पिछले कुछ वर्षों में भारत के समुद्री व्यापार में भारी उछाल देखा गया है, जिसके परिणामस्वरूप अच्छे पोर्ट और संबंधित बुनियादी ढाँचे की मांग बढ़ी है। इस मांग से निपटने के लिए, सरकार ने प्रमुख बंदरगाहों को विकसित करने और बड़े जहाजों और कार्गो की मात्रा को संभालने के लिए उनकी क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। इस विषय में सरकार द्वारा शुरू की गई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस परियोजनाओं का उद्देश्य बंदरगाह की प्रक्रियाओं को सरल और तेज करना है, साथ ही एक अंतरराष्ट्रीय विनिमय केंद्र के रूप में भारत की भूमिका को मजबूत करना है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय जलमार्ग-2 के सुधार का उद्देश्य परिवहन के पारंपरिक साधनों को सुदृढ़ करने और अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता का उपयोग करना है।
प्रमुख बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे का विकास किसी देश की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक व्यापार का एक महत्वपूर्ण पहलू है। बंदरगाह वैश्विक समुद्री परिवहन नेटवर्क में प्राथमिक नोड के रूप में कार्य करते हैं, जो माल और यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाते हैं। वर्तमान में देश के प्रमुख बंदरगाहों के चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास में कई गतिविधियां शामिल हैं, जिनमें नए बर्थ और टर्मिनलों का विकास, वर्तमान बर्थ और टर्मिनलों का मशीनीकरण, बड़े जहाजों को रखने के लिए ड्राफ्ट को गहरा करने के लिए ड्रेजिंग और सड़क और रेल कनेक्टिविटी का विकास शामिल है। इसके अतिरिक्त, ब्रह्मपुत्र नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग-2 के विकास का उद्देश्य बेहतर परिवहन और कनेक्टिविटी के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों का लाभ उठाना है।
वहीं, चालू बुनियादी ढांचे के विकास में कई योजनाओं पर काम चल रहा है। इसमें बढ़ते समुद्री विजीटर्स को रखने के लिए नवीनतम बर्थ और टर्मिनलों का निर्माण शामिल है, जिससे बंदरगाह की क्षमता में वृद्धि होगी और लोडिंग-अनलोडिंग संचालन को सुगम बनाया जा सकेगा। बर्थ और टर्मिनल के मशीनीकरण से बंदरगाह संचालन को सुव्यवस्थित करने, ह्यूमन इंटरवेंशन को कम करने और शिप टर्नअराउंड के लिए अत्याधुनिक मशीनरी और टेक्नोलॉजी को शामिल किया जा रहा है।
बंदरगाह चैनलों को गहरा करना और बड़े जहाजों को अधिकतर पोर्ट पर आकर्षित करने से ही वर्तमान अंतरराष्ट्रीय शिपिंग ट्रैफ़िक में देश कम्पेटिटिव हो सकता है। इसके लिए चल रही पूंजी ड्रेजिंग परियोजनाएं वैकल्पिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं। इसके अलावा, प्रमुख बंदरगाहों तक निर्बाध सड़क और रेल कनेक्टिविटी भीतरी इलाकों से उत्पादों की सुचारू आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण है और कॉस्ट इफेक्टिव शिपमेंट के लिए रोड हाइपरलिंक में सुधार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी और एंट्री, कंटेनर स्कैनर्स की स्थापना, ई-डिलीवरी ऑर्डर/चालान/भुगतान, आरएफआईडी-आधारित गेट-ऑटोमेशन सिस्टम और नेशनल लॉजिस्टिक पोर्टल-मरीन-सागर सेतु जैसे उपाय शामिल हैं। इनका उद्देश्य कार्गो प्रतीक्षा समय को कम करना, पारदर्शिता बढ़ाना और बंदरगाहों में व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाना है। ये व्यापक प्रयास व्यापार तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और वैश्विक समुद्री व्यापार उद्योग में देश की स्थिति को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
गुवाहाटी से धुबरी तक ब्रह्मपुत्र नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग-2 का सुधार भारत की अंतर्देशीय जलमार्ग क्षमता का उपयोग करने की एक महत्वपूर्ण पहल है। कार्गो प्रबंधन और यात्री सुविधाओं में सुधार के लिए जोघीटोपा टर्मिनल का निर्माण किया गया है, जो कुशल कार्गो आवाजाही और यात्री सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, गुवाहाटी में पांडु पोर्ट के लिए एक वैकल्पिक सड़क से प्रवेश और कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे शिपमेंट परिवहन के लिए अधिक सीधा मार्ग उपलब्ध होगा। पांडु बंदरगाह पर डिलीवरी मरम्मत सुविधा का निर्माण जहाजों के लिए मरम्मत और रख-रखाव केंद्र के रूप में इस पोर्ट के आकर्षण को बढ़ाने के साथ-साथ अतिरिक्त समुद्री यातायात को आकर्षित करता है।
इसके साथ ही धुबरी टर्मिनल के मौजूदा मेथड एवेन्यू को अपग्रेड करने और आवश्यक भूमि अधिग्रहण अध्ययन करने से कार्गो आवाजाही सुव्यवस्थित होगी और बंदरगाह की पहुंच बढ़ेगी। यह प्रयास पूरी तरह से ग्रीनफील्ड अंतर्देशीय जलमार्गों का लाभ उठाने और क्षेत्र के भीतर व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
प्रमुख बंदरगाहों पर चल रहा बुनियादी ढांचा सुधार परिवर्तन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। बंदरगाह क्षमता बढ़ाने, ऑपरेशन को यंत्रीकृत करने और कनेक्टिविटी में सुधार के निरंतर प्रयासों के साथ, प्रमुख बंदरगाह देश के आर्थिक विकास में और बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। व्यवसाय करने के लिए किए जा रहे आवश्यक अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करते हैं।
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