भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और बैंक इंडोनेशिया (BI) ने स्थानीय मुद्राओं, भारतीय रुपया (INR) और इंडोनेशियाई रुपिया (IDR) का उपयोग करके सीमा पार लेनदेन की सुविधा के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
आरबीआई और बीआई के बीच समझौता अमेरिकी डॉलर जैसी अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं पर निर्भरता कम करने और द्विपक्षीय व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। यह पहल डी-डॉलरीकरण के वर्तमान वैश्विक रुझान के अनुरूप है और इसका उद्देश्य भारत और इंडोनेशिया के बीच लेनदेन के लिए एक्सचेंज को सरल करना है।
दोनों देशों के सेंट्रल बैंकों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भारत और इंडोनेशिया के बीच आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और सीमा पार लेनदेन में सहयोग के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जिससे गहरे वित्तीय एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इसके कारण दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध मजबूत होंगे।
समझौता ज्ञापन में सभी करेंट अकाउंट लेनदेन, अनुमत पूंजी खाता लेनदेन और दोनों देशों द्वारा सहमत अन्य आर्थिक और वित्तीय लेनदेन शामिल हैं। यह सुविधा सीमा पार व्यापार में संलग्न व्यवसायों और वित्तीय संस्थानों के लिए स्पष्टता और स्थिरता प्रदान करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार; यह समझौता निर्यातकों और आयातकों को अपनी संबंधित घरेलू मुद्राओं में चालान और भुगतान करने में सक्षम बनाकर लेनदेन को सुव्यवस्थित करने में मददगार होगा। इसके साथ ही इसकी भूमिका एक्सचेंज रेट्स में जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके अतिरिक्त यह लिक्विडिटी और स्थिरता को बढ़ाते हुए INR-IDR विदेशी मुद्रा बाजार के विकास की सुविधा प्रदान करता है।
द्विपक्षीय लेनदेन में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग से मुद्रा रूपांतरण की आवश्यकता को समाप्त करने और विदेशी मुद्रा जोखिमों को कम करके भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे व्यापार की मात्रा में वृद्धि, विविध व्यापार प्रवाह और कृषि, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग में वृद्धि हो सकती है।
रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की भारत की पहल अमेरिकी डॉलर-प्रभुत्व वाली वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर निर्भरता को कम करने के व्यापक प्रयासों के अनुरूप है। जैसे-जैसे अधिक देश पारंपरिक आरक्षित मुद्राओं के विकल्प तलाश रहे हैं, आईएनआर-आईडीआर समझौते जैसी पहल ने अधिक मुद्रा विविधीकरण और वित्तीय संप्रभुता के लिए मिसाल कायम की है।
स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन की सुविधा प्रदान करके यह समझौता आर्थिक विकास के अवसरों को खोलने के साथ क्षेत्रीय एकीकरण को भी बढ़ावा देगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्थापित करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार जैसे-जैसे रूपरेखा का कार्यान्वयन आगे बढ़ेगा, यह दोनों देशों में व्यवसायों, उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए सुविधाएँ बढ़ती जायेंगी।