भारत और पाकिस्तान ने 1 जुलाई, २०23 को अपनी-अपनी जेलों में बंद एक-दूसरे देशों के नागरिकों की सूची साझा की है। यह सूची दोनों देश वर्ष 2008 में हुए एक समझौते के तहत हर वर्ष 1 जनवरी और 1 जुलाई को साझा करते हैं। दोनों देशों ने एक दूसरे से अपने-अपने नागरिकों को जल्दी रिहा करने और उनको अपने वतन वापस भेजने की अपील की है।
भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान को साझा की गई जानकारी के अनुसार, उसकी जेलों में 343 साधारण नागरिक और 74 मछुआरे बंद हैं। यह सभी पाकिस्तानी हैं या फिर इनके पाकिस्तानी होने का अंदेशा है। वहीं, पाकिस्तान द्वारा इस्लामबाद स्थित भारतीय दूतावास को साझा की गई सूची के अनुसार, उसकी जेलों में 42 सामान्य नागरिक और 266 भारतीय मछुआरे बंद हैं।
भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान से अपील की है कि वह अपनी जेलों में बंद भारतीय सैनिकों, साधारण नागरिकों और मछुआरों को उनकी नावों सहित छोड़े। भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह २५४ भारतीय मछुआरों और 4 साधारण नागरिकों की रिहाई के लिए कदम उठाए और उन्हें अपने वतन वापस भेजे जोकि अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। भारत ने पाकिस्तान से अन्य 12 मछुआरों और 14 नागरिकों के लिए अपने राजनयिकों से मिलाने की अपील की है जिससे उनकी नागरिकता का निर्धारण किया जा सके।
पाकिस्तान ने भी भारत से अपील की है कि उसके उन नागरिकों और मछुआरों को छोड़कर पाकिस्तान वापस भेज दिया जाए जिनकी सजा पूरी हो गई है और उनकी नागरिकता प्रमाणित की जा चुकी है।
भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह 62 ऐसी कैदियों की नागरिकता प्रमाणित करने के लिए कदम उठाए, जिनके बारे में यह आशंका है कि वह पाकिस्तानी नागरिक हैं। इन 62 व्यक्तियों में मछुआरे भी हैं और इनको अपने वतन वापस भेजने की प्रक्रिया के लिए इनकी नागरिकता का प्रमाणित होना आवश्यक है।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि वर्ष 2014 के बाद से भारतीयों को पाकिस्तान से वापस लाने के लिए प्रयास तेज किए गए हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसके प्रयासों से वर्ष 2014 के बाद अब तक 2,559 मछुआरों और 63 साधारण नागरिकों को पाकिस्तान की जेलों से मुक्त करवाकर भारत वापस लाया जा चुका है। इनमें से ३९८ मछुआरे और 5 नागरिकों को इसी वर्ष मुक्त करवा कर भारत लाया गया है।
गौरतलब है कि पड़ोसी देशों कि जेलों में बंद अधिकांश भारतीय नागरिक मछुआरे ही हैं। सबसे बड़ी संख्या में श्रीलंका और पाकिस्तान में ही यह मछुआरे बंद हैं। समुद्र में मछली पकड़ने के दौरान भारतीय समुद्री सीमा का अंदाजा ना लगा पाने के कारण कई बार यह अपनी नावों समेत इन देशों की सीमा में पहुँच जाते हैं जिसके बाद इन देशों के कोस्ट गार्ड या नौसेना इन्हें पकड़ कर इनकी नावों को जब्त कर लेते हैं।
विदेश मंत्रालय ने 22 जुलाई, 2022 को लोकसभा में दिए गए उत्तर में बताया था कि वर्ष 2021 में विदेशी जेलों में बंद कुल भारतीय मछुआरों की संख्या ७७9 थी। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि कई देशों में अलग त्तरह की नीतियाँ होने के कारण इस बात की जानकारी सामने नहीं आ पाती कि वहां कोई भारतीय मछुआरे बंद हैं।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्रालय ने बताया था कि वर्ष 2022 में श्रीलंका ने २१९ मछुआरों को पकड़ा और इनमें से १९८ को छोड़ दिया। इस दौरान श्रीलंका ने 30 नावों को भी अपने कब्जे में ले लिया। विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि इस दौरान श्रीलंका की नौसेना की फायरिंग में 1 मछुआरा घायल भी हुआ था। भारत का विदेश मंत्रालय समय-समय पर पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ यह मुद्दे उठाता रहा है।
पाकिस्तान की जेलों में बंद होने वाले अधिकाँश मछुआरे अरब सागर में सीमा पार करते हैं जबकि श्रीलंका में बंद होने वाली अधिकाँश मछुआरे तमिलनाडु से सम्बन्ध रखते हैं। हालिया दिनों में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा के दौरान पाकिस्तान ने 200 भारतीय मछुआरों को छोड़ा था।
पाकिस्तान की जेलों में भारतीय बंदियों की सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। कई बार सही देखरेख ना होने या फिर इलाज ना मिलने की दशा में कई बंदियों की इन्हीं जेलों में मृत्यु हो जाती है। जानकारी के अनुसार, बीते दो माह में 4 भारतीय मछुआरों की मौत भी हो चुकी है।
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