संयुक्त राष्ट्र विकास प्रोग्राम (UNDP) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने 2005-2021 के बीच भारत ने 41.5 करोड़ लोगों को बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकाला है। भारत ने चीन के बाद सबसे बड़ी संख्या में लोगों को निर्धनता से बाहर निकाला है। भारत के अतिरिक्त चीन, बांग्लादेश, कम्बोडिया, कांगो और वियतनाम जैसे देशों ने भी अपने यहाँ निर्धनता को घटाया है।
UNDP ने यह सारी जानकारियां बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) की नई रिपोर्ट में दी हैं। यह रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास प्रोग्राम और ऑक्सफ़ोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास पहल (Oxford Poverty and Human Development Initiative) द्वारा संयुक्त रूप से जारी की जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2005/०६ से वर्ष 2019/21 के बीच भारत में 41.5 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकले, इस दौरान इस तरह की निर्धनता का प्रतिशत भी समाज में कम हुआ। रिपोर्ट कहती है कि 2005/०६ में जहाँ 100 में से 55 व्यक्ति इस तरह की निर्धनता का शिकार थे, वहीं अब यह संख्या घट कर 16.4 पर आ गई है।
इस रिपोर्ट को बनाने के लिए तीन मुख्य मानकों- शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर को लिया जाता है। इन तीनों के अंतर्गत स्कूली शिक्षा, बाल मृत्यु, भोजन पकाने का स्वच्छ ईंधन, साफ़ सफाई की सुविधाओं की उपलब्धता, पीने का साफ़ पानी और पोषण आदि को आधार बनाया जाता है। भारत ने बीते वर्षों में इनमें से अधिकाँश पर काफी मोर्चो बड़ी सफलता पाई है।
इस रिपोर्ट को वर्ष 2010 से प्रकाशित किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब 97.3% लोगों के पास साफ़ पानी, 97.9% के पास बिजली और ८८.7% लोगों के पास बिजली की उपलब्धता है। भारत ने इन तीनों क्षेत्रों में बीते वर्षों में उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन और सौभाग्य योजना जैसी पहल लाकर बड़े स्तर पर लोगों के जीवन में सुधार किए हैं।
बीत वर्ष की रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में निर्धनता घटने में वर्ष 2015 के बाद तेजी आई है। जहाँ कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने 2.74 करोड़ लोगों को प्रति वर्ष निर्धनता से बाहर निकाला तो वहीं मोदी सरकार ने लगभग 3.5 करोड़ लोगों को प्रति वर्ष निर्धनता से बाहर निकाला है। इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड ने राष्ट्रीय औसत से अधिक गति से निर्धनता को घटाया।
भारत ने जहाँ निर्धनता से लड़ने में सफलता पाई है वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में अब अभी 38% लोग ऐसे हैं जो कि बहुआयामी निर्धनता को झेल रहे हैं। अफगानिस्तान में स्थिति और खराब है और यहाँ ऐसे व्यक्तियों की संख्या 55% से अधिक है। तालिबान के आने के बाद इसमें बढ़ोतरी होने की सम्भावना है। एक और पड़ोसी देश नेपाल में 17.7% लोग बहुआयामी निर्धनता का शिकार हैं जबकि बांग्लादेश में यह संख्या 24.1% है।
रिपोर्ट में विश्व को लेकर बताया गया है कि सभी देशों में शहरों की तुलना में गाँवों में निर्धनता अधिक है। विश्व के 84% निर्धन लोग गाँवों में रहते हैं। निर्धनों की सबसे बड़ी आबादी सब सहारन अफ्रीका में रहती है जहाँ कुल निर्धनों की 47.8% आबादी है। इस क्षेत्र में नाइजर, चाड, केन्या और तंजानिया जैसे राष्ट्र शामिल हैं। दक्षिण एशिया (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका,नेपाल और अफगानिस्तान) में विश्व के 34.9% निर्धन रहते हैं। इसके पश्चात पूर्वी एशिया और फिर अरब राष्ट्रों में सर्वाधिक निर्धन बसते हैं।
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