विश्व में आर्थिक अस्थिरता के बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है। भारत का विदेशी मुद्रा भण्डार फिर से बढ़ना शुरू हो गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की रिपोर्ट के अनुसार, 18 नवम्बर से 25 नवम्बर के बीच 2.89 बिलियन डॉलर से अधिक बढ़ोतरी विदेशी मुद्रा भण्डार में हुई है। यह बढ़ोतरी लगातार पिछले तीन सप्ताह से हो रही है।
गौरतलब है कि इस वर्ष फरवरी माह से शुरू हुए यूक्रेन-रूस संघर्ष के बाद विश्वभर में आई आर्थिक अस्थिरता, ऊर्जा के बढ़े दामों और बढ़ती डॉलर की माँग के कारण देश का विदेशी मुद्रा कोष कम हो रहा था। डॉलर के सापेक्ष रुपए के अवमूल्यन के कारण भी देश के विदेशी मुद्रा भण्डार पर असर पड़ रहा था।
क्या है विदेशी मुद्रा भण्डार?
विदेशी मुद्रा भण्डार किसी भी देश या उसके केन्द्रीय बैंक के पास संचित ऐसी मुद्रा होती है जिसका उपयोग कर वह विदेशों में अपनी खरीददारी का भुगतान कर सके। किसी भी राष्ट्र का विदेशी मुद्रा भण्डार उसकी आर्थिक स्थिति को प्रदर्शित करता है।
इसमें कमी आने पर विदेशों को किए जाने वाले भुगतान में समस्या आती है जिससे अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है। इसका हालिया उदाहरण पाकिस्तान और श्रीलंका हैं।
कितना बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार?
देश में मुद्रा सम्बन्धी फैसले लेने वाली संस्था भारतीय रिजर्व बैंक हर सप्ताह विदेशी मुद्रा भण्डार का आँकड़ा जारी करती है। इसमें जारी की जाने वाली तारीख से एक सप्ताह पहले का आँकड़ा होता है।
2 दिसम्बर को आई रिपोर्ट के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भण्डार 25 नवम्बर तक कुल 550.14 बिलियन डॉलर था। इससे एक सप्ताह पहले आई रिपोर्ट में 18 नवम्बर को यह स्थिति 547.25 बिलियन डॉलर पर थी।
क्यों विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी है बड़ी खबर?
देश के विदेशी मुद्रा भण्डार का बढ़ना बड़ी खबर इसलिए भी है क्योंकि लगातार 10 महीनों से चले आ रहे यूक्रेन-रूस संघर्ष के कारण दुनिया भर में ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। भारत अपनी जरूरत का 80% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। इन सभी खरीददारी का भुगतान डॉलर में ही होता है।
ऐसे में बढ़े दामों पर तेल खरीदने से ज्यादा विदेशी मुद्रा भारत को खर्च करनी पड़ी। इस कारण देश का विदेशी मुद्रा भण्डार घट गया।
इसके अतिरिक्त अमेरिका की सेन्ट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने अमेरिका के अन्दर ब्याज दरें बढ़ाई गई। इससे विदेशी निवेशक अपना पैसा विदेशी बाजारों से वापस खींच लिया और इससे दुनिया भर में डॉलर की मांग बढ़ी। इस कारण डॉलर का मूल्य भी बढ़ गया। ऐसे में देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में और कमी आई।
इन सभी परिस्थितयों के बीच भारत का विदेशी मुद्रा भण्डार का बढ़ना दर्शाता है कि देश में वैश्विक महंगाई का उतना असर नहीं है और अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। जहाँ एक ओर भारत के पड़ोसी देश, दूसरे देशों और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं, वहीं भारत के विदेशी मुद्रा भण्डार का लगातार बढ़ना अच्छा संकेत है।