भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और साथ ही इसका अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना पूरे विश्व को भा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, न्यूयॉर्क टाइम्स, विश्व की प्रमुख रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन साक्स के द्वारा प्रशंसा किये जाने के बाद अब इसमें नया नाम ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट का जुड़ गया है।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अखबार द ऑस्ट्रेलियन में सितम्बर 6, 2022 को ‘द डेमोक्रेटिक सुपरपावर वी नीड- इंडिया’ (The Democratic Superpower We Need) शीर्षक से एक लेख लिखा है। उन्होंने बताया है कि कैसे भारत एक महाशक्ति होने के साथ-साथ ही विश्व में लोकतांत्रिक मूल्यों को सुरक्षित और संरक्षित रखने का सबसे बड़ा उदाहरण है।
चित्र साभार: दी आस्ट्रेलियन
कौन हैं टोनी एबॉट?
टोनी एबॉट ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री हैं, उन्होंने 2013 से 2015 तक ऑस्ट्रेलिया की कमान संभाली। उनको ऑस्ट्रेलिया की राजनीति में मजबूत फैसले लेने वाला राजनेता माना जाता है।
ऐसे ही एक फैसले में उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के भीतर, ऑस्ट्रेलिया में समुद्र के रास्ते आने वाले अवैध शरणार्थियों की नावों को वापस करने का निर्णय लिया था।
उनके कार्यकाल के दौरान ही भारत और ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों में प्रगाढ़ता आना चालू हुई, राजनयिक सम्बन्धों के साथ-साथ एबॉट ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ निजी स्तर पर भी अत्यंत ही अच्छे रिश्ते बनाए।
टोनी एबॉट ने नरेंद्र मोदी के 2014 में शपथ लेने के कुछ दिनों के भीतर ही सितम्बर 2014 में भारत की यात्रा की थी, जिसके कुछ दिनों के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा एबॉट के निमन्त्रण पर की थी, एबॉट हमेशा से ही भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और उसके विस्तारवादी ना होने के कारण प्रशंसक रहे हैं।
क्या लिखा एबॉट ने?
एबॉट ने अपने लेख में कहा कि भारत ने इतिहास में विभाजन और युद्ध जैसी विभीषिकाएँ झेली हैं, लेकिन फिर भी आज भारत ही विश्व में अकेली ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था है जो सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने चीन की आलोचना करते हुए कहा कि चीन ने हांगकांग, ताइवान और वियतनाम जैसे देशों को परेशान कर रखा है, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपना तानशाही एजेंडा पूरा करने के लिए ताइवान को कुचल देना चाहती है।
ऐसी स्थितियां भारत-प्रशांत क्षेत्र में ना आयें इसके लिए QUAD जरुरी है। (QUAD चार देशों -भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका का एक समूह है, इसका मुख्य उद्देश्य हिन्द-प्रशांत महासागर में किसी भी देश की दादागीरी को रोकना है, और साथ ही विश्व में मानवाधिकारों और सभी देशों की संप्रुभता का सम्मान को बनाए रखना है।)
एबॉट ने आगे कहा कि भारत, चीन को जरुर भविष्य में पछाड़ देगा, क्योंकि भारत में लोकतंत्र है, भारत अपने किसी भी पडोसी देश को डरा कर नहीं रखता। वहीँ भारत, ताइवान और विएतनाम जैसे देश चीन की विस्तारवादी नीति के पीड़ित रहे हैं।
उन्होंने विश्व के लोकतांत्रिक सूचकांक देने वाली संस्था पर भारत को पूर्णतया लोकतांत्रिक से आंशिक लोकतांत्रिक श्रेणी में डालने के निर्णय को भी गलत ठहराते हुए कहा कि भारत में एक स्वतंत्र मीडिया और पूर्णतया स्वतंत्र न्यायपालिका हैं जो किसी भी गैर-लोकतांत्रिक कदम को रोकने में सक्षम हैं।
उन्होंने विश्व की प्रमुख रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन साक्स के प्रमुख के उस कथन का समर्थन करते हुए जिसमें उन्होंने कहा कि यह दशक ही नहीं बल्कि यह शताब्दी ही भारत के उदय की है। एबॉट ने अपने लेख को अंत देते हुए कहा कि विश्व में भारत ही वह शक्ति होगा जो लोकतांत्रिक और मुक्त विचारों वाले विश्व को आगे बढाने में मदद करेगा।
भारत का लगातार विश्व के विभिन्न बड़ी हस्तियों और संस्थाओं के द्वारा प्रशंसा मिल रही है, पिछले कुछ समय भारत की मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसले और नीतियां इसमें सबसे ज्यादा सहायक सिद्ध हुए हैं।