देश में वर्तमान वित्त वर्ष के अगस्त महीने में अर्थव्यवस्था के आठ आधारभूत क्षेत्रों में उत्पादन में तेजी आई है। केंद्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान वित्त वर्ष के अगस्त महीने में, वित्त वर्ष २०२१-२२ के अगस्त महीने के मुकाबले 3.3% की वृद्धि दर्ज की गई है।
‘इंडेक्स ऑफ 8 कोर इंडस्ट्रीज’ नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था के आठ कोर सेक्टर, कोयला, कच्चा तेल, स्टील, सीमेंट, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद एवं बिजली उत्पादन की जानकारी दी गई है। आठ में से दो क्षेत्रों को छोड़ सबमें वृद्धि दर्ज की गई है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट के अनुसार देश चालू वित्त वर्ष के अगस्त महीने में कोयले का उत्पादन पिछले वित्त वर्ष के अगस्त महीने की तुलना में 7.6% बढ़ा है। यह आँकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण है कि पिछले दिनों देश में कोयले की कमी को लेकर कई रिपोर्ट में भ्रामक खबरों का प्रचार किया गया था। जारी आँकड़ों के अनुसार कोयले की तथाकथित तौर पर कमी की खबरें कोरी अफवाह साबित हुई हैं।
इसके अतिरिक्त पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पादन में गाठ वित्त वर्ष के अगस्त महीने के मुकाबले 7% की तेजी देखी गई। इस समय विश्व भर में भारत शोधित पेट्रोलियम उत्पादों के बड़े विक्रेताओं में से एक है। इस दौरान उर्वरकों के उत्पादन में 11.9% और स्टील, सीमेंट और बिजली उत्पादन में 1%-2% की तेजी देखी गई है।
वहीं इस दौरान कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस के उत्पादन में हल्की कमी आई है। हालाँकि, इस कमी का देश की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का असर भारत पर भी
इस वर्ष फरवरी में प्रारम्भ हुए यूक्रेन – रूस संघर्ष के कारण पूरे विश्व में ऊर्जा की कीमतों में भारी वृद्धि देखी जा रही है जिसका यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। ऊर्जा के लिए अधिकतर यूरोपीय देशों की रूस पर निर्भरता के कारण कई देशों में कीमतों में ५० से ८० प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई और सर्दियाँ शुरू होने के बाद कीमतों के और ऊपर जाने और उसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति की दर में भारी बढ़ोतरी के अनुमान पहले से लगाए जा रहे हैं।
इस वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की उम्मीद है। यही कारण है कि विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक ने वर्ष २०२२-२३ के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की दर में कौटती की है। इन सब के बीच अपनी आर्थिक और विदेश नीति के कारण भारत ने देश के अंदर न केवल तेल की बल्कि खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रखने में सफलता पाई है।
जहाँ एक ओर पूरा विश्व पहले से ही कोरोना महामारी के दौरान मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ती खाई और डॉलर की बढती कीमतों के चलते विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका के फ़ेडरल रिज़र्व द्वारा व्याज दरों में बढ़ोतरी और उसके परिणामस्वरूप इन अर्थव्यवस्थओं से विदेशी निवेश के निकाले जाने के कारण आर्थिक संकट लगातार गहरा हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार निकट भविष्य में रिकवरी की संभावनाएं कम होती जा रही है। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन वर्तमान सरकार की पुख्ता विदेश और आर्थिक नीतियों का परिणाम है।