केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने पहली बार देश के जलाशयों की गिनती की रिपोर्ट जारी की है। इस गिनती में प्राकृतिक तालाब, मानव निर्मित जलाशय, झीलों और अन्य जलाशयों की गणना की गई है। इस गिनती में देश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के जलाशयों को लिया गया है।
मंत्रालय द्वारा यह अपनी तरह का पहला प्रयास है, जहां देश की जल शक्ति की गणना की गई और बताया गया है कि देश में वर्तमान में जलाशयों की क्या स्थिति है। यह संसाधनों इससे पहले मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद देश के वनों और जंगलों की आर्थिक वैल्यूएशन करवाई थी।
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्तमान में 24,24,540 जलाशय हैं। इसमें से 97.1% जलाशय देश के ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों के अधिकतर जलाशयों की स्थिति चिंतापूर्ण है।
देश के कुल जलाशयों में से मात्र 2.9% जलाशय ही शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं। शहरी क्षेत्रों में जलाशयों की कमी के पीछे बढ़ता शहरीकरण, जनसंख्या का दबाव, प्रदूषण के कारण तालाबों का सिकुड़ना और तालाबों का अतिक्रमण कारण हैं।
जलाशयों की संख्या के मामले में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। राज्य में 7.47 लाख जलाशय हैं। पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश में 2.45 लाख जलाशय हैं। आंध्र प्रदेश (1.9 लाख), ओड़िशा (1.81लाख) और असम (1.72 लाख) में जलाशय हैं।
देश के कुल जलाशयों में लगभग 63% इन पांच राज्यों में हैं। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में नदियों का बड़ा जाल है जिससे अन्य जल के स्रोतों की अच्छी खासी संख्या है।
उत्तर प्रदेश में पुराने समय से तालाबों का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता रहा है। आंध्र प्रदेश में जलाशयों की संख्या में पानी के टैंक का बड़ा हिस्सा है।
देश के कुल जलाशयों में सबसे बड़ा हिस्सा तालाबों(59.5%) का है। तालाबों के बाद जल के टैंक (15.7%) और रिजर्वायर (12.1%) हैं। देश में लगभग 55% जलाशय निजी स्वामित्व तो वहीं लगभग 45% जलाशय सार्वजनिक स्वामित्व वाले हैं।
इनमें से अधिकांश पंचायतों के अधिकार में हैं। रिपोर्ट के अनुसार जलाशयों पर अतिक्रमण एक गंभीर चिंता का विषय है। मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार देश में लगभग 40 हजार जलाशय अतिक्रमण का शिकार हैं।
उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में हाल के दिनों से तालाबों के अतिक्रमण पर काफी कड़ा एक्शन लिया जा रहा है। देश के समस्त जलाशयों में लगभग 78% मानव निर्मित हैं जबकि 22% प्राकृतिक हैं।
केंद्र सरकार द्वारा स्वतंत्रता के 75 वर्षों के पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रांरभ किया गया अमृत सरोवर अभियान भी मानव निर्मित जलाशयों में एक नया अध्याय बन रहा है।
एक आँकड़े के अनुसार, मार्च 2023 तक देश में 40,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण हो चुका था। 15 अगस्त 2023 तक 50,000 सरवरों के निर्माण का लक्ष्य पूरा किया जाना है।
गौरतलब है कि जलाशयों की यह गणना सिंचाई से खास तौर पर जुड़ी है। देश में कृषि को आज भी मानसून का ही सहारा है। मानसून को प्रभावित करने वाले अल नीनो कारक लगातार कुछ सालों के बाद वापस लौटते हैं जिससे सूखा और आंशिक सूखा पड़ने की संभावना रहती है।
ऐसे में भारत की जलाशय शक्ति का इसमें बड़ा रोल है। नहरों की व्यवस्था से पहले भारत में अधिकाँश सिंचाई बारिश के अतिरिक्त तालाबों एवं अन्य जलाशयों से ही होती थी।
अमृत सरोवर और अन्य योजनाओं से तालाबों को पुनर्जीवन देकर देश में खेती के साथ साथ मत्स्य पालन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। जलाशयों की गिनती इस मामले में अहम कदम है।
गिनती में आए सभी जलाशयों में से लगभग 2.29 लाख जलाशय जिला सिंचाई योजना में शामिल हैं। संभव है कि नई संख्या का उपयोग करके बाकी जलाशयों को भी सिंचाई की योजनाओं से जोड़ा जाए।
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