पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए स्थितियां लगातार गंभीर बनी हुई हैं। बीते 3 दिनों के भीतर पाकिस्तान में सिख समुदाय के २ व्यापारियों पर हमले किए जा चुके हैं जिसमें एक की मृत्यु भी हो गई है। यह दोनों हमले पाकिस्तान के खैबर पख्तून्ख्वाह प्रांत की राजधानी पेशावर में हुए हैं। वहीं, भारत ने अब इन घटनाओं पर पाकिस्तान से उत्तर माँगा है।
बीते 3 दिनों में हुई दो अलग-अलग घटनाओं में जहाँ एक सिख व्यक्ति मनमोहन सिंह की मृत्यु हो गई तो वहीं एक अन्य व्यक्ति तरलोक सिंह घायल हो गया। मनमोहन को पेशावर के आंतरिक इलाके में जाते वक्त निशाना बनाया गया था जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। वहीं, तरलोक सिंह को भी गोली मारी गई जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
भारत ने पाकिस्तान में सिखों पर हो रहे अत्याचार का जायजा लेते हुए नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के एक वरिष्ठ राजनयिक को तलब किया है। भारत ने पाकिस्तानी राजनयिक के समक्ष सिखों पर हो रहे अत्याचार को लेकर कड़ा प्रतिरोध दर्ज किया है। भारत ने पाकिस्तान से इन घटनाओं में शामिल व्यक्तियों को गिरफ्तार कर गंभीर कार्रवाई करने की मांग की है।
पाकिस्तान की पुलिस ने इन घटनाओं में शामिल कुछ व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। सिखों पर किए गए इन हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है। पुलिस इन वारदातों को सिखों को जानबूझ कर निशाना बनाने के तौर पर देख रही है। इससे पहले भी पेशावर में कई बार सिखों पर हमले हो चुके हैं।
ऐसे ही एक हमले में सितम्बर 2022 में एक सिख यूनानी डॉक्टर को मार दिया गया था। इससे पहले वर्ष 2022 में भी दो सिख व्यक्तियों रंजित सिंह और कुलजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी। वर्ष 2021 में सतनाम सिंह जबकि वर्ष 2020 रविंदर सिंह नाम के दो सिखों को मारा गया था। वर्ष 2018 में भी चरनजीत सिंह नाम के एक व्यक्ति की हत्या हुई थी। वर्ष 2016 में एक सिख सांसद डॉ सोरन सिंह की हत्या हो गई थी।
पाकिस्तान से इसी वर्ष में अप्रैल माह से लेकर जून के बीच लगभग 4 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें सिखों पर अत्याचार किए गए हैं। भारत ने इन सभी मामलों पर गंभीर चिंता जताई है। भारत ने इन घटनाओं की जांच रिपोर्ट भी मांगी है। अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान में १5,000 से 20,000 तक सिख आबादी बची है।
जिस पेशावर शहर में 48 घंटों के भीतर सिखों पर हमले हुए हैं, वहां पर लगभग 500 सिखों के घर हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि पेशावर में रहने वाले अधिकांश सिख ‘पश्तून सिख’ हैं। यह पश्तून सिख पंजाबी सिखों से अलग हैं और इनकी मुख्य भाषा पश्तो है। इनका खान-पान भी पश्तूनों जैसा है और यह समुदाय अफगान पश्तूनों से काफी समानताएं रखता है।
पेशावर में रहने वाले अधिकांश सिख छोटे-मोटे व्यापार से जुड़े हुए हैं, इनमें से बड़ी संख्या दवा व्यापारियों की है। यह देखने में आया है कि इन सिखों को इनकी दुकानों पर निशाना बनाया जा रहा है और बंदूकधारी इनकी हत्या कर रहे हैं। इन सिखों को वर्तमान में सबसे बड़ा खतरा इस्लामिक स्टेट समूह से ही है जो लगातार इन्हें निशाना बना रहे हैं।
पेशावर में वर्तमान में दो प्रमुख गुरद्वारे और दो स्कूल भी हैं जिन्हें सिखों द्वारा संचालित किया जाता है। इन स्कूलों में गुरबानी की शिक्षा सिख बच्चों को दी जाती है। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय पाकिस्तान में लगभग 20 लाख सिख थे जो अब घट कर 20,000 से भी कम रह गए हैं।
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