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Home » J&K के रियासी में मिला देश का पहला लिथियम भंडार, जानिए क्यों है महत्वपूर्ण
प्रमुख खबर

J&K के रियासी में मिला देश का पहला लिथियम भंडार, जानिए क्यों है महत्वपूर्ण

अर्पित त्रिपाठीBy अर्पित त्रिपाठीFebruary 10, 2023No Comments4 Mins Read
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5.9 Million Tonnes of Lithium Reserves found in J&K
जम्मू-कश्मीर में मिले 59 लाख टन के लिथियम रिजर्व
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भारत के बढ़ते हुए इलेक्ट्रिक वाहन बाजार के लिए बड़ी खबर आई है। इलेक्ट्रिक वाहन समेत तमाम बैटरी सम्बंधित उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक संसाधन लिथियम (Lithium) के बड़े रिजर्व जम्मू कश्मीर में मिलने की पुष्टि हुई है। यह खबर इस कारण भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में पहली बार लिथियम का भंडार मिला है।

भारत में इन प्राकृतिक संसाधनों के लिए सर्वे करने वाले संस्थान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (Geological Survey of India) ने जानकारी दी है कि जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन के लिथियम के रिजर्व पाए गए हैं।

GSI द्वारा दी गई लिथियम कि जानकारी
GSI द्वारा दी गई जानकारी

अभी तक भारत में इससे पहले कहीं भी इस पदार्थ के रिजर्व नहीं मिले हैं। वर्तमान समय में विश्व तेज गति से इलेक्ट्रिक गाड़ियों (Electric Vehicles) की तरफ बढ़ रहा है, जिसकी बैटरी बनाने के लिए मुख्य पदार्थ लिथियम है।

भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग ने जम्मू कश्मीर के रियासी (Reasi) जिले में यह रिजर्व मिलने की बात कही है, यह रियासी के सलाल-हईमन क्षेत्र में स्थित हैं।

यह जम्मू शहर से लगभग 75 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित हैं। अभी तक लैटिन अमेरिकी देशों में ही इतनी बड़ी मात्रा में लिथियम के रिजर्व पाए गए हैं।

अभी तक लैटिन अमेरिकी देश बोलीविया, चिली और अर्जेंटीना लिथियम के रिजर्व में सबसे आगे हैं। इसके अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया और चीन में भी बड़े पैमाने पर लिथियम पाया गया है। एक आँकड़े के अनुसार, बोलीविया में 2.1 करोड़ टन, अर्जेंटीना में लगभग 1.7 करोड़ टन और चिली में 90 लाख टन रिजर्व पाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, अमेरिका में 68 लाख टन और ऑस्ट्रेलिया में 63 लाख टन के रिजर्व पाए गए हैं। भारत में पाया गया रिजर्व इस आँकड़े के अनुसार, 59 लाख टन का है जो छठा सबसे बड़ा रिजर्व होगा।

भारत में लिथियम बैटरी की मांग वर्तमान में लगभग 3 गीगावाट की है। यह वर्ष 2026 तक बढ़ कर 20 गीगावाट हो जाएगी। सरकार द्वारा जारी एक आँकड़े के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान देश में लिथियम और इससे जुड़े उत्पादों का लगभग 9,000 करोड़ रुपए का आयात किया गया था।

लिथियम का आयात
लिथियम से जुड़े उत्पादों का आयात

अभी तक चीन और वियतनाम जैसे देश भारत के सबसे बड़े लिथियम के सप्लायर हैं। संसद में दिए गए एक आँकड़े के अनुसार, भारत में लिथियम का आयात वर्ष 2010-11 से वर्ष 2019-20 के बीच लगभग 7 गुना हो गया है।

लिथियम की मांग का लगभग 90% हिस्सा वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग से आता है, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।

यह भी पढ़ें: गेंहू नहीं, मिलेट्स है आत्मनिर्भरता की ओर सशक्त कदम

वर्ष 2022 में भारत में 10 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन बिके, यह आँकड़ा वर्ष 2021 से लगभग तीन गुना था।

भारत में उद्योग धंधों के विषय में नजर रखने वाली संस्था IBEF के अनुसार, वर्ष 2021-30 के बीच भारत का इलेक्ट्रिक वाहन का बाजार लगभग 49% की चक्रवृद्धि गति के साथ बढ़ेगा।

ऐसे में भारत में लिथियम के रिजर्व मिलना इस इंडस्ट्री की वृद्धि के लिए एक वरदान साबित होगा क्योंकि देश में लिथियम का खनन होने से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के सबसे महंगे पार्ट बैट्री की लागत में कमी आएगी।

इसका सीधा प्रभाव इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत पर पड़ेगा। एक इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत का लगभग 35%-40% हिस्सा लिथियम बैट्री ही होता है।

संसद के बजट सत्र में ही 8 फरवरी 2023 को दिए गए एक जवाब में सरकार ने बताया है कि पिछले पांच वर्षों में सरकार ने लिथियम और इससे जुड़े संसाधनों कि खोज के लिए 20 से अधिक प्रोजेक्ट चलाए हैं।

लिथियम कि खोज के लिए किए गए प्रयास
लिथियम की खोज के लिए चाले गए प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में सरकार का जवाब

इसके अंतर्गत जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, समेत अन्य कई प्रदेशों में लिथियम एवं अन्य संसाधनों की खोज जारी है।

केंद्र सरकार ने बजट 2023-24 में ऐसी मशीनरी पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने का फैसला किया है जिनका इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में उपयोग होता है।

यह भी पढ़ें: बजट 2023: मोदी सरकार ने तालिबान को क्यों दे दिए ₹200 करोड़?

इसके अतिरिक्त, सरकार ने लगभग 5,171 करोड़ रुपए इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी योजना FAME के लिए भी आवंटित किए हैं।

लिथियम का उपयोग गाड़ियों के अतिरिक्त मोबाइल फोन की बैट्रियां बनाने में भी होता है, यदि इसका का खनन भारत में प्रारम्भ होता है तो मोबाइल निर्माताओं को भी मदद मिलेगी।

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