इस साल अक्टूबर माह में भारत में निर्मित कफ सिरपों को गाम्बिया में हुई बच्चों से मौत का जिम्मेदार ठहराना, अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भारी पड़ रहा है। जिस आधार पर WHO ने भारत को जिम्मेदार ठहराया था, उसकी जानकारी माँगने पर WHO अब आनाकानी कर रहा है।
बता दें कि गाम्बिया ने स्वयं यह स्पष्टीकरण दे दिया है कि उसके देश में हुई बच्चों की मौत में भारत निर्मित कफ सिरप कारण नहीं हैं।
WHO से जवाब तलब करने का यह पूरा मामला WHO द्वारा 5 अक्टूबर, 2022 को जारी किए हुए एक अलर्ट से जुड़ा हुआ है। इस अलर्ट में WHO ने दिल्ली स्थित मेडन फार्मास्युटिकल के हरियाणा प्लांट से बनी हुई 4 कफ सिरप के गाम्बिया में कलेक्ट किए गए सैम्पल को विषाक्त बताया था।
WHO के प्रमुख टेड्रोस एड्होनम ने यह जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी थी। साथ ही, गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत का कारण भारत निर्मित सिरप को बताया गया था। हमने इससे पहले भी तथ्यों को सामने रखकर यह बताया था कि अब तक किसी भी जाँच में यह नहीं पाया गया है कि इस मामले में मात्र सिरप ही दोषी हैं।
वहीं, भारतीय और पश्चिमी जगत की मीडिया ने इस आधी-अधूरी खबर को बिना जांचे परखे चलाकर, भारत की फार्मा इंडस्ट्री को बदनाम करने की पुरजोर कोशिश की थी। अब एक नई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि सिरप के सम्बन्ध में WHO के बयान पर भारत द्वारा मांगी गई जानकारी देने से WHO बच रहा है। नौबत यहाँ तक आ गई है कि WHO ने इस मामले पर जवाब देना ही बन्द कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला पश्चिमी अफ़्रीकी देश गाम्बिया में छोटे बच्चों की रहस्यमयी मौतों से जुड़ा हुआ है। इस वर्ष के जुलाई माह से लेकर अक्टूबर माह के बीच लगभग 70 बच्चों की मौत एक बीमारी ‘एक्युक्त किडनी इंजरी’ से होना पाई गई थी। इसके पश्चात गाम्बिया की स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं ने इनके पीछे पैरासिटामोल सिरप के होने की आशंका जताई थी।
गाम्बिया सरकार द्वारा की गई जाँच में भारत में निर्मित 4 कफ सिरप को विषाक्त पाया गया था। इसके बाद, इस पूरे मामले ने तूल पकड़ना शुरू किया था। हालाँकि, पिछले माह 31 अक्टूबर को गाम्बिया सरकार ने इस बात से इन्कार किया था कि उसके देश में हुई बच्चों की मौतें भारतीय कफ सिरप के कारण हुईं। गाम्बिया सरकार ने बताया कि मौत के पीछे का कारण संभवतः बैक्टीरिया था।
क्या है WHO का स्टैंड?
गाम्बिया सरकार के स्पष्टीकरण के बाद भारत सरकार ने एक कमिटी गठित की। कमिटी को इस मामले की जाँच करने के आदेश दिए गए। इस कमिटी और भारतीय दवा नियामक एजेंसियों ने इस बाबत अब WHO से और जानकरी उपलब्ध कराने को कहा है। लेकिन, WHO जानकारी देने से बच रहा है। इकॉनोमिक टाइम्स में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, कमिटी द्वारा तीन बार जानकारी माँगने पर भी WHO ने उचित जानकारी नहीं दी है।
यह खबर सामने आने के बाद अब WHO की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालाँकि, यह पहली बार नहीं है, जब WHO का इस तरह का कृत्य सामने आया हो। इससे पहले भी WHO के दोहरे मापदंड को देखा गया है।
जिस दौरान गाम्बिया में बच्चों की मौत हुई, उसी दौरान इंडोनेशिया में भी गाम्बिया की तरह ‘एक्यूट किडनी इंजरी’ नामक बीमारी से 200 बच्चों को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा था। शुरूआती दौर में यहाँ WHO ने ठीक तरीके से संज्ञान तक नहीं लिया। किसी को जिम्मेदार ठहराना तो बहुत दूर की बात है।
अक्टूबर माह में इंडोनेशिया में लगभग 150 बच्चों की मौत हुई थी। गाम्बिया में भी लगभग यही स्थिति थी। दोनों देशों में एक जैसा मामला होने के बावजूद, WHO ने इंडोनेशिया में विषाक्त पाई गई कफ सिरप के खिलाफ एक्शन लेने में काफी देर लगाई।
जिस तरह का हो-हल्ला भारत में बनी कफ सिरप के को जिम्मेदार बताते हुए, विषाक्त पाए जाने पर हुआ था, भारत की फार्मा इंडस्ट्री को बदनाम करने की साजिश की गई थी। वैसा माहौल अभी भी इंडोनेशिया के मामले में देखने को नहीं मिला है।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या WHO किसी देश का नाम देखकर जवाबदेही तय करता है?