The PamphletThe Pamphlet
  • राजनीति
  • दुनिया
  • आर्थिकी
  • विमर्श
  • राष्ट्रीय
  • सांस्कृतिक
  • मीडिया पंचनामा
  • खेल एवं मनोरंजन
What's Hot

मौद्रिक नीति समिति ने दर्शाया सप्लाई साइड सुधारों में विश्वास

December 11, 2023

भारत के मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ता बाजार में बढ़ी जापान की पहुँच, आर्थिक सहयोग में आई तेजी

December 9, 2023

पश्चिम बंगाल : मुर्शिदाबाद अस्पताल में 24 घंटे में 9 नवजात शिशुओं की मौत, जांच के आदेश

December 8, 2023
Facebook X (Twitter) Instagram
The PamphletThe Pamphlet
  • लोकप्रिय
  • वीडियो
  • नवीनतम
Facebook X (Twitter) Instagram
ENGLISH
  • राजनीति
  • दुनिया
  • आर्थिकी
  • विमर्श
  • राष्ट्रीय
  • सांस्कृतिक
  • मीडिया पंचनामा
  • खेल एवं मनोरंजन
The PamphletThe Pamphlet
English
Home » मदरसे में आग के बहाने नालंदा को जलाने वाले बख्तियार खिलजी को क्लीनचिट
प्रमुख खबर

मदरसे में आग के बहाने नालंदा को जलाने वाले बख्तियार खिलजी को क्लीनचिट

Jayesh MatiyalBy Jayesh MatiyalApril 5, 2023No Comments4 Mins Read
Facebook Twitter LinkedIn Tumblr WhatsApp Telegram Email
OIC on Ram Navami
रामनवमी हिंसा को लेकर OIC के बयान पर भारत का जवाब
Share
Facebook Twitter LinkedIn Email

बीते कल 57 मुस्लिम देशों के संगठन OIC यानी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने बयान जारी कर कहा है कि भारत में रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान मुसलमानों को निशाना बनाया जाना चिंताजनक है। OIC ने हमेशा की तरह भारत पर अपना एजेण्डा थोपते हुए अजीजिया मदरसे में लगी आग को आधार बनाते हुए इस्लामोफोबिया का जमकर रोना रोया।

यह पहली बार नहीं है जब OIC ने इस तरह का बयान जारी किया है। इससे पहले भी यह ऑर्गनाइजेशन भारत के कश्मीर, कर्नाटक में हिजाब बैन, हरिद्वार में धर्म संसद, नागरिकता संशोधन कानून और ऐसे कई अन्य आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करता आया है। 

रामनवमी पर भारत विरोधी टूलकिट एक्टिव हो गई

हर बार की तरह इस बार भी विदेश मंत्रालय ने OIC को आईना दिखाने का काम किया। मंत्रालय ने जारी किए गए अपने बयान में कहा है कि OIC की यह टिप्पणी सांप्रदायिक मानसिकता और भारत विरोधी एजेंडे का एक और उदाहरण है। OIC भारत विरोधी ताकतों के एजेण्डे पर चलकर अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता रहता है।

सवाल यह है कि OIC हर बार इस तरह के बयान कैसे जारी कर देता है? वह भी तब जब स्थानीय स्तर पर स्थिति उसके बयानों के विपरीत होती है? 

इसका जवाब है भारत के सेकुलर वर्ग के वे  बुद्धिजीवी, ऐक्टिविस्ट, पत्रकार लॉबी जिनकी पीढ़ियां भारत की छवि एक इस्लामोफोबिक राष्ट्र और अल्पसंख्यकों को पीड़ित दिखाने में घिस गई।

पत्रकार मीर फैजल  को ही ले लें। उनके प्री-प्लांड फोटोशूट के कारण ही अजीजिया मदरसे की बात देश की मीडिया से लेकर विदेशों की मीडिया तक पहुँची और अभी भी पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। भारत के मीडिया ने इसे थोड़ा और ग्लोरीफाई किया कि 110 वर्ष पुराना मदरसा जलाया गया। जहां हजारों किताबें जमा थी। 

राना अयूब ने तो पुलिस जांच से पहले ही बता दिया कि 1,000 लोगों की सशस्त्र  भीड़ ने पेट्रोल बम फेंके। 

ट्विटर पर टूलकिट के अनुसार हैशटैग चलाए गए। कुछ पीएचडी धारकों ने बख्तियार खिलजी का बचाव करते हुए इसे नालंदा विश्वविद्यालय का बदला बता दिया। ना केवल बख्तियार खिलजी का बचाव किया गया बल्कि नालंदा विश्वविद्यालय को जलाए जाने की बात को ही नकार दिया गया।

पढ़े-लिखे इन जाहिलों की बात का एक जवाब यह भी हो सकता है कि उस समय मीर फैजल जैसा कोई एजेण्डाधारी पत्रकार नहीं था वरना वो फोटोशूट तो जरूर करवा लेता। 

नेतागणों की बात करें तो वे एक कदम आगे बढ़े और यह बताने में लग गए कि मरता क्या न करता। जान बचाने के लिए मुस्लिम बच्चों को ये करना पड़ा है। वे अपनी सुरक्षा में बम बना रहे थे। 

यह भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल: हुगली में कानून व्यवस्था चरमराने के बाद इंटरनेट बैन

एजेण्डाधारियों का यह वर्ग नहीं बताएगा कि बिहारशरीफ में ही हिन्दुओं की दुकानों के गोदाम जिसकी कीमत करोड़ों रुपए थी उसे कैसे एक मुस्लिम भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। यह नहीं दिखाया गया कि कैसे उमेश प्रसाद गोस्वामी की 10 दुकानों को क्षतिग्रस्त किया गया और मध्ययुगीन  मुस्लिम आक्रांताओं की नक़ल करके सामान लूट लिया गया। कोई यह नहीं बताएगा कि मुस्लिमों की उस भीड़ में से उठकर एक व्यक्ति ने गुलशन कुमार को गोली मार दी। एजेण्डाधारियों ने यह नहीं बताया कि 500 हिन्दू लापता कैसे हो गए या यह कि जब हिन्दू अपनी जान बचाने के लिए थाने जाता है तो पुलिस उन्हें भगा देती है। एजेण्डाधारियों ने 8 साल के उस बच्चे के बारे में नहीं बताया जो पुलिस पर पत्थर मार रहा था। इस पर यह वर्ग चुप्पी साध लेता है कि आखिर पत्थरबाजी करने वाला यह बच्चा कौन है? जब इस तरह के सवाल पूछे जाएं तो यह वर्ग एकाएक असहज होने लगता है, विक्टिम कार्ड खेलने लगता है और आप पर, हम पर, इस्लामोफोबिक का ठप्पा लगाने का प्रयास किया जाता है।

OIC को समझना चाहिए कि यह भारतीय हिंदुओं की संस्कृति का असर है कि समय-समय पर जिस भारत को इस्लामोफोबिक बताने का कुत्सित प्रयास किया जाता है, वह भारत मुस्लिम आबादी के लिहाज से शीर्ष तीन देशों में है।  

समय को देखते हुए OIC का यह बयान आश्चर्यचकित भी नहीं करता। देश में राजनीतिक घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहे हैं और इस समय देशी राजनीति में केवल डोमेस्टिक प्लेयर्स ही नहीं खेल रहे हैं। विदेशी प्लेयर्स भी खेल रहे हैं और कई टूलकिट एक साथ एक्टिवेट कर दी गई हैं। अमेरिका या जर्मनी का भारत में राजनीतिक घटनाओं पर नजर रखने की घोषणा हो या भारतीय विपक्ष के प्रमुख नेता द्वारा भारतीय राजनीति में वैश्विक शक्तियों से हस्तक्षेप करने का आह्वान, किसी भी घटना को आइसोलेशन में नहीं देखा जा सकता। ऐसे में OIC के इस वक्तव्य को पहले से घट रही इन्हीं घटनाओं का विस्तार माना जाएगा। 

यह भी पढ़ें: मुस्लिम मौलानाओं का नया शगल | The Pamphlet

Author

  • Jayesh Matiyal
    Jayesh Matiyal

    जयेश मटियाल पहाड़ से हैं, युवा हैं। व्यंग्य और खोजी पत्रकारिता में रूचि रखते हैं।

    View all posts

Share. Facebook Twitter LinkedIn Email
Jayesh Matiyal
  • Facebook
  • X (Twitter)
  • Instagram

जयेश मटियाल पहाड़ से हैं, युवा हैं। व्यंग्य और खोजी पत्रकारिता में रूचि रखते हैं।

Related Posts

मौद्रिक नीति समिति ने दर्शाया सप्लाई साइड सुधारों में विश्वास

December 11, 2023

भारत के मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ता बाजार में बढ़ी जापान की पहुँच, आर्थिक सहयोग में आई तेजी

December 9, 2023

पश्चिम बंगाल : मुर्शिदाबाद अस्पताल में 24 घंटे में 9 नवजात शिशुओं की मौत, जांच के आदेश

December 8, 2023

AI Summit 2023: प्रधानमंत्री मोदी ने किया ग्लोबल पार्टनर्स को आमंत्रित, एआई के सकारात्मक प्रभाव पर दिया जोर

December 8, 2023

पंजाब : ड्रग्स और शराब के बाद अब नशामुक्ति दवाओं का चस्का, नशा करने वालों की संख्या 8 लाख के पार

December 7, 2023

‘मोदी जी’ कहकर मुझे जनता से दूर ना करें: पीएम मोदी की पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील

December 7, 2023
Add A Comment

Leave A Reply Cancel Reply

Don't Miss
आर्थिकी

मौद्रिक नीति समिति ने दर्शाया सप्लाई साइड सुधारों में विश्वास

December 11, 20234 Views

मौद्रिक नीति समिति बैठक में मजबूत घरेलू मांग के कारण 2023-24 के लिए जीडीपी की वृद्धि का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया है।

भारत के मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ता बाजार में बढ़ी जापान की पहुँच, आर्थिक सहयोग में आई तेजी

December 9, 2023

पश्चिम बंगाल : मुर्शिदाबाद अस्पताल में 24 घंटे में 9 नवजात शिशुओं की मौत, जांच के आदेश

December 8, 2023

AI Summit 2023: प्रधानमंत्री मोदी ने किया ग्लोबल पार्टनर्स को आमंत्रित, एआई के सकारात्मक प्रभाव पर दिया जोर

December 8, 2023
Our Picks

‘मोदी जी’ कहकर मुझे जनता से दूर ना करें: पीएम मोदी की पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील

December 7, 2023

सौगत रॉय जी, देश की अखंडता ‘राजनीतिक स्लोगन’ नहीं बल्कि लोकतंत्र की आवाज है

December 7, 2023

भारी विरोध के बाद गोमूत्र के ताने पर डीएमके सांसद सेंथिलकुमार ने मांगी माफी

December 6, 2023

सनातन के अनुयायियों ने उदयनिधि स्टालिन की राजनीतिक जमीन हिला दी है

December 5, 2023
Stay In Touch
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram
  • YouTube

हमसे सम्पर्क करें:
contact@thepamphlet.in

Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
  • About Us
  • Contact Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • लोकप्रिय
  • नवीनतम
  • वीडियो
  • विमर्श
  • राजनीति
  • मीडिया पंचनामा
  • साहित्य
  • आर्थिकी
  • घुमक्कड़ी
  • दुनिया
  • विविध
  • व्यंग्य
© कॉपीराइट 2022-23 द पैम्फ़लेट । सभी अधिकार सुरक्षित हैं।

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.