भारत को तोड़कर पृथक खालिस्तान की मांग अब ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसी जगहों में की जा रही है। कनाडा के साथ साथ अब ऑस्ट्रेलिया में भी लगभग हर रोज़ ख़ालिस्तान के समर्थन में हिंसा और प्रदर्शन की खबरें सामने आती हैं। इस खालिस्तान की मांग और रेफरेंडम के बीच विदेशों में बसे हुए हिन्दुओं और सिखों में भी दरारें पैदा करने की पूरी कोशिशें हो रही हैं।
बीते रविवार को ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ में फिरसे कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीयों द्वारा आयोजित एक शांतिपूर्ण कार रैली निकाली जा रही थी पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला कर दिया। ऑस्ट्रेलिया से सामने आई तस्वीरों और वीडियो से पता चलता है कि हमले के दौरान तलवारें लहराई गईं और कारों के शीशे भी तोड़े गए।
शांतिपूर्ण रैली का आयोजन करने वाले ऑस्ट्रेलियन हिंदू एसोसिएशन नाम के समूह ने भी इस मामले में स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और मामले की जांच जारी है।
दरअसल, इस रैली से ख़ालिस्तानी समर्थक इसलिए भड़के क्योंकि इसमें चल रही गाड़ियों पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के झंडे लगे हुए थे, खालिस्तानी हमलावरों ने इन्हीं गाड़ियों को निशाना बनाते हुए नुकीले हथियारों से तोड़फोड़ की। यह कोई पहला क़िस्सा नहीं है जब ऑस्ट्रेलिया में हिन्दुओं, उनके मंदिरों या उनकी रैलियों को निशाना बनाया गया हो। इससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया में ही स्वामीनारायण मंदिर पर हमला और तिरंगे के अपमान की कई खबरें आती रही हैं।
कभी सिडनी में लक्ष्मीनारायण मंदिर की तोड़ फोड़ की वीडियोज, कभी भारत को टारगेट करते हुए ‘हिटलर मोदी’ ‘टारगेट मोदी’ और ‘हिन्दुतान मुर्दाबाद’ जैसे स्लोगन्स की ग्रैफ़ीटी इंडिया से बाहर बनाई जा रही हैं। अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे में प्रधानमंत्री मोदी ने भी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री से इस मामले पर बात की थी।
इसके अतरिक्त, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भी बढ़ते खालिस्तानी तत्वों का जिक्र किया। ऑस्ट्रेलियन हिंदू एसोसिएशन ने उन क्षेत्रों की लॉ इनफ़ोर्समेंट एजेंसीज़ को लिखा है, जहां ख़ालिस्तान रेफ़रेंडम करना तय किया गया था। साथ ही, वहाँ के अधिकारियों को इस प्रकार के मतदान के पीछे के असली इरादों की जानकारी भी दी।
अब देखिए कि ABC News यानी ऑस्ट्रेलियाई ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन ने कैसे इस पूरे मामले को दिखाने की कोशिश की –
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ऑस्ट्रेलिया पर हिंदुओं के साथ हुई ताजा हिंसा को एबीसी की रिपोर्ट में ऐसा दिखाया गया है जैसे खालिस्तानी तत्वों पर हमला करने वाले हिंदू थे। न्यू साउथ वेल्स पुलिस के प्रवक्ता के हवाले से उन्होंने बताया कि सार्वजनिक स्थान पर चाकू ले जाने के आरोप में २३ और २४ साल की उम्र के दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थन की बढ़ती घटनाएँ
बीते कुछ समय में ऑस्ट्रेलिया में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब वहाँ पर रहने वाले खालिस्तानी समर्थकों ने हिंदू मंदिरों पर कई हमले किए। ये हमले सिख फॉर जस्टिस जैसे ख़ालिस्तानी संगठनों के इशारे पर किए जाते हैं। अक्सर कट्टरपंथियों की वीडियो टिक-टोक जैसी ऐप में भी देखने को मिलती हैं।
1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में ज़ोर पकड़ने वाला खालिस्तानी आंदोलन भारत के पंजाब में भी अब फिर से ज़ोर पकड़ने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में अमृतपाल सिंह और उसका खालिस्तानी रेडिकालिज़्म उसकी गिरफ्तारी का कारण बना और उसके जिस तरह से पाकिस्तान से उसके संबंध पाए गए, उस से यह क़यास भी लगाए जा रहे थे कि वो कुछ बड़ा करने की योजना बना रहा था।
पकिस्तान का ऐसे समूहों को भड़काने में एक बहुत बड़ा रोल है और इन्हें फण्ड दे कर इनकी वित्तीय मदद भी करता है। भारत से दूसरे देश भागने के बाद खालिस्तानी आतंकवादी ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों में जाकर ऐसे चरमपंथी अभियान चला रहे हैं। यही वजह है कि कुछ दिनों से इन देशों में ख़ालिस्तान रेफ़्रेंडम, खालिस्तानी समर्थक नारे और पोस्टर, के साथ साथ हिंदुओं के मंदिरों पर हमले की घटनाएँ भी बढ़ी हैं।