राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा विशेष संसद सत्र बुलाए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। अलग अलग अनुमान लगाये ही जा रहे थे। अब इन अटकलों में इस बात की चर्चा और अधिक हो गई है कि सरकार आधिकारिक तौर पर देश का नाम ‘इंडिया’ से बदलकर ‘भारत’ करने का प्रस्ताव कर सकती है।
इस अटकल का एक आधार यह है कि सांसदों को विशेष परामर्श के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्र में राष्ट्रपति मुर्मू को ‘भारत का राष्ट्रपति’ कहा गया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस नामकरण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए ट्वीट करके यह कहा कि यह ‘राष्ट्र का नाम इंडिया के स्थान पर भारत’ रखने का प्रयास है।
उनकी टिप्पणियों से सोशल मीडिया पर राजनीतिक हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी दलों के कई अन्य नेताओं ने भी आधिकारिक बातचीत में ‘भारत’ नाम के इस्तेमाल की आलोचना की। उन्होंने तर्क दिया कि संविधान में भारत का विशिष्ट नाम ‘इंडिया’ है न कि ‘भारत’। इससे अटकलें तेज हो गईं कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार औपचारिक रूप से देश का नाम बदलने के लिए विशेष सत्र का उपयोग कर सकती है।
संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने को लेकर पहले जो अटकलें लगाई जा रही थीं उनमें समान नागरिक संहिता, एक देश एक चुनाव या G-20 की अध्यक्षता में हुए कामों को लेकर सरकार द्वारा आधिकारिक बयान देने की बात कही जा रही थी। अब इनमें देश के नाम बदलने को लेकर भी किया जा रहा अनुमान जुड़ गया है। इसके कारण सोशल मीडिया पर बहस और संवाद रोचक हो गए हैं।
राष्ट्रपति के निमंत्रण में नामकरण के मुद्दे ने कई लोगों को यह विश्वास दिलाया कि नाम परिवर्तन का प्रस्ताव एजेंडे में हो सकता है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट करके इस सिद्धांत को और हवा दे दी कि भारत को ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ कहा जाना चाहिए। उनकी टिप्पणियों को आधिकारिक नाम के रूप में ‘भारत’ अपनाने की भाजपा की वैचारिक प्राथमिकता के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि सरकार ने अभी तक विशेष सत्र के सटीक उद्देश्य को स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन भारत के नामकरण को लेकर चल रही गहन बहस ने अलग-अलग दृष्टिकोणों को उजागर किया है। परिणाम जो भी हो, इस पूरे प्रकरण ने राष्ट्रीय पहचान और वर्तमान संदर्भ में नाम बदलने की राजनीति पर दिलचस्प सवाल खड़े कर दिए हैं। केवल सत्र से ही पता चलेगा कि वास्तव में नाम परिवर्तन की योजना है या नहीं।