विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने मंगलवार (अगस्त 8, 2023) को बताया कि विवाद निपटान करने वाले दो अलग-अलग पैनलों ने यह जानकारी दी है कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क के संबंध में पनपे विवादों को पारस्परिक तालमेल से सुलझा लिया है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार सम्बन्धी छः विवादों का अंत हो गया है।
साल 2018 में अमेरिका ने धारा 232 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए भारत और अन्य देशों से स्टील के आयात पर 25% और एल्यूमीनियम के आयात पर 10% शुल्क लगाया था। प्रतिक्रिया में भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क लगा दिया था, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के मध्य व्यापार में तनाव बढ़ गया था। यह विवाद दोनों पक्षों के अतिरिक्त आयात शुल्क से संबंधित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की हाल ही में हुई राजनयिक यात्रा के बाद भारत को यह महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई और दोनों देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के ढांचे के भीतर छः विवादास्पद मामलों को हल करने की दिशा में आम सहमति पर पहुंचे। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका से विशिष्ट आयात पर प्रतिशोधात्मक शुल्क को खत्म करने के लिए आपसी समझ स्थापित की गई थी।
13 जुलाई, 2022 को, भारत और अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन को सूचित किया था कि वे दो विवादों में उठाए गए मामलों को निपटाने के लिए पारस्परिक रूप से सहमति के द्वारा समाधान पर पहुंच गए हैं। 9 अगस्त, 2022 को जारी डब्ल्यूटीओ पैनल ने केवल समाधान को स्वीकार किया और दावों पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया। परिणामस्वरूप वर्षों से चल रहे व्यापारिक विवादों का औपचारिक रूप से अंत हो गया है।
यह प्रस्ताव भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक विकास करेगा। साथ ही इससे पता चलता है कि दोनों देश व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ाने की बजाए रचनात्मक सोच और बातचीत के जरिए समस्याओं को हल कर उसे सुलझाने के लिए इच्छुक हैं। दो प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग का निर्माण एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थापित करता है। इस समझौते में स्टील, एल्युमीनियम, नवीकरणीय ऊर्जा और अन्य जैसे क्षेत्रों से जुड़े कुल छः विवाद शामिल हैं।
इन लंबे विवादों का आपसी समाधान ढूंढकर भारत और अमेरिका ने नियम-आधारित वैश्विक व्यापार को बरकरार रखा है। यह मुद्दों को व्यावहारिक रूप से संबोधित करने और व्यापार संबंधों में स्थिरता बनाए रखने की दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह सकारात्मक विकास द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत की बाधाओं को भी दूर करता है। कुल मिलाकर, यह दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के प्रयासों में योगदान देता है।