भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा से लौटते हुए एक दिन के लिए भारत के महत्वपूर्ण सहयोगी खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहुंचे। प्रधानमंत्री का स्वागत UAE के राष्ट्रपति शेख खालेद बिन मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान ने किया।
प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान UAE की राजधानी अबूधाबी में IIT-दिल्ली की नई शाखा खोलने, द्विपक्षीय व्यापार को स्थानीय मुद्रा रुपए-दिरहम में करने और भारत के इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम UPI को UAE के पेमेंट सिस्टम IPP से जोड़ने का समझौता हुआ। दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के स्थानीय कार्ड रुपे (भारत) और यूएईस्विच (UAE) को भी आपस में जोड़ने पर समझौता हुआ।
भारत और UAE के बीच हुए ये समझौते महत्वपूर्ण हैं। UAE, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है। UAE में लाखों भारतीय काम करते हैं और दोनों देशों के बीच बड़े स्तर पर आयात-निर्यात होता है। एक-दूसरे से स्थानीय मुद्रा में व्यापार करके दोनों देश डॉलर पर अपनी निर्भरता समाप्त कर सकेंगे।
UAE से दिरहम और रुपए में लेनदेन करने का समझौता कितना अहम?
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में सबसे प्रमुख समझौता एक-दूसरे के साथ होने वाले व्यापारिक लेनदेन को रुपए-दिरहम में सेटल करने को लेकर है। भारतीय रिजर्व बैंक ने UAE की केन्द्रीय बैंक के साथ लोकल करेंसी सेटलमेंट सिस्टम (LCSS) स्थापित करने का समझौता किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच फाइनेंसियल सेटलमेंट के लिए लोकल करेंसी का प्रयोग किया जा सकेगा।
समझौते के अनुसार इस व्यवस्था के प्रभाव में आने पर दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात का भुगतान रुपए और दिरहम में किया जा सकेगा। उदाहरण के लिए, UAE से कच्चा तेल लेने वाली भारतीय कम्पनियां अब इसका भुगतान रुपए में कर सकेंगी। इसके अतिरिक्त, UAE में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को अपने रिमिटंस लोकल करेंसी में भेज सकेंगे और उन्हें इसे विदेशी मुद्रा में बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस व्यवस्था के प्रभाव में आने से व्यापार में भुगतान को लेकर लगने वाला समय भी घटेगा और रिमिटेंस के लिए होने वाले फ़ाइनेशियल ट्रांजेक्शन का कॉस्ट भी घटेगा। यह समझौता कितने महत्वपूर्ण है, उसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत और UAE के बीच वर्ष 2022-23 में 84.5 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ है। भारत ने इस दौरान UAE को 31.6 बिलियन डॉलर के निर्यात किए हैं जबकि UAE से भारत को आयात 53.2 बिलियन डॉलर रहे हैं।
वर्तमान में इस व्यापार में अधिकांश लेनदेन डॉलर में होता है। भारत-UAE के बीच होने वाले व्यापार के रुपए-दिरहम में होने से भारत को कई बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
UPI-IPP लिंक से क्या-क्या बदलेगा?
रुपए-दिरहम में व्यापार के अतिरिक्त, दोनों देशों के केन्द्रीय बैंकों ने अपने इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम को जोड़ने करने का निर्णय लिया है। दोनों देशों ने अपने-अपने स्थानीय कार्ड सिस्टम रुपे-यूएई स्विफ्ट को भी एक साथ जोड़ने का निर्णय लिया गया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, UAE में वर्तमान में 35 लाख भारतीय रहते हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या UAE में रोजगार के लिए जाने वालों की है, जो हर वर्ष बड़ी धनराशि भारत भेजते हैं। लोकसभा में दिए गए एक उत्तर के अनुसार, विदेश से भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले कुल रिमिटेंस में लगभग 18% UAE से होता है जो लगभग 20 बिलियन डॉलर है।
ऐसे में दोनों देशों के इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के सिस्टम को जोड़ने पर लेनदेन आसान होगा। 2022 में 50 लाख भारतीय पर्यटक UAE पहुंचे थे। ऐसे में UPI के इंटीग्रेशन से UAE जाने वाले पर्यटकों को भी भुगतान में आसानी होगी।
रुपए-UPI का वैश्वीकरण कर रहा है भारत
भारत ने रुपए और UPI के ग्लोबलाइज़ेशन के प्रयास हाल में तेज कर दिए हैं और व्यापार लेन-देन के लिए रुपये में भुगतान और UPI को भुगतान माध्यम बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हाल ही में बांग्लादेश से रुपए में व्यापार करने के लिए समझौता किया है, इसके लिए दोनों देशों के बैंकों को नोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दी गई है।
भारत-बांग्लादेश के बीच का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 15 बिलियन डॉलर का है। इसमें भारत बांग्लादेश को लगभग 13 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है जबकि बांग्लादेश से 2 बिलियन डॉलर के उत्पाद भारत आते हैं। दोनों देशों के बीच रुपए-टका में व्यापार होने पर बांग्लादेश की डॉलर पर निर्भरता कम होगी और उसे विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होगी। भारत के रुपए इससे स्वीकार्यता बढ़ेगी और उसे भी विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
बांग्लादेश के अतिरिक्त, भारत श्रीलंका के साथ रुपए में व्यापार करने के विकल्प पर विचार कर रहा है जिसे श्रींलका का भी समर्थन मिल रहा है। श्रींलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने हाल ही में दिए एक बयान में कहा कि वह भारतीय रुपए को डॉलर के बराबर की स्वीकार्य मुद्रा बनते देखना चाहेंगे। श्रींलका के राष्ट्रपति का यह बयान अहम है और श्रीलंका में भारतीय प्रभाव को दर्शाता है।
भारत ने इससे पहले रूस से रुपए-रूबल में व्यापार की व्यवस्था चालू की थी। इसके अतिरिक्त, UPI को भी प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान फ्रांस में प्रारम्भ करने पर सहमति बनी थी। सिंगापुर और भारत के तेज भुगतान सिस्टम को UPI से पहले ही जोड़ा जा चुका है।
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