पिछले लगभग एक दशक में आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी प्रगति, नीतिगत सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे विभिन्न कारकों के कारण भारत में लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। लॉजिस्टिक्स आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत जैसे विशाल देश में उत्पादन के बिंदु से लेकर उपभोग के बिंदु तक वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही एक चुनौतीपूर्ण काम रहा है। ऐसे बड़े लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के कार्यान्वयन और नियंत्रण के लिए बहुत सारे तत्वों का साथ आना महत्वपूर्ण होता है।
पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने रसद क्षेत्र में काफी नीतिगत बदलाव किए है। उदाहरण के तौर पर डिजिटलकरण की सहायता से रसद कंपनियों ने अपने संचालन में और ग्राहक अनुभव को बढ़ाने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग, गोदाम प्रबंध प्रणाली, परिवहन प्रबंधन प्रणाली जैसे डिजिटल समाधानों को न केवल अपनाना शुरू किया बल्कि पहले से चल रही व्यवस्था में इस महत्वपूर्ण आवश्यकताओं का सफलतापूर्वक इंटीग्रेशन किया है।
आज भारतीय लॉजिस्टिक्स उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस उद्योग के प्रमुख घटकों में से एक भारतीय रेलवे है, जो देश भर में माल परिवहन के लिए एक समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) संचालित करता है।
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रेलवे के क्षेत्र में डेडिकेटेड फ्रेट रेलवे कॉरिडोर रेल पटरियों और स्टेशनों का एक नेटवर्क है जो विशेष रूप से देश के विभिन्न क्षेत्रों के बीच माल और वस्तुओं के परिवहन के लिए डिज़ाइन किया गया है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग को कई लाभ मिलने की संभावना है। इनमें माल का तेजी से परिवहन, बढ़ी हुई विश्वसनीयता और माल ढुलाई को लेकर अच्छा प्रबंधन, कम समय और कम परिवहन लागत शामिल हैं। डीएफसी गलियारा मौजूदा रेल नेटवर्क को कम करने और सड़कों पर बोझ को कम करने में भी मदद करेगा, जिसका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को चरणों में विकसित किया जा रहा है। पहले चरण में दिल्ली और मुंबई को जोड़ा जा रहा है। यह 1,504 किलोमीटर लंबा है। एक बार पूरा हो जाने पर, भारतीय रेलवे द्वारा वर्तमान में की जा रही माल ढुलाई का लगभग 70% हिस्सा इसी से पूरा किया जाएगा। दूसरा चरण कोलकाता और लुधियाना को जोड़ेगा और इसके 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। कॉरिडोर से देश भर में माल का तेज, अधिक विश्वसनीय और लागत प्रभावी परिवहन प्रदान करके भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग में नई क्रांति लाने की आशा है।
रसद संचालन की क्षमता और गति में सुधार के लिए केंद्र सरकार पिछले तीन साल से को सशक्त करने का काम कर रही है। सरकार ने इसके लिए अक्टूबर 2022 तक 7.5 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए थे, जिसमें से वित्त वर्ष 23 तक 55% इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में उपयोग हुआ है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता और उपलब्धता देश में लॉजिस्टिक्स परिदृश्य को आकार देने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। बुनियादी ढांचे में सुधार से सड़क, रेल और बंदरगाह नेटवर्क में लॉजिस्टिक लागत को कम करने में, डिलीवरी समय में सुधार करने और समग्र दक्षता में वृद्धि करने में मदद मिलेगी जिससे भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ हो सके। सार्वजनिक और निजी, दोनों भागीदारी ने देश में इस क्षेत्र की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार ने इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कई पहल की हैं। प्राइवेट सेक्टर के प्रवेश से निवेश में और तेजी आई है और क्षेत्र के विकास को गति मिली है। सार्वजनिक और निजी, दोनों पक्षों के निरंतर निवेश और समर्थन से इस सेक्टर के विकास को सही दिशा मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि जितनी जल्दी हो लॉजिस्टिक कॉस्ट को 13% -14% से एक सिंगल डिजिट तक लाया जा सके। इस विजन को साकार करने हेतु सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने का प्रयास किया है।
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नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी
यह पॉलिसी 17 सितंबर 2022 को लॉजिस्टिक लागत कम करने और वितरण समय में सुधार करने तथा सप्लाई चेन नेटवर्क की क्षमता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई थी। एनएलपी में बंदरगाह, हवाई अड्डे, गोदाम, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब आदि को मॉडर्न इकोनॉमी के जरूरतों के हिसाब से तैयार करने की योजना है। NLP क्षेत्र में 20 प्रमुख और 40 अधीनस्थ सरकारी एजेंसियां शामिल हैं। 50 आईटी केंद्र, बैंक, बीमा फर्म, 37 निर्यात प्रोत्साहन समितियां, 200 शिपिंग कंपनियां, 36 रसद सेवाएं, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो, 168 कंटेनर फ्रेट टर्मिनल।
यूनिफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफार्म, जो NLP के अंतर्गत आता है, उद्योग को लंबी चलने वाली प्रक्रिया से राहत पाने में मदद करने का काम करती है। यह प्लेटफार्म NLP के तहत परिवहन क्षेत्र में सभी डिजिटल सेवाओं को एक मंच पर लाने में मदद करता है। इसके अंतर्गत सेवा हेतु E- logs प्लेटफार्म को भी संचालित किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय ने 2019 में परामर्श के लिए एक मसौदा लॉजिस्टिक नीति जारी की, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई। बाद में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 2022-2023 के बजट में फिर से इसकी घोषणा की गई।
लॉजिस्टिक उद्योग ने केंद्रीय बजट 2023-24 में पूंजी निवेश परिव्यय को 33% बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये करने के सरकार के प्रस्ताव का स्वागत किया है। भारतीय रसद क्षेत्र 2. 2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। योजना के अनुसार इस पॉलिसी की वजह से निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी। साथ ही, यह 2030 तक रसद लागत को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 16 प्रतिशत से घटाकर वैश्विक औसत 8 प्रतिशत करना चाहता है। यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार का मूल्य अगले दो वर्षों में लगभग 215 बिलियन अमरीकी डॉलर का होगा, जबकि वर्तमान में यह लगभग 160 बिलियन अमरीकी डॉलर है। एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया लिमिटेड का अनुमान है कि यह क्षेत्र पिछले पांच वर्षों में 7.8 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने के बाद 2025 तक 10.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से विकसित होगा।
कुछ देशों ने पहले ही राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति विकसित कर ली हैं, जबकि अन्य उन्हें विकसित करने की प्रक्रिया में हैं। रसद क्षेत्र और समग्र अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक विकास और विकास के लिए इन नीतियों का कार्यान्वयन आवश्यक है।
गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान
सरकार की घोषित योजना के अनुसार गतिशक्ति एनएलपी में ईंधन का काम करेगा। यह योजना सरकार द्वारा 13 अक्टूबर 2021 में लॉन्च की गई। गतिशक्ति मास्टर प्लान का उद्देश्य देश भर में एक एकीकृत और निर्बाध लॉजिस्टिक और परिवहन अवसंरचना नेटवर्क बनाना है। योजना का उद्देश्य परिवहन और रसद की दक्षता में सुधार करना, परिवहन लागत को कम करना और देश के विनिर्माण और निर्यात क्षेत्रों की समग्र प्रतिस्पर्धा में सुधार करके देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देना देना है।
इस प्लान के तहत परिवहन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ ही सरकार डिजिटाइजेशन को भी बढ़ावा देती है। सस्टेनेबल परिवहन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए, अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग और कार्बन उत्सर्जन में कमी का ध्यान रखा गया है, जो भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद करेगी।
सरकार ने लॉजिस्टिक को मजबूत करने और उसकी कॉस्ट कम करने के लिए और भी योजनाओं पर काम किया है। पिछले लगभग 10 वर्षों में *सरगरमाला प्रोजेक्ट* जिसे 2015 में शुरू किया गया था, सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और लॉजिस्टिक कॉस्ट को कम करने के लिए बंदरगाह के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देना है। साथ ही देश की 7,500 किलोमीटर लंबी तट रेखा और अंतर्देशीय जलमार्गों का दोहन करना है। परियोजना का फोकस भीतरी इलाकों के साथ बंदरगाहों की कनेक्टिविटी को बढ़ाना, बंदरगाह के बुनियादी ढांचे का विकास करना और औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए तटीय आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना करना है।
इसके साथ ही *भारतमाला प्रोजेक्ट* पर काम चल रहा है जिसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। सरकार परियोजना में निवेश और निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है। इस परियोजना का लक्ष्य लगभग 83,677 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण करना है, जिसकी अनुमानित लागत 5.35 लाख करोड़ (लगभग 82 बिलियन अमरीकी डालर) है। यह भारत में अब तक की गई सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना का उद्देश्य देश भर में कनेक्टिविटी में सुधार करना है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों में, और व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाना है।
इसके अलावा सेक्टर को बेहतर करने के लिए सरकार कई तरह की प्रौद्योगिकी को अपना रही जैसे E-way bills, FASTages or ऑनलाइन साइट्स जैसे ease to logistics(E- logs) जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर एग्रो प्रोडक्ट्स की ढुलाई और टाइम की वेस्टेज को बचाने के उद्देश्य से काम चल रहा है। इनमें से वर्तमान में सबसे आगे गतिशक्ति है, क्योंकि यह बाकी सब की अपेक्षा अधिक लाभदायक सिद्ध हुआ है।
सरकार की प्राथमिकता विकसित लॉजिस्टिक का इस्तेमाल करने के साथ-साथ रसद क्षेत्र को सशक्त करना है जिससे लॉजिस्टिक की सुविधा देश के कोने-कोने तक पहुंचे और आम जनता के साथ साथ व्यवसाय को भी लाभ पहुंचे। व्यापार और वाणिज्य मंत्रालय का लक्ष्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को ट्रैक करने के लिए एकल मंच का निर्माण करना है। केंद्र सरकार के अनुसार लॉजिस्टिक क्षेत्र के विकास के लिए मुख्य उद्देश्य अगले 4 से 5 वर्षों में 200 हवाई अड्डे, हेलीपैड और वाटर एयरोड्रोम का निर्माण करना और 19000 किमी के वर्तमान प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नेटवर्क को लगभग दोगुना करना है।
निकट भविष्य में भारतीय रसद क्षेत्र भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की रीढ़ है जो न केवल देश के निर्यात, बल्कि देश में उत्पादन और निर्माण के विविधीकरण में भी मदद करता है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक लॉजिस्टिक लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 16% से घटाकर वैश्विक औसत 8% किया जाए ताकि भारतीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्राथमिकता मिले।