जुलाई अगस्त माह में देश में शोधकर्ताओं के शोध और खनन व मूर्ति विंग के सतर्कता कार्यकर्ताओं द्वारा विदेशी नीलामी केन्द्रों की गतिविधियों पर पैनी नज़र के कारण कई प्राचीन भारतीय मूर्तियाँ प्रकाश में आई हैं। भारत से जहाँ एक ओर हजारों प्राचीन मूर्तियों की चोरी और तस्करी होती रही है वहीं दूसरी ओर बहुत सी प्राचीन मूर्तियाँ इतिहास की धूल में जमीन में दफन हैं।
तमिलनाडु के तिरुपुर में मिला ‘हीरो स्टोन’
तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में शोधकर्ताओं के एक समूह को हाल ही में एक योद्धा की 11वीं शताब्दी की एक पत्थर की मूर्ति मिली है। तिरुपुर स्थित विराराजेंद्रन पुरातत्व और ऐतिहासिक अनुसंधान केंद्र के शोधकर्ताओं की एक टीम को 14 अगस्त को चिन्नापुथुर गांव में फील्डवर्क के दौरान योद्धा की यह मूर्ति मिली है, जिसे ‘हीरो स्टोन’ नाम दिया गया है।
इस केन्द्र के निदेशक एस रविकुमार ने कहा, “हीरो स्टोन की लंबाई 50 सेमी और चौड़ाई 40 सेमी है। हीरो स्टोन पर, दो नायकों को शानदार ढंग से उकेरा गया था। पहले नायक के बाएं हाथ में धनुष है और उसके दाहिने हाथ में तीर है। दूसरे नायक के दाहिने हाथ में भाला और बाएं हाथ में एक ढाल है।”
हीरो स्टोन पर कोई शिलालेख नहीं मिला है। पर इसकी शैली के आधार पर, हीरो स्टोन को 11 वीं शताब्दी ईस्वी का माना जा रहा है। दोनों नायक अपने कानों में कुंडल आभूषण पहने हैं, कंडुगई और सरपल्ली-प्रकार के गहने गले में और थोलवलाई और विराकप्पू अपने हाथों पर पहने दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने शरीर पर सुन्दर पोशाक भी पहनी हुई है।
तंजावुर के संत संबंदर की चोलकालीन मूर्ति अमेरिका में मिली
तमिलनाडु के तंजावुर जिले में थंडनथोटम के नादानपुरेश्वरर शिवन मंदिर से चोरी हुई चोलकालीन शिवभक्त कवि व संत संबंदर की 13वीं सदी की उत्कृष्ट कांस्यमूर्ति अमेरिका के क्रिस्टी नीलामी केन्द्र में पाई गयी है। तमिलनाडु के मूर्ति प्रकोष्ठ ने गत सप्ताह यह दावा किया है।
इस सुंदर नक्काशीदार मूर्ति में संत संबंदर ने कमल के फूल पर नृत्य करते हुए बाएं पैर को ऊपर उठाया हुआ है और बाएं हाथ को फैलाए हुए हैं, उनकी कमर में घंटियों वाला कमरबंद बंधा हुआ है। संत संबंदर की मूर्ति के टखनों, छाती, बाँह, कानों और गर्दन पर सजावटी आभूषण भी अंकित हैं।
गौरतलब है कि नादानपुरेश्वर शिव मंदिर से कृष्णनर्तन, संबंदर, अगस्तियार, अय्यनार, और देवी पार्वती की मूर्तियां मई 1971 में चोरी हो गईं थीं। मूर्ति प्रकोष्ठ पुलिस ने क्रिस्टी नीलामी हाउस की वेबसाइट पर प्रदर्शित संबंदर की मूर्ति को पहचान लिया था। प्रकोष्ठ ने क्रिस्टी से मूर्ति लौटाने का आग्रह किया है।
इससे पहले इसी थंडनथोटम मंदिर से देवी पार्वती की गायब हुई मूर्ति मिलने के बाद अमेरिका से यहाँ की चोरी मूर्ति मिलने का यह दूसरा मामला है।
तमिलनाडु से चोरी हुई देवी पार्वती की मूर्ति न्यूयॉर्क में मिली
थंडनथोटम मंदिर से 50 साल पहले चोरी हुई पार्वती की इस मूर्ति को अमेरिका के न्यूयॉर्क में पाया गया है। मूर्ति न्यूयॉर्क के बोनहम्सो नीलामी हाउस से मिली है।
यह मूर्ति 12वीं सदी के चोल शासन में बनी थी और मूर्ति की लंबाई 52 सेंटीमीटर है। अमेरिका में नीलाम होने वाली पार्वती देवी की इस मूर्ति की कीमत 1,68, 26,143 भारतीय रुपए लगाई गयी थी। मूर्ति प्रकोष्ठ ने अंतराष्ट्रीय नियमों के अंतर्गत इसे वापिस भारत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पिछले महीने ही मिली थी सेम्बियन महादेवी की प्राचीन मूर्ति
जुलाई माह में मूर्ति प्रकोष्ठ ने चोलवंश की रानी सेम्बियन महादेवी की एक प्राचीन मूर्ति, जो कि 100 साल पहले नागपट्टिनम के एक मंदिर से चोरी हो गई थी, वह वाशिंगटन में एक आर्ट गैलरी में खोज ली थी। 10 वीं शताब्दी की यह पंचलौह मूर्ति सेम्बियन महादेवी गांव में कैलासनाथर भगवान शिव मंदिर की उत्सव मूर्ति थी।
सेम्बियन महादेवी एक महान शिवभक्त थीं जिन्होंने नए मंदिरों के निर्माण और समाजकल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उन्होंने तमिलनाडू के कुत्रालम, विरुधाचलम, अदुथुराई, वक्कराई, अनंगुर, आदि में अनेक मन्दिरों का निर्माण किया था।
चोल राजपरिवार महाराज पराकेसरी उत्तम चोल द्वारा राजमाता महादेवी के सम्मान में उनकी एक धातु की मूर्ति कैलाशनाथ मंदिर में प्रदान की गयी थी जिसे उनके जन्मदिन समारोह की शोभायात्रा में उपयोग किया जाता था। अमेरिका से मिली मूर्ति वही मूर्ति है। मूर्ति प्रकोष्ठ जल्द से जल्द इस मूर्ति को भी भारत लाने की प्रक्रिया में जुटा है।
उत्तरप्रदेश के हमीरपुर में मिली भगवान सूर्य की प्राचीन मूर्ति
अगस्त माह में ही उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक परिसर में खुदाई के दौरान भगवान सूर्य की प्राचीन मूर्ति पाई गयी है। पुरातत्व विभाग ने मूर्ति के स्वरुप के अनुसार इसे कम से कम एक हज़ार साल पुराना और चंदेल शासनकाल में बना बताया है।
मूर्ति का आकार काफी बड़ा लगभग साढ़े तीन फिट का है। खास बात यह है कि पत्थर की होने के बावजूद यह मूर्ति खंडित नहीं है। मूर्ति के नीचे कई देवियाँ भी उत्कीर्ण हैं। हालाँकि यह मूर्ति सूर्य की है या विष्णु की, इसपर उचित शोध किया जा रहा है।