भारतीय रेलवे इस साल दिसम्बर तक चीन और जर्मनी में चलने वाली हाइड्रोजन ट्रेन की तर्ज पर अपने नैरो गेज विरासत मार्गों पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को शुरू करने की योजना बना रहा है।
केन्द्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि ट्रेनें चीन और जर्मनी की तर्ज पर होंगी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नॉर्दर्न रेलवे वर्कशॉप में हाइड्रोजन फ्लूल पर आधारित ट्रेन का प्रोटोटाइप तैयार किया जा रहा है। इसका परीक्षण हरियाणा के सोनीपत-जींद खंड पर किया जाएगा।
भारतीय रेलवे के विरासत मार्ग, जो मुख्य रूप से डीजल पर ही चलते हैं, उनमें दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका शिमला रेलवे, माथेरान हिल रेलवे, काँगड़ा घाटी, बिलमोरा वाघई और मारवाड़-देवगढ़ मदरिया जैसे मार्ग शामिल हैं। ये सभी मार्ग नैरो गेज हैं।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “हम दिसम्बर 2023 से हेरिटेज रूट्स पर हाइड्रोजन ट्रेन शुरू करेंगे। इसका मतलब यह होगा कि ये हेरिटेज रूट पूरी तरह से ग्रीन हो जाएंगे।”
दुनियाभर में डीजल से चलने वाले इंजनों को हाइड्रोजन से चलने वाले इंजनों में बदलने के लिए बोली लगाई जाती है। पूरी तरह से विद्युतीकरण मुश्किल या महंगा है। यह उत्सर्जन मुक्त विकल्प प्रदान करता है।
बता दें कि रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिसम्बर 2022 में हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की घोषणा की थी। घोषणा किए जाने के बाद एक माह से भी कम समय में भारतीय रेलवे दिसम्बर 2023 तक अपनी पहली घरेलू रूप से डिजाइन और निर्मित हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन शुरू करेगा।
जर्मनी में हाइड्रोजन ट्रेन
जर्मनी ने साल 2022 के जुलाई माह में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का संचालन शुरू किया, जर्मनी ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।
जर्मनी की हाइड्रोजन ट्रेन की अनुमानित कुल लागत $86 मिलियन है। ट्रेन एक बार में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 1,000 किमी चल सकती है और 2018 से जर्मनी में इसका परीक्षण किया जा रहा था।
चीन में हाइड्रोजन ट्रेन
चीन ने हाल ही में एशिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन लॉन्च की है। जो एक टैंक पर 600 किमी की दूरी तय करती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाइड्रोजन से चलने वाली इस ट्रेन की टॉप स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है।
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