“Your story may not have such a happy beginning, but that doesn’t make you who you are. It is the rest of your story, who you choose to be” अगर आपने कुंग फू पांडा फिल्म देखी होगी तो उसमें सूथसेयर पैंडा को ये सलाह दे रही होती है। मैं आपको ये इसलिए सुना रहा हूँ क्योंकि हाल ही में भारत ने भी चुनाव कर लिया है और पूरे विश्व को ये सन्देश दे दिया है कि विश्व गुरु का इरादा क्या है।
जिस इकोसिस्टम को इस भारत और विश्व गुरु जैसी शब्दावलियों से चिढ़ थी, वो आज भारत को उसी तरह से देख रहा होगा जिस तरह से भगवान श्रीकृष्ण को कौरव तब देख रहे थे, जब उन्होंने अपने विराट रूप के दर्शन करवाए थे। चन्द्रमा पर जवाहर पॉइंट बनाने वालों ने भारत को भारत कहने पर एजेंडा चलाया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी ने सारे विश्व के समक्ष ये नाम रख दिया।
हम बात कर रहे हैं दिल्ली में चल रहे G 20 सम्मेलन की। अभी तक हमने देखा है कि इस सम्मेलन में विश्व भर के प्रतिनिधि और राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे हुए हैं। 9 सितंबर को G20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई तो सुबह साढ़े दस से दोपहर डेढ़ बजे तक पहला सत्र ‘वन अर्थ’ आयोजित किया गया। इसके बाद ‘वन फैमिली’ पर दूसरा सत्र शनिवार दोपहर 3 बजे से 4.45 तक चला और इसके बाद समय आया शाम 7 बजे के डिनर का जिसमें द्रौपदी मुर्मू, प्रेसिडेंट ऑफ भारत, ने सभी राष्ट्राध्यक्षों को न्योता दिया था। रविवार के दिन समय था जी20 सम्मेलन के आखिरी दिन और तीसरे सत्र यानी ‘वन फ़्यूचर’ का जो सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक आयोजित किया गया और इसी के साथ जी20 शिखर सम्मेलन समाप्त हो गया।
जब इस सम्मेलन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की तो उनके चेहरे पर जो आत्मविश्वास था वो तो देखने लायक था ही , साथ ही एक और चीज थी जिसने सभी का ध्यान खींचा। प्रधानमंत्री मोदी जब अपना उद्घाटन भाषण दे रहे थे उनकी मेज़ पर रखे बोर्ड पर ‘भारत’ लिखा हुआ था।
ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अतीत में ऐसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टेबल पर ‘इंडिया’ लिखा हुआ होता था। इस सम्मेलन की कई उपलब्धियां भारत के नाम हुई हैं, जिनमें से एक, दिल्ली घोषणा पत्र पर सभी राष्ट्रों की सहमति है। इसमें तमाम अहम् बातों में से जिस एक बात पर जोर दिया गया था वो था बहुपक्षवाद को पुर्नजीवित करना। जब दुनियाभर में तमाम देश एक दूसरे के आमने सामने हैं, तब भारत इन सभी को एक मंच पर ला कर अपनी मांगों पर सहमति हासिल करता है, जैसा कि विश्व गुरु से अपेक्षा रहती है।
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पुतिन की अनुपस्थिति में भी रूस के पक्ष में रहा सम्मेलन
कूटनीतिक विजय हो या फिर राजनीतिक, भारत ने इस सम्मेलन में हर हिस्से में अपना महत्व साबित किया है। इनमें से एक, जिस पर विश्वभर की मीडिया की निगाह टिकी हुई थी, वो था रूस और अमेरिका के टकराव के बीच भारत और अमेरिका कैसे आमने सामने आते हैं। चीन ने भी खुद को इस सम्मेलन से किनारे कर लिया। लेकिन जी20 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी नहीं आए मगर उन्होंने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। सम्मेलन में युक्रेन युद्ध का उल्लेख हुआ और वो भी बिना रुस का नाम लिए। विदेश नीति के जानकार इसे रूस के लिए बड़ी जीत मान रहे हैं।
जो दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया गया है, वह बिल्कुल वैसा ही है जैसा पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में जारी किया गया था। एक अंतर इसमें बस ये था कि इंडोनेशिया के बाली में दिसंबर, 2022 में हुए G-20 सम्मेलन में रूस को आक्रामक बताकर उसकी निंदा की गई थी जबकि दिल्ली में हुए इस सम्मेलन में रूस की आलोचना करने वाली भाषा का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया।
नई दिल्ली घोषणा पत्र में कहा गया है, “यूक्रेन में युद्ध के संबंध में बाली में हुई चर्चा को दोहराते हुए हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्तावों पर अपने राष्ट्रीय रुख को दोहराया और इस बात पर ज़ोर दिया कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, सभी देशों को किसी भी अन्य देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए। परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है।”
इस घोषणा पत्र में मुस्लिम राष्ट्र तुर्कीए और रूस के बीच काला सागर अनाज सौदे (ब्लैक सी ग्रेन डील) को शुरू करने का अनुरोध भी किया गया है ताकि दुनिया को एक बड़े संकट से बचाया जा सके। रूस ने जुलाई, 2023 में स्वयं को इस समझौते से बाहर कर लिया था।
इंडिया, मिडिल ईस्ट, यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर
अब एक वो सौदा जिसने चीन के साथ साथ कांग्रेस और राहुल गाँधी को भी एक बड़ा झटका देने का काम किया है। वो है ‘इंडिया, मिडिल ईस्ट, यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में अमेरिका, सऊदी अरब और यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ मिलकर ‘इंडिया – मिडिल ईस्ट – यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर’ की घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार कहा था कि वे भाग्यशाली हैं क्योंकि आजादी के इतने साल बाद भी इतने सारे काम करने बाकी हैं और उन्हें ही ये मौका मिल सका है।
ये आर्थिक गलियारा बेहद महत्वपूर्ण है और निश्चित तौर पर पीएम मोदी भाग्यशाली नेता हैं जिनके जरिए ये ऐतिहासिक समझौता हुआ है। अमेरिका, अरब एवं यूरोपीय देश के नेताओं के साथ मिलकर एक इतनी बड़ी एवं महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना की घोषणा न केवल ऐतिहासिक है बल्कि इसमें वैश्विक व्यापार का रुख़ मोड़ देने की शक्ति है। इस परियोजना के तहत मध्य पूर्व के देशों को एक रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा जिसके बाद उन्हें भारत से एक शिपिंग रूट के माध्यम से जोड़ा जाएगा और आखिर में ये जोड़ेगा यूरोप के देशों को।
यह कोई आम रेलवे परियोजना नहीं है बल्कि इसके जरिये शिपिंग यानी मॉल ढुलाई जैसे क्षेत्रों में क्रन्तिकारी परिवर्तन आएँगे। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कम और मध्यम इनकम वाले देशों को क्योंकि इस से इन देशों के बीच व्यापार सस्ता और आसान होगा।
वर्तमान में जो स्थिति है उसके अनुसार मान लीजिये मुंबई से जो सामान यूरोप के लिए निकलता है वो स्वेज नहर से होते हुए यूरोप पहुँचता है मगर अब आने वैसे समय में ये सामान दुबई के रास्ते इज़रायल के बंदरगाह से होते हुए ट्रेन के माध्यम से जा सकेगा। आपको याद होगा कि स्वेज नहर से जाने वाले सामान पर आतंकवाद और ट्रैफिक की समस्या होती है। साल 2021 में एक जहाज के यहाँ पर फंसने से कई दिनों तक व्यापार प्रभावित हुआ था। ऐसे में जो चीन बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर राज करने की कोशिश कर रहा है उसे ये पसंद नहीं आने वाला।
इस सबके अलावा इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की घोषणा की है। G20 के इस सम्मेलन की समाप्ति की घोषणा के साथ ही भारत ने ब्राजील को जी20 की अध्यक्षता सौंप दी है। इससे पहले पिछले भारत का इंडोनेशिया से अध्यक्षता मिली थी। अब अगले साल जुलाई-अगस्त में जी20 का आयोजन ब्राजील में होगा।