वैश्विक बाजार में मांग (Demand) में कमी और अस्थिरता के बीच भी भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात में नया रिकॉर्ड बनाया है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का निर्यात 770.18 बिलियन डॉलर रहा। यह आँकड़ा पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 13.84% अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का कुल निर्यात 676.5 बिलियन डॉलर था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने यह आँकड़े बृहस्पतिवार, 13 अप्रैल को जारी किए। भारत के निर्यात में यह बढ़त वस्तुओं एवं सेवा, दोनों क्षेत्र में देखी गई। दोनों ही तरह के निर्यात ने भी एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। देश के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल पहले ही यह कह चुके थे कि इस वर्ष देश का निर्यात 750 बिलियन डॉलर पार कर जाएगा।
इसके साथ ही भारत के आयात का भी आँकड़ा जारी किया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 892 बिलियन डॉलर का आयात किया। यह आँकड़ा पिछले वित्त वर्ष से 17.36% अधिक है। आयात में बढ़ोतरी के पीछे बढ़ी आर्थिक गतिविधि के चलते आंतरिक मांग का ऊंचा रहना है।
मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान वस्तुओं का निर्यात 447.46 बिलियन डॉलर और सेवाओं का 322 बिलियन डॉलर रहा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान वस्तुओं का निर्यात 422 बिलियन डॉलर और सेवाओं का निर्यात 254.5 रहा था।
इस प्रकार वस्तुओं में 6.03% और सेवाओं में 26.7% की वृद्धि हुई है। निर्यात में बढ़ोतरी दहाई अंकों में भी हो सकती थी परन्तु विश्व के अधिकाँश बड़े बाजारों में महँगाई और मंदी के एक साथ होने के कारण मांग में लगातार कमी बनी हुई है। हालाँकि, भारत के सेवा क्षेत्र के निर्यात लगातार बढ़त बनाए हुए हैं।
पिछले कुछ वर्षो से लगातार भारत के निर्यात बढ़ रहे हैं। इसकी गवाही आंकड़े देते हैं।
इसी के साथ भारत का व्यापार घाटा भी 100 बिलियन डॉलर के आँकड़े को पार कर गया है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत का व्यापार घाटा 122 बिलियन डॉलर रहा है। पिछले वित्त वर्ष में यह 83 बिलियन डॉलर था। वस्तुओं में व्यापर घाटा 266 बिलियन डॉलर रहा। यह पिछले वित्त वर्ष में 191 बिलियन डॉलर था।
भारत के व्यापार घाटे के बढ़ने के पीछे आंतरिक रूप से लगातार मजबूत बनी हुई मांग और फरवरी 2022 से यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण वैश्विक बाजार में बढ़ी हुई ऊर्जा कीमतें हैं। भारत, विश्व में कच्चे तेल का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं आयातक है। बढ़ी हुई तेल की कीमतों का भारत के आयात बिल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 में कच्चे तेल के आयात की तुलना करें तो इसमें लगभग 40% की बढ़ोतरी हुई है। 2021-22 में भारत का कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का बिल 12.07 लाख करोड़ था जो कि कीमतें बढ़ने के बाद 16.83 लाख करोड़ पहुँच गया।
हालांकि इस बढ़त में अकेले बढ़ी कीमतों का ही नहीं बल्कि आर्थिक गतिविधि का बढ़ना भी कारण रहा। 2022-23 कोरोना महामारी की बंदिशों से मुक्त पहला वर्ष था जब आर्थिक गतिविधि पूरे तरीके से वापस पुराने ट्रैक पर आई और तेल समेत ऊर्जा की मांग बढ़ी।
ऊर्जा की बढ़ी मांग का असर कोयले के आयात बिल पर देखा जा सकता है, जो 2021-22 की तुलना में 67% अधिक रहा। जहाँ 2021-22 में इसका आयात बिल 2.36 लाख करोड़ था, वहीं 2022-23 में यह बढ़ कर 3.97 लाख करोड़ पहुँच गया।
देश ने महंगे कच्चे तेल से पड़ने वाले प्रभाव को रूस से किफायती दामों पर तेल खरीद कर कम करने का प्रयास किया है परन्तु गैस एवं अन्य उत्पादों की बढ़ी क़ीमतों का असर दिखाई दिया।
आयात में बढ़ोतरी का एक और कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उर्वरकों की कीमतों में बढ़ोतरी है। देखा जाए तो उर्वरकों के आयात बिल में 30.9% की बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2021-22 में यह लगभग 1.05 लाख करोड़ था जो कि 2022-23 में बढ़ कर 1.38 लाख करोड़ पहुँच गया।
वहीं, अगर निर्यात की बात की जाए तो 30 क्षेत्रों में से 17 में सकारात्मक वृद्धि सामने आई है। इस चार्ट के माध्यम से उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी का जायजा लिया जा सकता है। खाद्य उत्पादों में बढ़ोतरी उत्साहजनक रही है।
भारत ने 2022-23 में पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में भी बड़ी छलांग लगाई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में जहाँ पेट्रोलियम उत्पादों का लगभग 5 लाख करोड़ का निर्यात हुआ था, वहीं 2022-23 के दौरान यह 7.58 लाख करोड़ के पार हो गया जो 50% से अधिक की बढ़त दर्शाता है।
इस मामले के विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय तेल कम्पनियों ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीद कर तैयार पेट्रोलियम उत्पादों को अन्य बाजारों में बेचा है।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। आँकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में 62.6% की बढ़त दर्ज की गई है। यह वित्त वर्ष 2021-22 में 1.16 लाख करोड़ था जो कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 1.90 लाख करोड़ से अधिक रहा रहा। इन इलेक्ट्रनिक उत्पादों में मोबाइल फोन के निर्यात प्रमुख रहे।
संस्था ICEA के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश ने 11 बिलियन डॉलर से अधिक के मोबाइल के निर्यात किए हैं। भारत अब एपल का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है, जिसने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान लगभग 5 बिलियन डॉलर (लगभग 41,000 करोड़ रुपए) से अधिक के निर्यात किए। वहीं, सैमसंग ने लगभग 4 बिलियन डॉलर (लगभग 32.8 हजार करोड़ रुपए) के निर्यात किए हैं।
आयात-निर्यात की जानकारी से एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु सामने निकल कर आया है। भारत के आयात में चीन का हिस्सा घटा है। वित्त वर्ष 2021-22 में यह कुल आयात में 15.43% से घट कर 13.79% आ गया है।
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण का प्रभाव मात्र निर्यात पर ही नहीं बल्कि चीन से आने वाले आयातों पर भी दिखा है। अप्रैल-फरवरी माह के बीच चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में पिछले वर्ष की तुलना में 2 बिलियन डॉलर की कमी आई है।
भारत ने इस दशक के अंत तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है जिसके लिए वह लगातार प्रयास भी कर रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सामने आए आँकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि यदि नीतियों को सही ढंग से लागू किया जाए एवं बदलती वैश्विक व्यवस्थाओं के साथ कदमताल की जाए तो यह लक्ष्य पाया जा सकता है।
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