पश्चिम के विरोध के बावजूद रूस से तेल की खरीददारी और भारत की अर्थव्यवस्था के वैश्विक उथल-पुथल से अलग रहने समेत कई ऐसी उपलब्धियां रहीं जो भारत को एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति के तौर पर प्रस्तुत करती हैं।
2022 के शुरुआत में ही यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ने के कारण दुनिया ने महँगाई, ऊर्जा संकट, खाद्य संकट जैसी समस्याओं का सामना किया। वर्तमान में विश्व की अधिकाँश बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी के दौर से गुजर रही हैं परन्तु भारत लगातार अपनी अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार को बनाए रखने में सफल रहा है। आइए, वर्ष 2022 में भारत की आर्थिक उपलब्धियों पर नजर डालते हैं।
भारत बना पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था
इस वर्ष सितम्बर माह में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना। विशेषज्ञों के अनुसार, अब भारत 3.5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था है। देश की यह उपलब्धि इस लिए भी ख़ास है क्योंकि ब्रिटेन ने भारत पर लम्बे समय तक राज किया है और आजादी के पहले तक बड़े पैमाने पर संसाधनों की लूट कर चुका था।
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भारत ने इससे पहले फ्रांस को पीछे छोड़ कर विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने की उपलब्धि हासिल की थी। ब्रिटेन की एक संस्था द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2032 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और वर्ष 2035 में यह 10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की उपलब्धि हासिल करेगा।
अर्थव्यवस्था में तेज GDP बढ़ोतरी दर
वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाएं मंदी के दौर से गुजर रहीं हैं। अमेरिका समेत यूरोपीय देशों की GDP बढ़ने की जगह घट रही है। ऐसे में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहा। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में देश की अर्थव्यवस्था के 6.8% की गति से बढ़ने का अनुमान लगाया है।
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इसी दौरान, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 13% की गति से बढ़ी है। इसके उलट ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 0.4% से घटेगी, ऐसा अनुमान लगाया गया है।
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इसके अतिरिक्त, फ्रांस की अर्थव्यवस्था के मात्र 2.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है जिसमें आखिरी तिमाही में इसके 0.2% की दर से घटने का अनुमान लगाया गया है। भारत की अर्थव्यवस्था की प्रगति की दर को देखते हुए अधिकाँश वैश्विक आर्थिक संगठनों ने भारत को ‘आशा का द्वीप’ (Island of hope) कहा है।
विश्व के मुकाबले महंगाई पर रहा नियंत्रण
वर्ष 2022 में विश्व की लगभग हर अर्थव्यवस्था महंगाई से पीड़ित रही। कोरोना के कारण आपूर्ति चेन की समस्या के चलते वस्तुओं की कीमतें पहले से ही ऊपर थीं, रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी माह में छिड़े युद्ध ने इसमें तेजी ला दी। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण पूरी दुनिया में ऊर्जा की कीमतें हर देश में बढ़ी रही।
रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रारम्भ होने से पहले कच्चे तेल की कीमत लगभग 70-75 डॉलर प्रति बैरल थी। यह बढ़ते-बढ़ते 120 डॉलर प्रति बैरल के पार तक पहुँच गई। ऊर्जा में तेल और गैस के दाम बढ़ने के कारण इसका असर अन्य वस्तुओं पर पड़ा। इससे पूरी दुनिया में, खासकर यूरोपीय देशों में महंगाई की दर कई दशकों में सबसे ऊपर रही।
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इन देशों की तुलना में इस दौरान भारत में महंगाई की दर अनियंत्रित नहीं हुई। कुछ माह के लिए महंगाई जरूर सामान्य स्तर से ऊपर रही पर भारतीय रिजर्व बैंक के प्रयासों के कारण यह नवम्बर माह तक रिजर्व बैंक के द्वारा स्वीकार्य सीमा के नीचे आ गई है।
अगर देखा जाए तो भारत में खुदरा महंगाई दर, इस साल अप्रैल माह में सबसे अधिक थी जिसके बाद घटते हुए यह नवम्बर माह में 5.85% पर आ गई, यह RBI के आँकड़े 4(+/-2%) की सीमा के अंदर है।
वहीं इसके उलट ब्रिटेन समेत कई यूरोपीय देशों में महंगाई का आँकड़ा आसमान छू रहा है। ब्रिटेन में खुदरा महंगाई का आंकड़ा 10% के ऊपर रहा है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में भी यह आँकड़ा 8-10% के बीच रहा है।
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रूस से तेल खरीद
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ते कच्चे तेल के दामों के बीच भारत का रूस से तेल खरीदना रणनीतिक और आर्थिक, दोनों दृष्टिकोण से एक बड़ा निर्णय रहा। पश्चिमी देशों ने भारत द्वारा रूस से तेल ना खरीदने के लिए काफी दबाव डाला परन्तु भारत ने अपने हितों की सुरक्षा के लिए रूस से तेल की खरीद जारी रखी।
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दरअसल, रूस ने भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार से सस्ता तेल दिया जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा दबाव कम हुआ और आंतरिक स्तर पर हमें महंगाई रोकने में मदद मिली। रूस, अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल का आपूर्ति वाला देश बन चुका है।
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रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत सरकार की नीति स्पष्ट रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में भी कहा कि हमें जहाँ से किफायती दाम में ऊर्जा मिलेगी हम खरीदेंगे, क्योंकि हमारा कर्तव्य अपने देश के नागरिकों के लिए सबसे अच्छी डील करना है।
लगातार बढ़ता सेवा और निर्माण क्षेत्र
वित्त वर्ष 2022 के दौरान देश ने सेवा और निर्माण दोनों ही क्षेत्र ने तरक्की की। देश में औद्योगिक तेजी को मापने वाला सूचकांक PMI (पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स) इस साल लगातार बढ़ता रहा। इसके उलट चीन, अमेरिका, ब्रिटेन जैसी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएं यह बढ़त न बना सकीं।
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PMI का आँकड़ा देने वाली संस्था स्टैण्डर्डस एन पुअर्स ग्लोबल के अनुसार, इस साल नवम्बर माह तक भारत का औद्योगिक सूचकांक 50 से ऊपर रहा जो कि अर्थव्यवस्था में बढ़त का संकेत है। नवम्बर माह में यह 55.7 पर रहा, वहीं चीन के सम्बन्ध में यह आँकड़ा 49 के आसपास रहा।
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भारत की अर्थव्यवस्था के आगामी वर्ष में भी तेजी से बढ़ने के अनुमान हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष इस दशक को भारत का दशक बता चुका है। कई विशेषज्ञ यहाँ तक कह चुके हैं कि यह दशक ही नहीं, यह सदी ही भारत की है। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था अस्थिर विश्व के ‘आशा का द्वीप’ ही है।