अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए भारत के प्रयासों को लगातार सफलता मिल रही है। मलेशिया ने भारत के साथ होने वाले व्यापार को रुपए में करने के लिए सहमति जताई है।
मलेशिया, रूस और श्रीलंका समेत अन्य देशों की इस फेहरिस्त में सबसे नया नाम है। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि भारत से रुपए में व्यापार करने के लिए आवश्यक कार्यवाही भी मलेशिया ने पूरी कर ली है।
विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति में बताया गया है कि मलेशिया के इंडिया इंटरनेशनल बैंक ऑफ मलेशिया ने भारत के यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ मिलकर वोस्ट्रो खाता खोला है।
गौरतलब है कि यह वोस्ट्रो खाता भारत और अन्य देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने का माध्यम है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने जुलाई 2022 में द्विपक्षीय व्यापार को रुपए में करने के लिए विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते (SRVA) खोलने की सुविधा देता है।
यह भी पढ़ें: डी-डॉलराइजेशन: विश्व बाजार में डॉलर के प्रभुत्व को मिटाने को एकजुट हो रहे हैं एशियाई देश
भारत ने रुपए में व्यापार करने पर यूक्रेन-रूस संघर्ष के बाद जोर देना चालू किया था और इसके लिए कई प्रयास किए गए हैं। रूस से पहले ही भारत का व्यापार रुपए-रूबल में हो रहा है।
रूस के अतिरिक्त अन्य भी कैसे देशों ने भारत से रुपए में व्यापार करने के लिए SRVA खाते खोले हैं।
लोकसभा में दिए गए एक उत्तर के अनुसार, अब तक श्रीलंका, बांग्लादेश, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, बोत्स्वाना, जर्मनी, फिजी, गुयाना, इजरायल, केन्या, मलेशिया, सेशेल्स, मॉरिशस, म्यांमार, ओमान, रूस, सिंगापुर और तंजानिया जैसे देशों के 30 बैंकों को भारत के बैंकों के साथ मिलकर वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति मिल चुकी है।
भारत के अतिरिक्त चीन, ब्राजील और रूस समेत अन्य कई राष्ट्र भी डॉलर पर निर्भरता खत्म करना चाह रहे हैं और अपनी मुद्राओं में व्यापार करने को बढ़ावा दे रहे हैं।
हाल ही में चीन ने फ्रांस के साथ LNG का एक सौदा अपनी मुद्रा रेनमिन्बी(युआन) में किया है। इस सौदे की काफी चर्चा हुई है।
जिन देशों के बैंकों ने खाते खोल लिए हैं उनके अतिरिक्त अन्य कई देशों से भी भारत की बातचीत रुपए में व्यापार करने को लेकर चल रही है।
भारत ने अब तक सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात समेत अन्य कई राष्ट्रों को भारत के साथ रुपए में व्यापार करने का सुझाव दिया है।
भारत यूक्रेन-रूस संघर्ष के चालू होने के बाद से ही रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है, इस व्यापार का सेटलमेंट भी रुपए-रूबल में हो रहा है। भारत ने इससे पूर्व ईरान के साथ भी इस तरह की व्यवस्था को अपनाया था।
रुपए में व्यापार करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण अमेरिका द्वारा डॉलर को एक आर्थिक हथियार की तरह उपयोग करना है।
अमेरिका अपनी मुद्रा के वैश्विक प्रभाव का उपयोग करके अपने रणनीतिक हित पूरे करते आया है और ईरान और रूस समेत अन्य देशों पर प्रतिबंध लगाता आया है।
ऐसे में इन देशों के साथ व्यापार करना काफी कठिन हो जाता है क्योंकि प्रतिबंधों के पश्चात ऐसे देशों के साथ लेनदेन की व्यवस्था नहीं बन पाती।
भारत सोवियत रूस के साथ भी इसी तरह के रुपए और रूबल में व्यापार के तरीके को अपनाता था लेकिन सोवियत यूनियन के विघटन के बाद इस व्यवस्था का पतन हो गया था।
अब लगातार नए देशों का रुपए में व्यापार करने में रुचि दिखाना भारत की बढती वैश्विक ताकत को भी दिखा रहा है।