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Home » वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित नहीं है भारत की विदेश नीति- एस जयशंकर
दुनिया

वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित नहीं है भारत की विदेश नीति- एस जयशंकर

The Pamphlet StaffBy The Pamphlet StaffSeptember 6, 2022No Comments4 Mins Read
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वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित नहीं है भारत की विदेश नीति
वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित नहीं है भारत की विदेश नीति
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुजरात के गाँधीनगर में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर खुलकर बात रखी। विदेश मंत्री ने कहा कि, वोट बैंक किसी भी तरह से भारत की विदेश नीति को प्रभावित नहीं करता है। विदेश नीति को लेकर जो काम पिछले 6-7 सालों में किए गए हैं, वो पहले हो सकते थे। 

स्वतंत्र विदेश नीति पर चर्चा करते हुए एस जयशंकर ने इजरायल और भारत के संबंधों का उदाहरण दिया है। उन्होंने कहा कि, इजरायल और फिलिस्तीन के बीच सालों से विवाद चला आ रहा है। वर्षों से कुछ ने अपने निजी राजनैतिक हितों के चलते भारत ने इजरायल के साथ अपने संबंधों को सामने आने से रोका है। देश को पता है कि यह संबंध विकास के लिए जरूरी है, अब वो समय गया जब देश हितों को ताक पर रखकर वोट बैंक की राजनीति से विदेश नीति तय होती थी।

एस जयशंकर ने विदेश नीति में इजरायल और फिलिस्तीन का उदाहरण क्यों दिया इसके लिए हमें शुरुआत से भारत इजरायल संबंधों को समझने की जरूरत है-

भारत-इजरायल संबंध

  • भारत ने इजरायल को वर्ष 1950 में मान्यता दे दी थी। 
  • हालाँकि, पूर्ण राजनयिक संबंधों को बनने में समय लगा और 1992 में भारत इजरायल से जुड़ सका। 
  • भारत, इजरायल से सैन्य उपकरणों का बड़ा खरीददार है, हालाँकि, इस पर भी वोट बैंक का असर पड़ा है। 

1962 में हुए भारत और चीन युद्ध के दौरान इजरायल ने भारत की मदद के लिए हथियार उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई थी। द हिंदू की एक रिपोर्ट में बताया गया कि, युद्ध विभीषिका के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने उस वक्त इजरायल के प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन को पत्र लिखकर इजरायल को हथियारों के खेप पर उनका झंडा ना लगाने की बात कही थी। हालाँकि, इजरायल ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर कहा था कि, ‘चिह्न नहीं, तो हथियार नहीं’। इजरायल ने आखिरकार युद्ध में मदद के लिए हथियार भेजे थे और उन पर बाकायदा यहूदी झंडा लगा था, जो कि इजरायली जहाज में भारत पहुँचे थे। 

कृषि-विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संबंध

  • इजरायल के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 1992 से $200 मिलियन से बढ़कर 2020-2021 में $4.14 बिलियन पहुँच गया, जिसमें रक्षा उपकरण शामिल नहीं है।
  • भारत एशिया में इजरायल का तीसरा और विश्व में 7वाँ सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
  • दोनों देशों ने 2021 में कृषि विकास में सहयोग के लिए “तीन वर्ष के कार्य समझौते” पर हस्ताक्षर किए थे।
  • इस समझौते में, मौजूदा उत्कृष्ट केंद्रों का विकास, नए केंद्र स्थापित करना, सीओई की मुख्य श्रृंखला को बढ़ाना, सीओई की मूल्य श्रृंखला को बढ़ाना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर मोड में लाना, निजी कंपनियों के सहयोग में बढ़ावा देना शामिल है।

इसके साथ ही, भारत और इजरायल के बीच $5.5 मिलियन की 3 संयुक्त रिसर्च एंड डेवलपमेंट परियोजना जारी है। इजरायल ने विशेष तौर पर भारत में ही ‘वाटर अटैच’ तकनीक विकसित कर रहा है ताकि भारत में जल प्रबंधन और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिल सके। जल प्रबंधन की तकनीक भारत जैसे विशाल देश के लिए कितनी जरूरी है यह पाकिस्तान के हालात देखकर समझी जा सकती है।  

द्विपक्षीय संबंधों की महत्ता

  • चीन एशिया में सी-पेक जैसी योजना के जरिए भारत को घेरने ने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में भारत के लिए बेहद जरूरी हो जाता है कि वह अपने पड़ोसी और हितों से जुड़ाव रखने वाले देशों से संबंध रखे।
  • जलवायु परिवर्तन, जल की कमी, जनसंख्या विस्फोट एवं भोजन की कमी, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा जैसे कई वैश्विक मुद्दों पर दोनों देश एक दूसरे के सहयोगी हैं।
  • इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बीच बराक-8 मिसाइल सिस्टम को लेकर साझी परियोजना पर काम किया जा रहा है।

मोदी सरकार में भारत और इजरायल के संबंधों में बड़े बदलाव सामने आए हैं।आईएआई, राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम, एल्बिट और एल्सटा सिस्टम जैसी कई कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए हाथ मिलाया है।

दोनों देशों के बीच बड़े सैन्य समझौते हुए हैं, जिनमें फालकॉन अवाक्स एवं हेरॉन, सर्चर-2, हार्लोप ड्रोन, स्पाइडर क्विक रिएक्शन एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम और बराक-2 भी शामिल हैं। भारत I2U2 का हिस्सा बना, जिसमें इजरायल, यूएई शामिल हैं, जिसमें यूएई ने कहा कि..2030 तक तीनों देश मिलकर $110 बिलियन का व्यापार करेंगे। इसी के तहत भारत और इजरायल 2022 में एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि जहां पहले भारत विश्व को यह नहीं बताना चाहता था कि वो इजरायल का दोस्त है, इसके पीछे वोट बैंक की राजनीति रही। लेकिन, जब से भारत अपने संबंधों को लेकर मुखर हुआ है तब से इसके फायदे भी हमको देखने को मिले हैं। इसमें, ‘वाटर अटैच’ आर्थिक और कृषि क्षेत्र में मिल रहा सहयोग शामिल हैं।

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