फरवरी 2023 की तुलना में मार्च 2023 में देश में महंगाई दर घटी है। सांख्यिकी और योजना कार्यान्वन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी किए गए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(CPI) के अनुसार, मार्च में देश में खुदरा महंगाई की दर 5.66% रही।
यह पिछले 15 माह में महंगाई का सबसे निचला स्तर है। वहीं, अगर खाद्य पदार्थों के सूचकांक, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) की बात करें तो यह 4.79% के स्तर पर रहा है। ये आँकड़े देश के उपभोक्ताओं समेत कई अन्य क्षेत्रों के लिए राहत लेकर आए हैं। महंगाई की यह दर देश के केन्द्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा महँगाई की निर्धारित सीमा 2%-6% के अंदर है।
इससे पिछले महीनों, जनवरी और फरवरी में, महंगाई दर क्रमशः 6.52% और 6.44% रही थी। इस तरह वर्ष 2023 में यह पहली बार है जब महंगाई की दर नीचे आई है।
जबकि अगर पिछले वर्ष के मार्च माह से तुलना की जाए तो महंगाई की दर 6.95% और खाद्य महंगाई दर 7.68% थी। मार्च के आँकड़ों के सामने आने के साथ ही वित्त वर्ष 2022-23 के महंगाई के आँकड़े भी सामने रखे जा सकते हैं।
अप्रैल 2022- मार्च 2023 के बीच के आँकड़ों को देखें तो पता चलता है कि इस दौरान महंगाई औसतन 6.6% के स्तर पर रही है जो कि रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है।
वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई को बढ़ाने वाले मुख्य कारक रूस- यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध से ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी एवं गेंहू की आपूर्ति में कमी थे।
इसके अतिरिक्त, इसी दौरान अर्थव्यवस्थाएं कोरोना महामारी के दौर से बाहर निकल कर रिकवरी कर रही थीं, जिस पर इस युद्ध का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इस कारण पूरी दुनिया में महंगाई और मंदी एक साथ आई। हालाँकि भारत काफी हद तक इनसे बचा रहा है परन्तु कच्चे तेल की कीमतों ने महंगाई पर प्रभाव डाला है।
रूस से किफायती दरों पर तेल खरीदने, RBI द्वारा मुद्रा प्रसार में कमी लाने और बाजार में सरकारी गेंहू की बिक्री द्वारा सरकार ने काफी हद तक महंगाई पर नियन्त्रण पाने में सफलता पाई है।
रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति के माध्यम से लगातार यह प्रयास कर रहा था कि देश में महंगाई को नीचे लाया जाए। इसके लिए मौद्रिक नीति में लगातार बदलाव करके ब्याज दरों को बढ़ाया जा रहा था।
पिछले वर्ष से अब तक ब्याज दरों को 250 बेसिस पॉइंट बढ़ाने के बाद अप्रैल माह में आयोजित की गई चालू वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति कमिटी की पहली बैठक में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर विराम लगा दिया था। रिजर्व बैंक का वर्तमान रेपो रेट 6.5% है।
यह भी पढ़ें: मौद्रिक नीति: थमती महंगाई के बीच RBI ने नहीं बदलीं ब्याज दरें, 6.5% ही रहेगा रेपो रेट
रिजर्व बैंक के इस कदम पर कई विशेषज्ञों ने हैरानी भी जताई थी क्योंकि उससे पहले लगातार कई अनुमानों में रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट बढ़ने की बात कही गई थी।
विशेषज्ञों का कहना था कि इस वर्ष गेंहू की फसल को कटाई के समय हुई बेमौसम बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है जो कि सामान्य से कम उपज में परिणित होगा।
इससे आने वाले समय में खाद्य उत्पादों की महंगाई बढ़ने की आशा है। हालाँकि, कई रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि गेंहू की फसल को इतना नुकसान नहीं पहुंचा है कि उससे बाजार बड़े स्तर पर प्रभावित हो।
अब मार्च माह के लिए सामने आए आँकड़ों से RBI के फैसले पर मुहर लग गई है कि उसका ब्याज दरों में और बढ़ोतरी ना करने का फैसला सही अनुमानों पर आधारित था।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए यह भी कहा था कि हम बाजारों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और समय पर किसी भी तरह का कठिन निर्णय लेने में संकोच नहीं करेंगे।
RBI ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए महंगाई के 5.2% रहने का अनुमान लगाया है। मार्च माह के लिए सामने आया आँकड़ा देश में महंगाई को इसी राह पर ले जाता दिखाई दे रहा है।
सामने आए आँकड़ों से पता चल रहा है कि पूर्व में ब्याज दरों में की गई बढ़त बाजार में कीमतें नियंत्रित करने में सफल रही है।
MOSPI द्वारा जारी किए गए आँकड़ों को देखा जाए तो पता लगता है कि इसमें कमी आने के पीछे अनाज, चीनी और कन्फेक्शनरी उत्पाद और तेल एवं वसा वाली चीजों के दामों में गिरावट है।
इसके अतिरिक्त सूचकांक में सम्मिलित कई वस्तुओं के भाव स्थिर बने हुए हैं। हालाँकि डेयरी, फल और सब्जियों के दामों में तेजी अभी चिंता का विषय है।
नई फसल के बाजार में आने के साथ ही देश में खाद्य महंगाई के घटने का अनुमान भी लगाया जा रहा है।
यह भी पढ़ें:दिसम्बर 2022 में महंगाई दर में कमी और औद्योगिक उत्पादन में हुई वृद्धि: रिपोर्ट