पिछले कुछ वर्षों से, खासकर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और सऊदी अरब के बीच पुराने संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की G20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नये कदम उठाए हैं।
G20 शिखर सम्मेलन के बाद सऊदी क्राउन प्रिंस का नई दिल्ली प्रवास जारी रहा और दोनों देशों ने वाणिज्य, व्यापार और संस्कृति संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई नई साझेदारियों की घोषणा की है। दोनों देशों की कम्पनियों के बीच कई क्षेत्रों में दर्जनभर से अधिक समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों की घोषणा के साथ ही वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने आने वाले वर्षों में सऊदी अरब के साथ भारत के व्यापार को 100 डॉलर तक पहुंचाने के दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया।
सऊदी अरब भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक प्रमुख भागीदार और स्रोत रहा है। भारत सऊदी तेल के सबसे बड़े निर्यात बाजारों में से एक है। एक लंबे समय से दोनों देश आर्थिक और रणनीतिक संबंध साझा करते रहे हैं। हालाँकि, वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 52 बिलियन डॉलर के आस-पास है पर दोनों देश सेवा क्षेत्र में भारत की ताकत और ऊर्जा संसाधनों में सऊदी की ताकत के पूरक हैं। दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा, आईटी, स्वास्थ्य देखभाल आदि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बहुत बड़ी गुंजाइश है।
सऊदी अरब भारत के कृषि उत्पादों के शीर्ष 10 आयातकों में से एक है और कृषि उत्पादों का छठा सबसे बड़ा आयातक है। हालाँकि वित्त वर्ष 2021-22 में सऊदी अरब को होने वाले कृषि उत्पादों के निर्यात में मामूली गिरावट दर्ज की गई थी पर 2022-23 में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 2193.17 मिलियन डॉलर हो गई जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 600 मिलियन डॉलर अधिक थी। कुल मिलाकर, सऊदी अरब भारतीय कृषि उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बना हुआ है।
वित्त वर्ष 2022-23 में पिछले वर्ष की तुलना में सऊदी अरब में भारत का कुल निर्यात बढ़ा। निर्यात जो की 2021-22 में 8.8 बिलियन डॉलर था, वह बढ़कर 2022-23 में 10.72 बिलियन डॉलर हो गया। साथ ही सऊदी अरब से भारत का आयात भी बड़ा। आयात जो वर्ष 2021-22 में 34.1 बिलियन डॉलर था, वह बढ़कर वर्ष 2022-23 में 42 बिलियन डॉलर हो गया। सऊदी अरब भारत को मुख्य रूप से तेल सप्लाई करता है।
G20 शिखर सम्मेलन के बाद जारी अपनी राजकीय यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व वाले डेलीगेशन में शामिल सऊदी अरब की निजी कंपनियों और भारत की निजी कंपनियों के बीच व्यापार समझौते हुए। इन व्यापार समझौतों का उद्देश्य आईटी, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, पेट्रोकेमिकल्स और मानव संसाधन जैसे सहयोग क्षेत्रों को बढ़ावा देना है। भारत की ओर से निजी कंपनियों में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, एचपी, वीएफएस ग्लोबल, आईसीआईसीआई बैंक जैसी कंपनियाँ थी।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और सऊदी अरब के पास अपने द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 52 अरब डॉलर से दोगुना कर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने की क्षमता है। उन्होंने सऊदी अरब को भोजन और तेल की आपूर्ति करने वाले भारत के साथ अधिक संतुलित व्यापार का सुझाव दिया।
पीयूष गोयल ने आईटी, खाद्य प्रसंस्करण और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख भारतीय क्षेत्रों में सऊदी निवेश का आह्वान किया। उन्होंने निवेश को बढ़ावा देने के लिए गुजरात के गिफ्ट सिटी में एक सऊदी धन कोष कार्यालय खोलने और रियाध में FICCI का एक कार्यालय स्थापित करने का सुझाव दिया। सऊदी निवेश मंत्री खालिद अल फली ने अपने निवेशकों सऊदी कंपनियों को पसंदीदा निवेशक का दर्जा दिलाने के लिए भारत में अधिक नियामक स्पष्टता और पारदर्शिता का स्वागत किया।
नेताओं और व्यापार प्रतिनिधिमंडलों के बीच चर्चा के साथ, व्यापार संबंधों को नई गति प्रदान की जाएगी। वैश्विक अनिश्चितताएँ बढ़ने के कारण व्यावसायिक सहयोग को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।
उच्च स्तरीय यात्रा और चर्चाओं ने भारत और सऊदी अरब के बीच आर्थिक साझेदारी को नई गति प्रदान की है। दोनों देशों का मानना है कि सहयोगात्मक प्रयासों से, 100 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। मजबूत निवेश संबंधों से उनकी विकासशील अर्थव्यवस्था को और मदद मिलेगी। पूरक शक्तियों और जुड़ाव बढ़ाने की इच्छा के साथ, आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय संबंध कई गुना गहरे होने वाले हैं क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के प्रमुख भागीदार बनना चाहते हैं।