प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश को स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित कर रहे हैं। आईएनएस विक्रांत के लोकार्पण समारोह में पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना के लिए नए नौसेना ध्वज का अनावरण भी किया है।
पीएम मोदी ने इसे कोच्ची से नौसेना को सौपा है। साथ ही, इस ऐतिहासिक दिन, पीएम मोदी ने नौसेना के लिए नए ध्वज का अनावरण भी किया है। यह नई पताका औपनिवेशिक सत्ता के निशानों को मिटाकर भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को पहचान देगी।
नौसेना के झंडे में अब तक हुए बदलाव
आज़ादी के बाद से अब तक नौसेना के ध्वज में कई दफा बदलाव किए जा चुके हैं, पर इनमें से कोई भी स्थायी रूप नहीं ले सका।
- सबसे पहला बदलाव 1950 में देखने को मिला जब, भारत एक गणतंत्र बना था। नौसेना के शिखर और झंडे का भारतीयकरण करने के लिए ब्रिटिश झंडे को हटाकर भारतीय तिरंगा का प्रयोग किया गया।
- 70 के दशक में वाइस एडमिरल विवियन बारबोजा ने तत्कालीन नौसेना के प्रतीक में बदलाव की माँग की थी।
- दूसरा बदलाव 2001 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी के शासनकाल के दौरान हुआ जब ब्रिटिश निशान, ‘रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस’ को हटाकर ‘नौसेना के प्रतीक चिह्न’ से बदला गया। रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाना भारतीय नेवी के लिए एक ऐतिहासिक दिन था क्योंकि यह 250 साल के औपनिवेशिक युग की पहचान था।
- हालाँकि, नौसेना की पताका में इन बदलावों के बाद भी कुछ कमियां थी। झंडे का प्रतीक चिह्न नीला था जो समुद्र के रंग में मिल जाता था, और उसे आकाश या समुद्र के नीले रंग से अलग करना मुश्किल था।
- इन्हीं कमियों के चलते 2004 में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान एक बार फिर झंडे में बदलाव किया गया। इसमें एक सफेद पताका, फिर से औपनिवेशिक लाल क्रॉस, एक सुनहरा पीला अशोक स्तम्भ और राष्ट्रीय ध्वज शामिल किया गया।
- 2014 में एक बार फिर इसमें बदलाव हुआ और ध्वज में राष्ट्रीय चिन्ह के नीचे राष्ट्रीय आदर्श वाक्य “सत्यमेव जयते” जोड़ा गया।
नई पताका की विशेषताएं
भारतीय नौसेना के झंडे से औपनिवेशिक निशान ‘लाल क्रॉस’ को अब पूरी तरह हटा दिया गया है। नए निशान में ऊपर बाईं औऱ तिरंगा स्थापित किया गया है जिसके बगल में नीले रंग के ऊपर गोल्डन कलर में अशोक चिह्न बना हुआ है। अशोक चिह्न के नीचे सत्यमेव जयते लिखा है।
खास बात यह कि जो अशोक चिह्न के नीचे नीला रंग है, वो असल में छत्रपति शिवाजी की शाही मुहर है। छत्रपति शिवाजी और उनसे पहले चेर, चोल, पांड्य राजवंशों के शासन में भारत की नौसेना अत्यधिक सक्षम रही है। इन्हीं नौसेनाओं के बल पर भारतीय हिन्दू संस्कृति का दक्षिण पश्चिमी तटीय देशों थाईलैंड, कम्बोडिया, सिंगापुर से लेकर जावा द्वीपों तक प्रचार प्रसार हुआ था।
इतिहास में समुद्र में सुदृढ़ रही है भारत की ताकत
वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक ‘मेरा आजीवन कारावास’ में भारतीय इतिहास में नौसेनाओं का वर्णन करते हुए लिखा है,
“चोल वंश के राजा राजेन्द्र प्रथम ने नौसेना के बल पर समुद्र मार्ग द्वारा ही मलाया, सुमात्रा, जावा, बाली आदि द्वीपों पर विजय प्राप्त की थी। इस पूर्व समुद्र में से मगध, आध्र, पाण्ड्य, चेर, चोल आदि हिन्दूराज्यों ने बड़े बड़े दिग्विजयी जहाज (बेड़े) भेजकर सयाम, जावा, बोर्नियो से फिलीपींस तक हिन्दू उपनिवेश, राज्य, धर्म और संस्कृति स्थापित की थी। हिन्दुओं के त्रिविक्रमशील चरण पूर्व पश्चिम दक्षिण समुद्रों और महासागरों को लांघकर, राजकीय, धार्मिक, सामाजिक, दिग्विजय करते हुए हिन्दुओं के महासाम्राज्य निनादित करते चला करते थे। हिन्दू रणतरियों के प्रचण्ड नौसाधन दिग्दिगन्त में अप्रतिहत रूप से संचार किया करते थे। राष्ट्र के लिये सागर तो एक सड़क बनी हुई थी।”
नए फ्लैग में संस्कृत में ‘शं नो वरुणः’ लिखा है, जिसका अर्थ है कि ‘हमारे लिए वरुण शुभ हों’। भारतीय संस्कृति में वरुण समुद्र के देवता हैं इस लिए नेवी के निशान में यह वाक्य लिखा गया है। विष्णु धर्मोत्तरपुराण में समुद्र के देवता वरुण के बारे में कहा है-
प्रणमामि सदा देवमादित्यमुदकेशयम्।
स्निग्धवैदूर्यसङ्काशं वरुणं सुमहाद्युतिम् ॥
एहि देव जलाध्यक्ष यादोगणमहेश्वर ।
नागदैत्योरगगणैस्सततं सेवितान्युत॥
समुद्र से प्राप्त होने वाली चिकनी मणियों की प्रभा से चमकने वाले वरुण देव को हम सदा प्रणाम करते हैं जो सूर्य के समान हैं और जल में शयन करते हैं। समुद्र में रहने वाले नागों, दैत्यों और सर्पगणों से सदा सेवित वे वरुण देव ‘जलाध्यक्ष’ हैं और समुद्र के भी ईश्वर हैं।
इसके अतिरिक्त भारत के प्राचीन ग्रन्थ वेदों में भी समुद्र यात्रा और जहाजों, नावों के कई प्रमाण मिलते हैं —
समुद्रमव्यथिर्जगन्वान् रथेन मनोजवसा । – ऋग्वेद, 1.117.15
वह मन के समान तेज वेग वाले रथ से, सरलता से, समुद्र के पार गया।
समुद्रस्य चिद् धनयन्त पारे । – ऋग्वेद, 1.167.2
हम समुद्र के पार से भी धन लावें ।
समुद्रे न श्रवस्यवः । – ऋग्वेद, 1.48.3
धन के इच्छुक व्यक्ति समुद्र में नौकाएँ चलाते हैं ।
अनारम्भणे … अनास्थाने अग्रभणे समुद्रे । – ऋग्वेद, 1.116.5
अश्विनी ने अथाह समुद्र से व्यापारी को पोत से बाहर निकाला ।
बहराहल, आईएएस विक्रांत के साथ ही पीएम मोदी ने नौसेना को ऐसी पताका का उपहार दिया है जो कि, औपनिवेशिक निशानों से पूर्णतया मुक्त है। नौसेना के नए ध्वज में वह सभी प्रतीक शामिल हैं, जो भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।