भारत और पड़ोसी देश बांग्लादेश के बीच रिश्तों में प्रगाढ़ता का एक और उदाहरण सामने आया है। भारतीय रेलवे ने बांग्लादेश को 20 इंजन दिए हैं। यह डीजल इंजन बांग्लादेश रेलवे को प्रदान किए गए हैं। भारत इससे पहले भी बांग्लादेश को ब्रॉड गेज के बीस इंजन दे चुका है। भारत और बांग्लादेश के रेल मंत्रियों की वर्चुअल उपस्थिति वाले एक समारोह में यह हस्तांतरण किया गया।
ये रेल इंजन अब बांग्लादेश रेलवे को सेवाएं देंगे। इनका उपयोग सवारी गाड़ी और माल ढोने दोनों में किया जाएगा। यह इंजन भारत की तरफ से बांग्लादेश को सहायता के तौर पर दिए गए हैं। भारतीय उप महाद्वीप में नेपाल के अलावा बांग्लादेश ऐसा देश है जिसका रेलवे नेटवर्क भारत से जुड़ा हुआ है और दोनों देशों के बीच रेल सेवाएं चल रही हैं। भारत इससे पहले वर्ष 2020 में बांग्लादेश को 10 डीजल इंजन दे चुका है। इन सभी इंजनों में बांग्लादेश रेलवे की आवश्यकतानुसार बदलाव किए गए हैं, जिससे वहां इनके संचालन में समस्या ना हो।
बांग्लादेश को दिए गए ये रेल इंजन एल्को लोकोमोटिव हैं। भारत में रेलवे के विद्युतीकरण के चलते अब इस तरह के इंजनों का उपयोग काफी कम हो गया है। भारत में अब इंजनों के डिजाइन में भी बदलाव आ गया है। बांग्लादेश को दिए गए इंजन WDM3 सीरीज के है जो माल ढोने और सवारी गाड़ी खींचने दोनों में सक्षम हैं।
बांग्लादेश की तरफ से रेलवे इंजनों को देने का सबसे पहला आग्रह वर्ष 2019 में किया गया था। भारत ने बांग्लादेश को इंजन देने का यह वादा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे पर किया गया था। भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मौके पर व्यापार बढ़ाने और लोगों को जोड़ने में रेलवे की भूमिका की बात की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पांच जगहों पर दोनों देशों के बीच रेलवे कनेक्टिविटी है और दो और पर काम चल रहा है जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
वहीं, बांग्लादेश के रेल मंत्री नुरुल इस्लाम सुजान ने भारत का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हमें पहले भी इंजन मिले हैं, मुझे आशा है कि आने वाले समय के दोनों देशों के रेल नेटवर्क में उतरोत्तर प्रगति होगी।
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार में रेलवे की अहम भूमिका है। वर्तमान में बांग्लादेश भारत से कारें – ट्रैक्टर से लेकर खाने पीने का सामान और फल सब्जियां मंगाता है। वर्तमान में भारत से हर माह लगभग 100 मालगाड़ियां बांग्लादेश भेजी जा रही हैं। वर्ष 2022-23 में भारत से 20 लाख टन से ज्यादा माल ट्रेनों के रास्ते बांग्लादेश भेजा गया था।