भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2022-23 में सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए 7.2% की जीडीपी वृद्धि दर हासिल की है। सांख्यिकी और योजना कार्यान्वन मंत्रालय द्वारा (MoSPI) बुधवार (31 मई 2023) को जारी किए गए अनुमानों में यह बात सामने आ गई है।
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश की विकास दर वित्त वर्ष 2022-23 में 7% रही है। अर्थव्यवस्था के विकास की यह दर विश्व कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है और ऐसे समय में हासिल की गई है जब पूरा विश्व मंदी के मुहाने पर खड़ा है।
इन आंकड़ों के सामने आने के साथ ही वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही के अनुमान भी सामने आए। चौथी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.1% रही है। यह वृद्धि दर स्थिर भावों (2011-12) पर वित्त वर्ष 2022-23 में देश की जीडीपी का आकार 160.06 लाख करोड़ हो गया है, यह वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 149.26 लाख करोड़ थी।
देश की अर्थव्यवस्था में तेज बढ़त ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और मूडीज जैसी संस्थाओं के अनुमानों को भी पीछे छोड़ दिया है। IMF और मूडीज ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए 6.8% तो विश्व बैंक ने 6.9% विकास दर का अनुमान लगाया था। भारत की रेटिंग एजेंसी ICRA ने भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए 6.9% विकास दर का अनुमान लगाया था।
हाल ही में देश की केन्द्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी एक व्याख्यान में कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 में 7% से अधिक की विकास दर संभव है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी लगातार इस बात पर जोर दिया था कि देश की विकास दर 2022-23 में 7% से ऊपर रहेगी।
भारत ने यह विकास दर ऐसे समय में हासिल की है जब पूरे विश्व में मंदी का संकट गहरा रहा है और जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्थाएं मंदी के शिकंजे में आ चुकी हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष 2022 में शुरू हुए यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण महंगाई अपने चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी।
कच्चे तेल, गैस और खाद्य पदार्थों में महँगाई के कारण भारत को अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ी है, जिसके परिणामस्वरूप कर्ज महंगा हुआ है। यदि यह कारक अर्थव्यवस्था पर प्रभावी ना होते तो देश की विकास दर और अधिक होती। भारत ने महंगाई को नियन्त्रण में करने के साथ ही यह विकास दर हासिल की है जो कि अभूतपूर्व है।
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वित्त वर्ष 2022-23 में वर्तमान मूल्यों पर अर्थव्यवस्था में 16.1% की वृद्धि हुई है। व्यापार, होटल और प्रसारण सेवाओं में दहाई अंकों (14%) की वृद्धि हुई है। इसी तरह निर्माण क्षेत्र में भी 10% की वृद्धि हुई है। वित्तीय सेवाओं और रियल एस्टेट में भी 7% की बढ़त देखी गई है। देश की बड़ी आबादी को रोजगार दिलाने वाले कृषि क्षेत्र में भी 4% की वृद्धि दर हासिल हुई है।
निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर थोड़ी कम है क्योंकि पिछले वर्ष कच्चे माल की आपूर्ति में लगातार समस्याएँ बनी रही हैं और ऊर्जा की कीमतें भी लगातार बढ़ी हुई थीं। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश में निजी खर्च और सरकारी खर्च दोनों बढ़े हैं।
जीडीपी वृद्धि दर के आँकड़ों ने कई ऐसे विद्वानों को भी गलत साबित किया है जो कि लगातार भारत की क्षमताओं पर संदेह जताते रहते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर 5% के आसपास रहेगी। वह कई अन्य मुद्दों अपर भी आधारहीन आलोचना करते रहे हैं। नए आंकड़े उनके अनुमान को गलत सिद्ध करते हैं।
देश की तेज विकास दर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था की यह विकास दर वैश्विक समस्यों के बीच भारत की अर्थव्यस्था की सुदृढ़ता को दिखाती है।
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