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Home » अक्सर भारत-विरोधी एजेंडा चलाने वाले न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी माना भारत की अर्थव्यवस्था का लोहा
आर्थिकी

अक्सर भारत-विरोधी एजेंडा चलाने वाले न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी माना भारत की अर्थव्यवस्था का लोहा

अर्पित त्रिपाठीBy अर्पित त्रिपाठीSeptember 8, 2022No Comments5 Mins Read
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NYT
न्यू यार्क टाइम्स ने भी भारत की अर्थव्यस्था के बढ़ते कद को स्वीकारा है चित्र साभार: न्यू यॉर्क टाइम्स
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अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स जो कि समय-समय पर भारत विरोधी एजेंडा चलाता रहा है, ने विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की तरक्की का लोहा माना है। 7 सितम्बर को ‘फ्रॉम दी यूएस टू चाइना, मेजर इकॉनोमिस आर स्टालिंग: बट नॉट इण्डिया’ (From the US to China, Major Economies Are Stalling. But Not India) शीर्षक से छपी एक खबर में बताया गया है कि कैसे भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के बाद भी अपनी अर्थव्यवस्था में बढ़त की रफ्तार को बनाये रखा है।

इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी भारत की आर्थिक नीतियों की तारीफ कर चुका है, वहीं आस्ट्रेलिया के भारत में हाई कमिश्नर बैरी ओ फेरेल ने भी भारत का वैश्विक व्यवस्था में महत्व रेखांकित करते हुए कहा कि भारत हमें कोरोना के बाद के विश्व में तरक्की करने में मदद कर सकता है।

हाल ही में भारत ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, ब्रिटेन ने भारत पर 250 साल राज किया है, इसलिए इस उपलब्धि को आर्थिक और भावुक दोनों नजरियों से काफी अहम माना जा रहा है।

भारत की आर्थिक तरक्की को बताते हुए इस खबर में आगे बताया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 7% की दर से इस साल बढ़ने वाली है, जो कि पहले लगाए गए अनुमानों से दोगुनी है, वह भी ऐसी स्थिति में जब रूस युक्रेन युद्ध के कारण बढती ऊर्जा की कीमतों ने विश्व भर की अर्थव्यवस्थाओं पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाला है।

क्या कहा NYT ने ?

इस खबर में आगे बताया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था का निर्यातों पर निर्भर ना होकर स्थानीय आपूर्ति के के कारण तेजी पाने में सक्षम रही है, जिससे भारत ने विश्व भर की बिगड़ती अर्थव्यवस्थाओं में अपना नाम नहीं आने दिया है।

वहीं इस खबर में आगे कोरोना के बाद भारत के द्वारा अर्थव्यवस्था के प्रति अपनाई गई नीतियों की प्रशंसा की गई है, भारत का सही समय पर छोटे और मझोले उद्योगों को कर्ज की गारंटी देना, सरकारी खर्च बढाने और कर्जों में छूट देने जैसे कदम शामिल हैं।

साथ ही खबर में भारत के पश्चिमी देशों के दबाव में ना आकर रूस से सस्ता तेल खरीदने के फैसले की बात कही गई है, भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी फायदा पंहुचाता दिख रहा है। इस कदम से भारत को ऊर्जा की कीमतों, जिनके लिए भारत पूर्णतया बाहर के देशों पर निर्भर है, को स्थिर रखने में राहत मिली है। तेल की बढ़ी हुई कीमतें भारत में संवेदनशील मुद्दा होने के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी प्रभाव डालती हैं।

वहीं, इस खबर में विश्व की टॉप रेटिंग एजेंसियों के द्वारा भी भारत की अर्थव्यवस्था के विषय में दिए गए अनुमानों की भी बात की है, वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भी कुछ उसी तरह के ही भारत की अर्थव्यवस्था की तरक्की के विषय में अनुमान दिए हैं, जैसे कि सरकार ने बताये हैं। इससे इस बात की पुष्टि हुई है कि सरकार द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था के विषय में किये जा रहे दावे खोखले नहीं है।

भारत का अन्य बड़ी अर्थव्यस्थाओं के तुलना में निर्यात के द्वारा आने वाले धन पर कम निर्भर रहना तथा भारत का खुद अपने अंदर वस्तुओं की खपत बढ़ाना इस अर्थव्यवस्था की तेजी के कारण माने जा रहे हैं।

भारत की अर्थव्यवस्था की बढ़ने की रफ्तार वैश्विक अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ़्तार से कहीं अधिक है, विश्व बैंक द्वारा लगाये गए अनुमान के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल 2.6% की दर से बढ़ेगी, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था इससे करीब तीन गुनी रफ्तार से बढ़ने वाली है।

बढ़त की ओर भारत की अर्थव्यवस्था

हाल ही में जारी किये गए आंकड़ों में सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 पहली तिमाही के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था की तरक्की की गति 13.5% साल दर साल रही है, वहीं भारत में मुद्रास्फीति और महंगाई भी वैश्विक व्यवस्थाओं में आपूर्ति और मांग के चरमराने के बाद भी नियन्त्रण में रही है।

भारत में कुछ समय पहले आए आंकड़े भी यही दर्शाते हैं कि भारत में अभी अर्थव्यवस्था अच्छी हालत में है, भारत की सरकारी बैंकें, जिन्हें पब्लिक सेक्टर बैंक कहा जाता है, ने पिछले वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान 66,539 करोड़ रूपये का मुनाफा दर्ज किया, जोकि वित्तीय वर्ष 2021 से करीब दोगुना है। वहीं मार्च 2022 के बाद जीएसटी संग्रह लगातार 1.4 लाख करोड़ के पार रहा है, जिससे सरकारी खजाने को भी भरने में मदद मिली है।

इसके अलावा भारत में उपभोक्ताओं के द्वारा खरीदारी भी काफी तेज है जिससे अर्थव्यवस्था को सतत तेजी बनाये रखने में मदद मिल रही है, उदाहरण के तौर पर भारत इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान करीब 8 लाख से ज्यादा वाहनों की बिक्री हुई।

इसके अतिरिक्त कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के द्वारा हाल में ही जारी की गई रिपोर्ट में सामने आया है कि वर्ष 2017 से वर्ष 2022 के बीच करीब 5.6 करोड़ लोगों को संगठित क्षेत्र में रोजगार मिला है, जो कि इस बात का परिचायक है कि भारत में सही नीतियाँ ना सिर्फ अर्थव्यवस्था में तेजी ला रहीं हैं , बल्कि लोगो को भी बड़े स्तर पर रोजगार प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रहीं हैं।

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