भारत सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण सुविधाएं बनाएगा, केन्द्रीय कैबिनेट ने इसके लिए एक मंत्रालयीय समिति बनाने की मंजूरी दी है। यह भंडारण सुविधाएं देश के सहकारी क्षेत्र में बनाई जाएंगी। सरकार के इस निर्णय की जानकारी देश के सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी है।
योजना को जल्दी से जल्दी कार्यान्वित किया जा सके, इसके लिए देश के अलग-अलग राज्यों के 10 जनपदों में इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट लांच किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट से प्राप्त जानकारी का उपयोग योजना को आगे बढ़ाने में किया जाएगा।
इस समिति में कृषि और किसान कल्याण मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री शामिल किए जाएंगे। इन विभागों के सचिवों को भी इसमें सदस्य बनाया जाएगा। इस समिति के अध्यक्ष देश के सहकारिता मंत्री होंगे।
योजना के अंतर्गत अन्न एवं इससे जुड़े हुए भंडारण के लिए गोदामों समेत अन्य सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। योजना पर खर्च के लिए लिए वर्तमान में चल रही अलग-अलग योजनाओं और फंड की सहायता ली जाएगी। यह फंड 3 अलग-अलग मंत्रालयों की 8 योजनाओं से लिया जाएगा।
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केंद्र सरकार का कहना है कि इससे कई मोर्चों पर लाभ होंगे। सरकार के अनुसार, इससे छोटी सहकारी कृषि ऋण समितियां, जिनके स्तर पर यह योजना चालू की जा रही है उचित मूल्य की राशन की दुकानों, केन्द्रीय और राज्य कृषि विपणन एजेंसियों के लिए खरीददारी करने, अन्न को प्रोसेस करने की यूनिट लगाने जैसे कार्य कर पाएंगी।
देश में इन सहकारी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों की संख्या 1 लाख से अधिक है और इनसे 13 करोड़ से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि इस योजना को तेज गति से लागू करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी के एक सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय संयोजन समिति का गठन कर दिया जाएगा एवं 15 दिनों के भीतर दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे।
इन समितियों को भारत सरकार और राज्य सरकार से जोड़ने के लिए एक नया पोर्टल भी 45 दिनों के भीतर लांच किया जाएगा और इसी दौरान इस पर काम भी चालू कर दिया जाएगा। इस योजना के पीछे प्रधानमन्त्री मोदी की ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना है।
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