भारत के खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने हाल ही में देश में संभावित चीनी की कमी के बारे में चिंताओं को संबोधित किया। समाचार पत्र इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने चीनी की पर्याप्त उपलब्धता और स्थिर कीमतें सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
भारत विश्वस्तर पर चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। महाराष्ट्र में अपेक्षा से कम उत्पादन के कारण भारत में चीनी की कमी होने की कई मीडिया रिपोर्ट्स आई थीं। इससे आने वाले त्योहारों के सीजन से पहले आपूर्ति की कमी तथा कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर चिंताएं बढ़ गईं। हालाँकि, खाद्य सचिव ने ऐसी रिपोर्ट को ‘अफवाहें’ कहकर खारिज कर दिया।
सितंबर, 2023 तक 85 लाख मीट्रिक टन चीनी का स्टॉक 3.5 महीने की खपत के लिए पर्याप्त था। चीनी सीज़न 2022-23 के लिए कुल उत्पादन 373 LMT अनुमानित था, जो 5 वर्षों में दूसरा सबसे अधिक है। खाद्य सचिव के अनुसार समय पर सरकारी उपायों ने 2023 तक राज्यों में उचित मूल्य पर चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित की है।
2022-23 सीज़न के लिए 30 सितंबर तक चीनी उत्पादन 330 एलएमटी को पार कर गया, जिसका कुल अनुमान 373 एलएमटी है। अगस्त माह में कमजोर बारिश के बाद हाल की बारिश से महाराष्ट्र और कर्नाटक में फसल की संभावनाएं बेहतर हुईं हैं। निर्यात कोटा 61 लाख मैट्रिक टन पर सीमित था, जिसमें 83 लाख मैट्रिक टन का मौजूदा स्टॉक 3.5 महीने की खपत को पूरा करता है।
सरकार पूरे भारत में उत्पादन और स्टॉक स्तर की बारीकी से निगरानी कर रही है। फसल की स्थिति की अपडेट मांग रही है और उत्पादन आंकड़ों के आधार पर अगले साल की निर्यात नीति तय करेगी। यह उद्योग तथा सरकार के सामूहिक कोशिशों का नतीजा है कि मिलों द्वारा चालू सीजन के गन्ने के बकाया का 94% से ज्यादा का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। इससे किसानों में चीनी क्षेत्र के बारे में उत्साह पैदा हुआ है।
पर्याप्त क्लोजिंग स्टॉक और निगरानी तंत्र के साथ, खाद्य सचिव ने प्रमुख मूल्य वृद्धि के बिना घरेलू चीनी मांग को पूरा करने को लेकर विश्वास व्यक्त किया है। इससे उद्योग, उपभोक्ताओं और किसानों को समर्थन मिलेगा। हालांकि महाराष्ट्र में उत्पादन में गिरावट आ सकती है। कुल मिलाकर सरकार किसी भी आपूर्ति चुनौतियों से निपटने और यह सुनिश्चित करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है कि चीनी उचित दरों पर उपलब्ध रहे।