन डॉलर और 2021-22 की चौथी तिमाही में 13.4 बिलियन डॉलर था। चालू खाता घाटे में कमी का प्रमुख कारण रिजर्व बैंक ने सेवा निर्यातों में वृद्धि और भारत के व्यापार खाता घाटे में कमी को बताया है। इस तरह चालू खाता घाटे में चौथी तिमाही में तीसरी तिमाही की तुलना में 10 गुना की गिरावट दर्ज की गई है।
क्या होता है चालू खाता घाटा?
चालू खाता घाटा, किसी भी देश से बाहर जाने वाली मुद्रा और उसको आने वाली मुद्रा का अंतर होता है। इसमें मुख्यतः किसी भी देश के विदेशी व्यापार और उसके नागरिकों द्वारा बाहर से भेजी जाने वाली धनराशि होती है। यदि किसी देश का विदेशी व्यापार घाटा (निर्यात और आयातों में अंतर) अधिक है तो इसका सीधा असर चालू खाता घाटे पर पड़ता है।
भारत के संबंध में व्यापार घाटा सदैव ही बना रहता है क्योंकि हम बड़ी मात्रा में कच्चा तेल और अन्य कई वस्तुएं आयात करते हैं जिनकी वैल्यू हमारे द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं से अधिक होती है। उदाहरण के लिए, भारत के निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में 770 बिलियन डॉलर के रहे, जबकि इसी दौरान देश का आयात 892.18 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया। इस तरह वित्त वर्ष 2022-23 में देश का व्यापार घाटा लगभग 122 बिलियन डॉलर रहा।
भारत के इस व्यापार घाटे की भरपाई का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले पैसों से पूरा होता है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान बाहर रहने वाले भारतीयों ने अपने देश 100 बिलियन डॉलर भेजे। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का चालू खाता घाटा 72.7 बिलियन डॉलर रहा है।
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में चालू खाता घाटा 18.2 बिलियन डॉलर था जो कि दूसरी तिमाही में बढ़ कर 36.4 बिलियन डॉलर हो गया था। तीसरी और चौथी तिमाही में यह घट कर क्रमशः 16.8 बिलियन डॉलर और 1.3 बिलियन डॉलर हो गया। पहली तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.2%, दूसरी तिमाही में 4.4% था जबकि यह तीसरी तथा चौथी तिमाही में क्रमशः 2.0% तथा 0.2% हो गया।
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कैसे कम हो रहा देश का चालू खाता घाटा?
चालू खाता घाटा घटने के पीछे सबसे प्रमुख कारण देश के निर्यात में बढ़ोतरी और आयातों में आई कमी है। इसके अतिरिक्त बढ़े हुए रेमिटेंसेस (विदेशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा भेजी जाने वाली धनराशि) भी इसके घटने का एक बड़ा कारण हो सकते हैं। भारत, लगातार सेवा निर्यातों में अच्छी बढ़त बनाए हुए है।
वर्ष 2023 की ही बात की जाए तो इस दौरान जनवरी-मई के बीच व्यापार घाटा पिछले वर्ष की तुलना में आधा हो गया है। पिछले वर्ष जनवरी-मई में व्यापार घाटा 45.96 बिलियन डॉलर रहा था जो कि 2023 में मात्र 22.7 बिलियन डॉलर पर आ गया। व्यापार घाटे में कमी के पीछे कच्चे तेल के दामों में स्थिरता और भारत के रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने का निर्णय बड़ा कारण है।

इसके अतिरिक्त, भारत के सेवा और वस्तु निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश के वस्तु निर्यात 447 बिलियन डॉलर के रहे, यह वित्त वर्ष 2021-22 में 422 बिलियन डॉलर थे। भारत के सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में 322 बिलियन डॉलर रहे जो कि 2021-22 में 254 बिलियन डॉलर थे।
भारत के निर्यात में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण देश की विनिर्माण क्षमताओं में बढ़ोतरी है। देश में इलेक्ट्रॉनिक निर्यातों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 1.9 लाख करोड़ रुपए से अधिक के रहे हैं। यह वित्त वर्ष 2018-19 में मात्र 41,220 करोड़ रुपए ही थे। इलेक्ट्रॉनिक निर्यातों में बढ़ोतरी के पीछे बड़ा कारण सरकार की PLI स्कीम भी रही है।
रिजर्व बैंक ने और क्या-क्या बताया?
रिजर्व बैंक द्वारा दी गई जानकारी से सामने आया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में विदेशों से निजी तौर भारत भेजी जाने वाली धनराशि 112.4 बिलियन डॉलर रही है, इसमें मुख्यत: वह धनराशि होती है जो कि विदेशो में काम कर रहे भारतीय देश में भेजते हैं। इन भारतीयों ने पहली तिमाही में 25.6 बिलियन डॉलर, दूसरी तिमाही में 27.4 बिलियन डॉलर और तीसरी तिमाही में 30.8 बिलियन डॉलर जबकि चौथी तिमाही में 28.6 बिलियन डॉलर की धनराशि अपने देश भेजी है।
इसके अतिरिक्त, रिजर्व बैंक ने बताया है कि वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में नेट प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 6.4 बिलियन डॉलर रहा है जो कि तीसरी तिमाही में मात्र 2 बिलियन डॉलर का रहा था। हालांकि, एक वर्ष पहले यह 13.8 बिलियन डॉलर था। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश में आने वाला नेट प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 28 बिलियन डॉलर रहा है जो कि वित्त वर्ष 2021-22 में 38.6 बिलियन डॉलर था। इस कमी के पीछे का प्रमुख कारण पश्चिमी देशों में बैंकिंग संकट और मंदी है।
इस दौरान देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में भी बढ़ोतरी हुई है। देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में इस दौरान 5.6 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में यह 10 बिलियन डॉलर घटा था। इसके उस दौरान घटने का प्रमुख कारण यूक्रेन-रूस के बीच संघर्ष चालू होने के कारण ऊर्जा कीमतों में आई आकस्मिक बढ़ोतरी थी जिसके कारण भारत को महंगा कच्चा तेल और गैस खरीदनी पड़ी थी।
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